आज से तीन दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो गया है. सुबह व्रती स्त्री पुरुषों ने नदी घाटों पर स्नान और पूजा करके व्रत की शुरुआत कर दी. यूं तो सिलीगुड़ी में काफी पहले से ही छठ के गीत बज रहे हैं. परंतु आज घर-घर में छठी मैया के गीत सुनाई दे रहे थे. व्रती स्त्री पुरुष छठ मैया के गीत सुनते हुए आस्था और भक्ति के सागर में गोते लगाने लगते हैं.
आज नहाए खाए था. व्रती स्त्री पुरुषों ने चावल, लौकी की सब्जी व चना दाल आदि पूजा करने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. परिवार के बाकी सदस्यों ने भी आज यही प्रसाद खाया. नहाए खाए के लिए लौकी की सब्जी का प्रसाद हर व्रती के लिए जरूरी होता है. इसको देखते हुए बाजार में लौकी की मांग बढ़ गई. एक लौकी ₹50 से लेकर ₹70 तक में बिकी.
शनिवार को खरना के साथ ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. उस दिन बाजार में काफी भीड़ हो जाती है. क्योंकि अधिकांश लोग छठ महापर्व के लिए फलों और पूजन सामग्रियों की खरीददारी करते हैं. परिवार के लोग या स्वयं व्रती महिलाएं छठ पूजन सामग्री लेने के लिए बाजार में जाती है. इस महापर्व पर काफी खर्च होता है. जो साधन संपन्न होते हैं, उनके लिए तो कोई समस्या नहीं होती. लेकिन जो गरीब और निर्धन लोग होते हैं, उन्हें छठ महापर्व के लिए सामग्री खरीदने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
यह देखते हुए विभिन्न छठ पूजा कमेटियों की ओर से गरीब और निर्धन व्रती महिलाओं में छठ पूजा सामग्रियों का वितरण किया जाता है. ताकि उन्हें पूजा करने में कोई समस्या नहीं हो. इसके अंतर्गत विभिन्न तरह के फल, वस्त्र ,साड़ियां व अन्य पूजन सामग्री रहती हैं. पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी की अलग-अलग छठ पूजा समितियों के द्वारा छठ पूजन सामग्रियों का वितरण किया जाता रहा है. कुछ धार्मिक और सामाजिक संगठनों के द्वारा भी छठ व्रतियों में छठ पूजन सामग्री का वितरण किया जाता है.
आज सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत लगभग सभी वार्डों में छठ पूजा करने वाले स्त्री पुरुषों के बीच छठ पूजन सामग्रियों का वितरण किया गया. सिलीगुड़ी नगर निगम की ओर से भी छठ व्रती स्त्री पुरुषों के बीच छठ पूजन सामग्रियों का स्वयं सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने वितरण किया. गौतम देव ने वार्ड नंबर 41, वार्ड नंबर 42,वार्ड नंबर 43, वार्ड नंबर 44 और वार्ड नंबर 45 में छठ पूजन सामग्रियों का वितरण किया और छठी मैया से सिलीगुड़ी के नागरिकों के लिए सुख व शांति का आशीर्वाद मांगा.
सिलीगुड़ी जिला तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी कई वार्डों में छठ पूजा सामग्रियों का वितरण किया गया है. तृणमूल कांग्रेस जिला चेयरमैन आलोक दा, सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव, डिप्टी मेयर राणा सरकार तथा अन्य पदाधिकारियो की उपस्थिति में छठ पूजन सामग्रियों का वितरण किया गया. राम भजन महतो ने बताया कि एक नंबर वार्ड में आज 500 लोगों में छठ पूजन सामग्रियों का वितरण किया गया है.
उधर SJDA की ओर से भी व्यक्तिगत स्तर पर छठ पूजन सामग्रियों का सिलीगुड़ी में वितरण किया गया. इसके अंतर्गत आटा और साड़ियां प्रमुख थी. SJDA के प्रमुख सौरभ चक्रवर्ती ने सिलीगुड़ी के वार्ड नंबर 1, 4, 46,18 और 45 नंबर वार्ड में छठ पूजन सामग्री का वितरण किया. SJDA के चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर उन्होंने छठ व्रत के लिए पूजन सामग्री का वितरण किया है. मुख्यमंत्री चाहती हैं कि छठ व्रती को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े. उन्होंने कहा कि आज 25000 लोगों में छठ पूजन सामग्री वितरण करने का लक्ष्य लिया गया है.
सिलीगुड़ी में छठ महापर्व लगभग सभी धर्म और वर्ग के लोग करते हैं. शनिवार से छठ महापर्व की आस्था का रंग हर एक नागरिक पर देखा जा सकेगा. व्रती स्त्री पुरुष दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को खरना करते हैं. पूरे विधि विधान के साथ छठी मैया की पूजा करते हुए व्रती दूध और गुड़ से बने खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके बाद उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.
छठ महापर्व अत्यंत सफाई और स्वच्छता का पर्व है. यहां तक कि व्रती स्त्री पुरुष ब्रश करने के लिए भी पेस्ट या दंत मंजन का इस्तेमाल नहीं करते और आम का डंठल या पेड़ की मुलायम टहनी का इस्तेमाल करते हैं. शनिवार की रात में ही छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसमें ठेकुआ प्रमुख होता है. रविवार को पहला अर्घ्य होगा. दऊरा सजाने और प्रसाद बनाने का काम व्रती स्त्री पुरुष स्वयं अपने हाथों से करते हैं और शाम होते ही छठ घाट पर पहुंच जाते हैं. डूबते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है.
कई व्रती महिलाएं रात के समय कोशी भी भरती हैं. इसमें गन्ने या ईख की प्रमुख भूमिका होती है. कलश पर पूजा की जाती है और छठी मैया के गीत गाए जाते हैं. रात व्रती स्त्री पुरुष जागकर बिताते हैं और दऊरा के पास ही रहते हैं. इसके बाद सुबह होते ही दऊरा लेकर घाट पर पहुंच जाते है और उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद छठ महापर्व का समापन हो जाता है.