प्रदेश की राजनीति में एस आई आर, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास और तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही राजनीतिक नूरा कुश्ती के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का सिलीगुड़ी दौरा हो रहा है. मोहन भागवत संभवत: 18 दिसंबर को सिलीगुड़ी आएंगे. यहां प्रसिद्ध शारदा शिशु तीर्थ विद्यालय में उनका एक खास कार्यक्रम रखा गया है. सूत्रों ने बताया कि वे दो दिन के सिलीगुड़ी प्रवास पर आ रहे हैं.
मिली जानकारी के अनुसार मोहन भागवत शारदा शिशु तीर्थ प्रांगण में एक विशाल युवा सम्मेलन को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम में सिलीगुड़ी और पहाड़ से 5000 से अधिक युवाओं के शामिल होने की संभावना है. सूत्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम में 15 साल से लेकर 35 साल तक की आयु के ऐसे युवा भाग ले सकेंगे, जिन्होंने पहले से ही अपना रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है.
मोहन भागवत के सिलीगुड़ी दौरे को सफल बनाने के लिए शारदा शिशु तीर्थ विद्यालय में तैयारी चल रही है. इसके अलावा संघ के पदाधिकारी और सदस्य उनके स्वागत की तैयारी में जुटे हुए हैं. वे अपना दायित्व भी उत्साह के साथ पूरा कर रहे हैं. 2026 में बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बंगाल और खासकर सिलीगुड़ी दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है. यूं तो मोहन भागवत पहले भी सिलीगुड़ी आए हैं. लेकिन उनका इस बार का सिलीगुड़ी दौरा राजनीतिक पंडितों की नजर में विशेष महत्व रखता है.
2026 में बंगाल विधानसभा चुनाव है और राज्य में तृणमूल सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी अथक प्रयास कर रही है. भारतीय जनता पार्टी की बंगाल में जीत सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मैदान में उतर चुका है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता और कार्यकर्ता बंगाल के विभिन्न जिलों में बूथ स्तर पर कार्यकर्ता पैदा कर रहे हैं, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत यूं तो कई बार सिलीगुड़ी समेत बंगाल के विभिन्न जिलों का दौरा कर चुके हैं और अक्सर वे बंगाल आते रहते हैं. लेकिन उनका इस बार का बंगाल दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है. सिलीगुड़ी में उनका खास कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम में मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उपयोगिता और राष्ट्रपति प्रथम राष्ट्र भक्ति पर भी अपना विचार रख सकते हैं. बंगाल में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिहाज से भी मोहन भागवत की इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लगभग 2200 शाखाएं हैं. पश्चिम बंगाल के हर इलाके तक संघ की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लगभग 8000 शाखाओं की जरूरत है. इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काफी समय से प्रयास कर रहा है. समय-समय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख कार्य का निरीक्षण करने के लिए बंगाल आते रहे हैं.
आपको बता दें कि आरएसएस के प्रमुख सिद्धांत राष्ट्र निर्माण, हिंदू संस्कृति और सामाजिक सद्भाव पर केंद्रित है, जिसमें स्वयंसेवकों द्वारा व्यक्तिगत चरित्र निर्माण, सेवा, त्याग और आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से समाज को मजबूत करने पर जोर दिया जाता है. जिसके लिए पांच परिवर्तन जैसे कार्य प्रणाली अपनाई जाती है. जिसमें स्व बोध,पर्यावरण, सामाजिक समरसता, नागरिक शिष्टाचार और कुटुंब प्रबोधन शामिल है. पश्चिम बंगाल में युवाओं में आरएसएस के प्रति एक विशेष लगाव और समर्पण देखा जा रहा है.
