इस सोमवार को जल्पेश धाम में श्रद्धालुओं का तांता लग जाएगा. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए जा रहे हैं. अतिरिक्त बल को भी तैनात करने की तैयारी है. कुछ ही समय पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जल्पेश के लिए दो नए पुलों का उद्घाटन कर दिया है. नए पुल बन जाने से श्रद्धालुओं को आवा गमन में आसानी होगी.
सावन की दूसरी सोमवारी पर जल्पेश धाम में श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए जरूरी है कि जल्पेश धाम व्यवस्था में आए परिवर्तन के बारे में जान लें. इससे आपकी धाम की यात्रा सुखद और मंगलमय होगी. जिला प्रशासन की ओर से सभी तरह की तैयारी कर ली गई है. श्रद्धालुओं को जान लेना चाहिए कि जिला प्रशासन की क्या-क्या तैयारी है और क्या-क्या श्रद्धालुओं के लिए निर्देश है. आप जल्पेश धाम में बिना किसी परेशानी के भोले बाबा पर जल चढ़ा सके, नए नियम से रूबरू कराने जा रहे हैं. ये नियम और निर्देश जिला प्रशासन के अधिकारियों से प्राप्त हुए हैं
मंदिर में जाने के लिए दो नए पुल तैयार किए गए हैं. तीर्थ यात्री एक पुल से होकर दूसरे पुल का उपयोग मंदिर से पार्किंग क्षेत्र तक पहुंचने के लिए करेंगे. मंदिर में प्रवेश के लिए टिकट खरीदने की व्यवस्था अलग की गई है. मंदिर परिसर में अब आपको नहीं जाना पड़ेगा. जल्पेश मंदिर से 1 किलोमीटर दूर जल्पेश मेला मैदान स्थित टिकट काउंटर पर टिकट खरीदना होगा. उसके बाद मेला मैदान से होकर जल्पेश मंदिर के पीछे जर्दा नदी पर बने पुल से मंदिर में प्रवेश करना होगा.
अगर आप तीस्ता नदी से जल भर कर आते हैं तो आपको मेला मैदान स्थित टिकट काउंटर से टिकट लेना होगा. मंदिर में जल चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं को वहां रुकना नहीं होगा और फौरन निकल जाना होगा. लोक निर्माण विभाग द्वारा जो नया पुल बनाया गया है, इस पुल से होकर मेला मैदान के पार्किंग क्षेत्र में वापस लौटना होगा. शासन की ओर से स्पष्ट दिशा निर्देश है कि इस बार मंदिर परिसर में भीड़भाड़ बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. श्रद्धालुओं को मंदिर में इस तरह से नए स्काईवॉक से प्रवेश करना होगा.
अगर आपने नियम और निर्देशों को तोड़ने की कोशिश की तो पुलिस के जवान पास में ही मुस्तैद नजर आएंगे. अगर आपको कहीं कुछ असुविधा होती है या समझने में भूल होती है तो पुलिस सहायता शिविर से आप संपर्क कर सकते हैं. पुलिस 24 घंटे आपकी मदद के लिए तैयार रहेगी. अगर आप जेतेश्वर क्षेत्र से मंदिर आ रहे हैं तो सड़क पर आपको टिकट काउंटर मिल जाएगा, जहां से आप टिकट खरीद सकते हैं. अगर आप यहां टिकट लेते हैं तो आपको हाथी गेट के सामने से होकर स्काईवॉक से आना होगा.
यहां ध्यान रखने की जरूरत है कि श्रद्धालु एक पुल से होकर मंदिर में जाएंगे और दूसरे पुल से वापस लौटेंगे. जिला प्रशासन की ओर से जो नई व्यवस्था की गई है, उससे यह उम्मीद लगाई जा रही है कि मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं होगी. पहले इस तरह की व्यवस्था नहीं थी, जिसकी वजह से मंदिर में काफी भीड़ लग जाती थी. कई-कई श्रद्धालु तो भीड़ में दबकर रह जाते थे. इसके अलावा पुराने पुल पर अक्सर जाम लग जाता था. यह पुल वैसे भी स॔करा था.
जल्पेश धाम सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल, नेपाल, भूटान आदि क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है. उत्तर बंगाल, पहाड़ ,समतल और Dooars तथा नेपाल, भूटान आदि देशों से बहुत से तीर्थयात्री और श्रद्धालु जल चढ़ाने के लिए जल्पेश धाम आते हैं. आज रविवार है. कुछ ही देर में सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों से श्रद्धालु जल्पेश धाम जाने के लिए निकलेंगे. इस बार श्रद्धालुओं को ट्रैफिक जाम का सामना नहीं करना होगा और उनकी आसान यात्रा हो सके, प्रशासन ने इसका पूरा ध्यान रखा है.