बिना नाथ वाले उत्तरबंग विश्वविद्यालय को अब नाथ मिल चुका है. यह खबर उत्तरबंग विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों के लिए राहत भरी है.क्योंकि काफी समय से उत्तरबंग विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी. छोटी-छोटी बातों पर लगातार आंदोलन, धरना और राजनीति का अखाड़ा बन चुका उत्तरबंग विश्वविद्यालय का कैंपस अब चहक रहा है.
एक बार फिर से प्रोफ़ेसर ओमप्रकाश मिश्र उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय का उपकुलपति बनकर आए हैं. उनके आने से विश्वविद्यालय कैंपस में अराजकता की स्थिति खत्म हुई है. इसके साथ ही कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी है कि अब उन्हें वेतन मिलेगा. वर्तमान में विश्वविद्यालय में वित्त अधिकारी तथा रजिस्ट्रार का पद रिक्त हो चुका है. ऐसे में कर्मचारियों के समक्ष आर्थिक गतिरोध उत्पन्न हो गया था, जिसको लेकर आए दिन विद्यार्थियों से लेकर कर्मचारी तक और संगठनों से लेकर राजनीतिक दल आंदोलन कर रहे थे.
विश्वविद्यालय में कुलपति की मांग में पिछले दिनों आंदोलन हुआ था. आए दिन के आंदोलनों की गूंज कोलकाता में भी सुनाई दी थी. इसके बाद ममता बनर्जी की सरकार और राज्यपाल के सहयोग से आनन-फानन में उपकुलपति के रूप में एक बार फिर से ओमप्रकाश मिश्र को भेजे जाने का फैसला किया गया, जिसके बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी.
. प्रोफ़ेसर ओमप्रकाश मिश्र दूसरी बार उत्तरबंग विश्वविद्यालय के उपकुलपति बनाए गए हैं. हालांकि उनका कार्यकाल महज दो-तीन महीने तक है. वह अंतरिम उपकुलपति के रूप में नियुक्त किए गए हैं. इस बीच उत्तरबंग विश्वविद्यालय के नए स्थाई उपकुलपति का चुनाव कर लिए जाने की जानकारी मिली है.
सूत्रों ने बताया कि उत्तरबंग विश्वविद्यालय में अराजक स्थिति के समाधान के बारे में सरकार और शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु काफी समय से प्रयत्नशील थे. उन्होंने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ मुलाकात भी की थी. तत्पश्चात राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में अंतरिम उपकुलपति की नियुक्ति तो हो गई, लेकिन इसमें उत्तरबंग विश्वविद्यालय का नाम शामिल नहीं था. अब उत्तरबंग विश्वविद्यालय को भी अंतरिम उपकुलपति मिल चुका है.
उम्मीद की जा रही है कि उत्तरबंग विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय में अब कोई नया संकट नहीं खड़ा होगा तथा प्रशासनिक कार्य भली-भांति संपन्न होंगे. छात्रों की समस्या हल होगी और वित्तीय कार्य भी संपन्न होंगे.उम्मीद की जानी चाहिए कि उत्तरबंग विश्वविद्यालय भविष्य में राजनीति का अखाड़ा नहीं बनेगा!