उत्तर बंगाल में अलग राज्य के लिए उत्तर बंगाल, पहाड़, Dooars, समतल आदि विभिन्न क्षेत्रो के राजनीतिक, गैर राजनीतिक संगठन एक साथ आ रहे हैं. विमल गुरुंग उनका नेतृत्व कर रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर बंगाल में अलग राज्य का मुद्दा एक बार फिर से नए सिरे से उठाया जा रहा है. हालांकि विमल गुरुंग कहते हैं कि इसका 2024 के लोकसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है. लेकिन सूत्र तो बता रहे हैं कि इसका 2024 के लोकसभा चुनाव से संबंध है.
उत्तर बंगाल में अलग राज्य की स्थापना के लिए विभिन्न दलों और संगठनों के लोग एक मंच पर आए हैं. इसका नाम यूनाइटेड फ्रंट फाॅर सेपरेट स्टेट रखा गया है. इस फ्रंट में विमल गुरुंग का गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, कामतापुरी प्रोग्रेसिव पार्टी, कामतापुर द पीपल्स पार्टी यूनाइटेड, ग्रेटर कूच बिहार पीपल्स संगठन, जय बिरसा मुंडा उलगनम, एससी एसटी ओबीसी मूवमेंट समिति, अखिल भारतीय राजवंशी समाज और भूमिपुत्र यूनाइटेड पार्टी शामिल है. इस तरह से कुल आठ संगठनों के नेता उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग को लेकर एकजुट हुए हैं.
विगत 16 अक्टूबर 2023 को इन सभी संगठनों के नेताओं की सिलीगुड़ी स्थित सेवेन किंग्डम परिसर में उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग को लेकर एक बैठक हुई थी. इस बैठक में समिति का गठन किया गया था. यह स्पष्ट हो गया कि सभी दल मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग करेंगे. उस समय कहा गया था कि जब त्यौहार का समापन हो जाएगा, तब यूनाइटेड फ्रंट राजनीतिक तरीके से अपनी मांग को लेकर आवाज बुलंद करेगा. यूएफएसएस के प्रवक्ता उत्तम राय ने यह बात कही थी. बैठक में कामतापुर प्रोग्रेसिव पार्टी के अधीर राय को कमेटी का चेयरपर्सन चुना गया था, जबकि दीपेंद्र नरूला को संयोजक के रूप में नामांकित किया गया था. दीपेंद्र गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के नेता है. बैठक के उपरांत विमल गुरुंग ने बहुत ही संक्षिप्त बात कही थी.तब उस समय उनके बयान को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया गया था.
लेकिन आज सिलीगुड़ी मल्लागुरी चाय नीलामी रोड परिसर में यूनाइटेड फ्रंट के नेताओं की बैठक और विमल गुरुंग के बयान की चर्चा शुरू हो गई है. विमल गुरुंग ने कहा कि अलग राज्य के गठन के लिए सिर्फ पहाड़ ही पर्याप्त नहीं है बल्कि पूरा उत्तर बंगाल उनके लक्ष्य में है. यह कैसे होगा और किस तरह से होगा, इसके लिए रोड मैप तैयार किया जा रहा है. यूनाइटेड फ्रंट में जितने भी संगठन शामिल है,उनकी अपनी अपनी अलग मांग है. विमल गुरुंग का मोर्चा गोरखालैंड चाहता है. जबकि राजवंशी व दूसरे संगठन कामतापुर या ग्रेटर कुचबिहार स्टेट चाहते हैं.
विमल गुरुंग ने कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है. केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकार, यूनाइटेड फ्रंट का किसी से भी कोई संबंध नहीं है.उन्होंने कहा कि यूनाइटेड फ्रंट फॉर सेपरेट स्टेट की ओर से एक ज्ञापन केंद्र और राज्य सरकार को भेजा जाएगा और इस पर उनका जवाब लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार से अलग-अलग वार्ता की जाएगी. केंद्र अथवा राज्य सरकार की ओर से क्या जवाब आता है, उसके आधार पर ही यूनाइटेड फ्रंट की अगली रणनीति तैयार की जाएगी.
आपको बता दे कि विमल गुरुंग की पार्टी शुरू से ही गोरखालैंड की मांग करती रही है. जबकि कामतापुरी संगठन कामतापुर राज्य की मांग बुलंद करते आ रहे हैं.जब विमल गुरुंग से इससे पहले पूछा गया था, तो उन्होंने कहा कि हर पार्टी की अपनी-अपनी स्ट्रेटजी है.यूनाइटेड फ्रंट की अपनी रणनीति है. इसका खुलासा जल्द ही कर दिया जाएगा. यह सभी जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस बंगाल का एक और विभाजन नहीं चाहती. लेकिन बीजेपी बंगाल विभाजन के मुद्दे पर नरम दिखती है. तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि यह भाजपा की सोची समझी रणनीति है,जो उत्तर बंगाल के लोगों का भावनात्मक तरीके से वोट हासिल करना चाहती है. लोकसभा चुनाव सर पर है. अतः: इस तरह की स्ट्रेटजी कोई नई बात नहीं है.
दूसरी ओर भाजपा नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस के आरोप को निराधार बताया है. आज संवाददाता सम्मेलन में विमल गुरुंग ने मीडिया के हर सवाल का जवाब हिंदी में ही दिया. यहां तक कि नेपाली भाषा में पूछे गए सवाल का भी उन्होंने हिंदी में ही उत्तर दिया. विमल गुरुंग की यह रणनीति क्या है, किसी की समझ में नहीं आ रहा है. आज के घटनाक्रम को लेकर कुछ लोग मानते हैं कि विमल गुरुंग सभी भाषा भाषी को एकजुट करके उनमें अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं. वह राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव जमाना चाहते हैं. हो सकता है कि अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें खड़ा होने का मौका मिल सके. अगले कुछ दिनों में दीपावली और छठ पूजा का त्यौहार है. इसके बाद सभी त्योहारों का समापन हो जाएगा. यूनाइटेड फ्रंट फॉर सेपरेट स्टेट पहले ही कह चुका है कि यूनाइटेड फ्रंट की अगली रणनीति का खुलासा त्योहारों के बाद ही होगा.
जाहिर है कि इसके बाद लोकसभा चुनाव शुरू हो जाएंगे. ऐसे में जाहिर है कि यूनाइटेड फ्रंट फॉर सेपरेट स्टेट की रणनीति और राजनीति दोनों ही खुलकर सामने आएगी. तब तक हमें इंतजार करना होगा.