इनकम टैक्स को लेकर जो नए कानून वजूद में आए हैं, और जो एक अप्रैल 2025 से लागू होने वाले हैं, ये कानून व्यक्ति की गोपनीयता को भंग करने वाला कानून कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा. क्योंकि वित्तीय लेनदेन के मामले में आयकर अधिकारी आपसे पासवर्ड की मांग कर सकते हैं. यानी आपके डिजिटल और ईमेल अकाउंट के पासवर्ड पर यह कब्जा कर सकते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि इसमें व्यक्ति की गोपनीयता कहां रह पाएगी! जबकि सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग समेत सभी केंद्रीय एजेंसियां व्यक्ति की गोपनीयता को बनाए रखने पर जोर दे रही हैं.
यह समस्या आयकर भुगतान करने वाले के साथ तब आ सकती है, जब आयकर अधिकारी टैक्स चोरी की जांच के मामले में आपको आरोपी बनाते हैं. वह आपका फेसबुक, इंस्टा अकाउंट तक खंगाल सकते हैं. हालांकि नया आयकर अधिनियम 1961 की तुलना में काफी सरल भी है.पर इसमें एक बड़ा बदलाव व्यक्ति की गोपनीयता के हनन को लेकर है, जिसके कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ है. नए कानून में आयकर अधिकारियों को आपके फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट से लेकर ईमेल तक ख॔गालने का कानूनी अधिकार दिया गया है.
वर्तमान में इनकम टैक्स एक्ट 1961 लागू है. इसके अंतर्गत आयकर अधिकारियों को आरोपी की तलाशी लेने और बैंक अकाउंट जब्त करने का अधिकार प्राप्त है. हालांकि जांच के क्रम में अधिकारी लैपटॉप, हार्ड ड्राइव या ईमेल की मांग कर सकते हैं. परंतु इसके लिए उन्हें कानूनी तौर पर इजाजत लेनी होगी और यह आसान नहीं है. कई बार कानूनी अड़चनों में पडकर आयकर अधिकारी वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं होते हैं. लेकिन 1 अप्रैल 2025 से जो नया कानून लागू हो रहा है, उसमें आयकर अधिकारियों की पहुंच वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक कर दी गई है. इस तरह से आयकर अधिकारी जांच के क्रम में आपकी निजी गोपनीयता का उल्लंघन कर सकते हैं.
अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने से मना कर देता है अथवा जांच में सहयोग नहीं करता है ईमेल या सोशल मीडिया अकाउंट की पूरी जानकारी नहीं देता है तो नए कानून के अनुसार आयकर अधिकारी उस व्यक्ति के अकाउंट के पासवर्ड को बाईपास कर सकते हैं.सेफ्टी सेटिंग्स को ओवर राइड कर सकते हैं. और फाइलों को अनलॉक कर सकते हैं. हालांकि यह नया कानून केवल टैक्स चोरी के मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ लागू होंगे. इसलिए सभी आयकर दाताओं को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.
आयकर अधिकारियों द्वारा व्यक्ति की गोपनीयता के उल्लंघन को लेकर तथा नए कानून की प्रभावशीलता को लेकर विभिन्न हल्को में आरोप प्रत्यारोप और गहमागहमी देखी जा रही है. हालांकि कानून विशेषज्ञ नए कानून से खुश दिखाई दे रहे हैं. जबकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पर्सनल डाटा के लीकेज के कारण तरह-तरह की आशंकाओं में घिर गए हैं. खेतान एंड कंपनी के अधिकारियों ने कहा है कि आयकर अधिकारियों को व्यक्ति के डिजिटल स्पेस तक पहुंचने की कानून को इजाजत नहीं देनी चाहिए. आशंका व्यक्त की जा रही है कि जब यह नया कानून देशभर में लागू होगा, तो इस तरह की बातें जोर-शोर से उठाई जा सकती है.