सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल में हाथियों के शहर और बस्ती क्षेत्रों में घुसने, जान माल का नुकसान करने तथा ग्रामीणों और अन्य लोगों द्वारा हाथियों को खदेड़ने की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं. जबकि दूसरी ओर रेल से कटकर हाथियों की मौत भी हुई है. पिछले 3 वर्षों के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण कम से कम 11 हाथियों की मौत हुई है. प्रशासन की लाख कोशिश के बावजूद हाथी सुरक्षित नहीं है. इसलिए अब ममता बनर्जी की सरकार ने हाथियों के संरक्षण के लिए एक कदम उठाया है.
इससे पहले हाथियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए रेलवे के सहयोग से वन विभाग उत्तर बंगाल में तराई और Dooars क्षेत्र के जंगलों से होकर जाने वाली रेल पटरियों के साथ एक संवेदनशील सेंसर अलार्म सिस्टम की स्थापना कर चुका है. इसका लाभ भी मिल रहा है. जैसे ही हाथियों का झुंड रेल की परियों के पास से गुजर रहा होता है, सेंसर अलार्म सिस्टम नजदीकी रेलवे स्टेशन और नजदीकी वन रेंज कार्यालय को अलर्ट भेजता है. अलर्ट मिलने पर नजदीकी रेलवे स्टेशन ट्रेनों के चालक को अलर्ट भेजता है ताकि चालक ट्रेन की गति धीमी कर सकें और इस तरह से ट्रेन से हाथियों के टकराने की घटना नहीं हो पाती है.
अब ममता बनर्जी की सरकार ने हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए जो कदम उठाया है, वह है गज मित्रों की नियुक्ति. वन विभाग ने हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए स्थानीय युवाओं को गज मित्र के रूप में नियुक्त करने का काम भी आरंभ कर दिया है. वन मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक इस संबंध में हरी झंडी पहले ही दे चुके हैं. मिली जानकारी के अनुसार गज मित्रों की नियुक्ति के बाद उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा और विशेष रूप से विकसित गज मित्र एप के साथ उन्हें एंड्राइड मोबाइल सेट प्रदान किया जाएगा.
सुर्खियों में जो खबरें हैं उसके अनुसार जिन गज मित्रों का चुनाव किया जाएगा, वे हाथियों के झुंड की आवाजाही के बारे में अग्रिम जानकारी रखेंगे तथा वन विभाग और स्थानीय लोगों को सतर्क कर देंगे ताकि हाथियों के साथ संघर्ष की घटना से बचा जा सके और जान माल का नुकसान भी ना हो. सूत्रों ने बताया कि फिलहाल उत्तर बंगाल में हाथियों की सुरक्षा के लिए सरकार 400 गज मित्रों की नियुक्ति कर रही है.
उम्मीद की जा रही है कि दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार जिले में हाथियों के साथ संघर्ष की घटना में कमी आएगी. दूसरी ओर रेलवे के सहयोग से वन विभाग एक पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है जिसके अंतर्गत जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा मे डायना रिवर ब्रिज से अलीपुरद्वार के मदारीहाट तक लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सेंसर सिस्टम स्थापित किया जाएगा. आपको बताते चलें कि यह इलाका मानव और हाथी के बीच संघर्ष के लिए विशेष रूप से कुख्यात है.