आज से सिलीगुड़ी और पूरे पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार खुल गए हैं. कई लोग यह कयास लगा रहे थे कि शायद बीच में भी स्कूल नहीं खुले और गर्मी की छुट्टी का ही फरमान हो जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.
इसका कारण भी था कि पिछले कुछ दिनों से सिलीगुड़ी और पूरे प्रदेश में गर्मी और तापमान में कमी आई है. इसे देखते हुए ही शिक्षा बोर्ड की ओर से सरकारी अधिसूचना जारी की गई थी. इसके बाद से आज से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खुल गये हैं.
इससे पहले मुख्यमंत्री की पहल के बाद राज्य के सरकारी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 1 हफ्ते के लिए बंद हो गए थे. जबकि निजी स्कूलों में ऑनलाइन पठन-पाठन जारी रहा. कई निजी स्कूलों में मॉर्निंग स्कूल हो गए थे. सरकार के इस फैसले को लेकर कई अभिभावक संगठनों ने नाराजगी भी व्यक्त की थी.परंतु कुल मिलाकर इसका राज्य में स्वागत ही किया गया.
आज बच्चों को स्कूल जाते समय काफी उत्साहित देखा गया. छोटे बच्चों को खेलने कूदने में ज्यादा मन लगता है. 2 मई से गर्मी की छुट्टियां शुरु हो रही है. उन्हें अच्छी तरह पता है. स्कूल जाते हुए कुछ बच्चों ने कहा कि 4- 5 दिन और पढ़ना है और फिर गर्मी की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी. बच्चे पढ़ने जा रहे थे लेकिन उन्हें गर्मी की छुट्टी भी याद थी. शायद इसीलिए उन्हें मजा भी आ रहा था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समय से पूर्व राज्य में बढ़ती गर्मी और लू के चलते राज्य के सरकारी स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों को बंद करने की बात कही थी. इसके बाद शिक्षा विभाग ने नोटिफिकेशन जारी करके एक हफ्ते के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय को बंद कर दिया था. हालांकि सिलीगुड़ी के निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई जारी थी. सिलीगुड़ी में सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने वाले अभिभावक सरकार के इस फैसले से कुछ नाराज जरूर थे.
अभिभावकों को लग रहा था कि शायद गर्मी की छुट्टियों के बाद ही स्कूल खुलेंगे. लेकिन बीच में मौसम के बदलाव के चलते राज्य शिक्षा बोर्ड ने अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार स्कूलों को खोलने की घोषणा कर दी. अब 6 दिन स्कूल खुलेंगे और फिर गर्मी की छुट्टियां पड़ जाएंगी. सोमवार से लेकर शनिवार तक स्कूलों कॉलेजों में क्या पढ़ाई होगी, यह सभी जानते हैं. इस दौरान दाखिले के कार्य अधिक होंगे. इस हफ्ते बच्चे पुस्तक, नोट्स बुक, स्टेशनरी में ही व्यस्त रहेंगे. आज पहला दिन विद्यालय में शिक्षकों तथा बच्चों की औसत उपस्थिति देखी गई.