सिक्किम में चुंगथांग डैम टूटने के बाद मची तबाही और उसके बाद डैम टूटने के कारणों पर विचार मंथन शुरू हो गया है. सिक्किम के अनेक बुद्धिजीवियों का कहना है कि जिस समय चुंगथांग डैम का निर्माण किया जा रहा था, उस समय सिक्किम के तत्कालीन मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने सिक्किम के लोगों की आवाज नहीं सुनी और एक तरफा निर्णय लेकर लेकर डैम का निर्माण करवाया. लोगों का आरोप है कि डैम के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है जिसके कारण डैम पानी का रेला सहन नहीं कर सका और टूट गया.
सिक्किम में त्रासदी के बीच सिक्किम के दो बुद्धिजीवियों अंबर राई तथा Y.T. लेप्चा ने मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग को पत्र लिखा है. इसके साथ ही सिक्किम के नामची में रहने वाले Y.T.Lepcha नामक एक नागरिक ने गंगटोक के सदर थाने में पवन चामलिंग के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लेप्चा ने मांग की है कि पवन चामलिंग के कार्यकाल में बने चुंगथांग डैम के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है. इसलिए इसकी उचित जांच होनी चाहिए.
इसमें कोई शक नहीं कि इसी डैम के टूटने के कारण सिक्किम में महा प्रलय हुआ. लेकिन क्या डैम के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ था? बरसों बाद यह सवाल तेजी से उठने लगा है. क्योंकि इस डैम के कारण ही सिक्किम में तबाही आई और सैकड़ो लोग बेघर हो गए गए. अंबर राई ने भी मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग को पत्र लिखकर कथित भ्रष्टाचार की उचित मंच पर जांच कराने की मांग की है.
थोड़ा पीछे चलते हैं. यह जानने की कोशिश करते हैं कि डैम के निर्माण का इतिहास क्या रहा है और आज यह चर्चा का विषय कैसे बन गया?
सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड को तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड भी कहते हैं.तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड को सिक्किम ऊर्जा डैम के नाम से जाना जाता है. इसका गठन सरकार की जल विद्युत विकास पहल में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए किया गया था. यह परियोजना उत्तरी सिक्किम जिले में तीस्ता नदी योजना के संचालन के लिए है. लेकिन जब इस डैम का निर्माण करने की बात आई,तब सिक्किम के बुद्धिजीवियों ने इसका विरोध किया था.
उनकी आशंका थी कि डैम का निर्माण करने से सिक्किम को काफी खतरा होगा. इसके अलावा प्राकृतिक विविधता, पर्यावरण, जलवायु तथा संतुलन को भी काफी नुकसान होगा. लेकिन पवन चामलिंग डैम निर्माण के समर्थन में थे. एक तरफ सिक्किम की जनता थी तो दूसरी तरफ पवन चामलिंग थे, जो सिक्किम की जनता की आशंका को खारिज कर रहे थे. कहा तो यह भी जाता है कि पवन चामलिंग को समझने के लिए बौद्ध भिक्षुओ ने भी उनके दरबार में डेरा डाला लेकिन उनकी भी बात उन्होंने नहीं सुनी.
जब पवन चामलिंग पर बौद्ध भिक्षु तथा धार्मिक लोगों के समझाने का कोई असर नहीं हुआ, तब उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी. यह भूख हड़ताल 900 दिनों से भी अधिक दिनों तक चली. सिक्किम में विभिन्न संगठनों और नागरिकों ने धार्मिक व्यक्तियों के समर्थन में भूख हड़ताल शुरू कर दी. लेकिन इसका कोई भी असर नहीं पड़ा और पवन चामलिंग ने उत्तरी सिक्किम में 1200 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाली मेगा जल विद्युत परियोजना का निर्माण शुरू करवाने के लिए आधारशिला रख दी. उन्होंने कहा था कि डैम के निर्माण में 5000 करोड रुपए की अनुमानित लागत आएगी और यह परियोजना 2012 में चालू हो जाएगी.
सिक्किम की जनता, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के विरोध के बावजूद पवन चामलिंग ने चुंगथांग डैम का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया. लोगों का कहना है कि पवन चामलिंग ने एग्रीमेंट अथवा अन्य मदों में डैम निर्माण के कार्य में घटिया संसाधनों का इस्तेमाल किया और सिक्किम के लोगों की जान खतरे में डाल दी. इसलिए मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग से मांग की गई है कि इसकी जांच कराई जाए और अगर वाकई इसमें भ्रष्टाचार हुआ है तो दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.