November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
Uncategorized

कोलकाता में तहलका मचा रहे एडिनोवायरस से सिलीगुड़ी को भी सावधान होने की जरूरत!

कोरोना तो नहीं आया, लेकिन कोरोना के समान ही एडिनोवायरस राज्य में दस्तक दे चुका है और यह वायरस कोरोना से कम घातक नहीं है. कोलकाता और दक्षिणी जिलों में वायरस से अब तक पांच पीड़ित बच्चों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइंस जारी किया है.

इस बीमारी के लक्षण क्या है, आपको भी जान लेना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन में एडिनोवायरस से संक्रमित बीमार के लक्षण बताए गए हैं. अगर 3 दिनों से अधिक बुखार, खांसी,नाक बहना अथवा गले में खराश, सांस संबंधी शिकायत आदि कोई भी समस्या हो तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए.

जबकि पीड़ित बच्चे को तब अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है, जब 3 से 5 दिनों के बाद भी बुखार कम नहीं होता है. सांस संबंधी समस्या बढ़ती जा रही हो. मरीज का ऑक्सीजन लेवल 92% से कम हो गया हो और मरीज की भूख लगभग 50% समाप्त हो चुकी हो, तो समझ लेना चाहिए कि बच्चे को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है. इस बीमारी में अगर रोगी बच्चा दिन में 5 बार से कम पेशाब करता है तो उसे अस्पताल में तुरंत भर्ती करने की आवश्यकता होती है.

कोलकाता और आसपास के जिलों में फैले इस वायरस को देखते हुए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सतर्क हो गए हैं और लोगों को स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस का पालन करने का निर्देश दे रहे हैं. विशेषज्ञों की बैठक में इस वायरस से बचाव के लिए मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश दिया गया है.

कोलकाता में यह वायरस किस हद तक फैला है, इसी से पता चल जाता है कि वहां के सरकारी और निजी अस्पतालों में बच्चों के वार्ड भर चुके हैं. कई अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है. कोलकाता के बी सी राय अस्पताल में अब तक इस वायरस से 6 बच्चों की मौत हो चुकी है. विभिन्न अस्पतालों से भी बुरी खबर आ रही है.

इस वायरस के बारे में विशेषज्ञों की जो राय है उसके अनुसार यह वायरस कोरोना से भी काफी पुराना है. यह वायरस बच्चों में सबसे आम है. डॉक्टरों के अनुसार 2018 के बाद यह वायरस लौटा है. डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि इस बार वायरस की गंभीरता 2018 से कहीं ज्यादा होगी.क्योंकि कोरोना के चलते बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो गई है. कोरोना काल में लंबे समय तक बच्चे घर से बाहर नहीं निकले थे. ऐसे में उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो चुकी है. ऐसे में यह वायरस उन्हें आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज समेत विभिन्न अस्पतालों के स्वास्थ्य चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की है कि अगर किसी बच्चे की नाक बहती हो, उसे बुखार हो, आंखों से पानी आता हो अथवा उसकी आंखें लाल हो जाए, सांस लेने में तकलीफ हो तो अभिभावकों को सतर्क हो जाना चाहिए. अगर आपका बच्चा बीमार है तो उसे स्कूल नहीं भेजा जाए. सर्दी, खांसी या सांस लेने में दिक्कत होने पर बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और भूल कर भी स्कूल नहीं भेजना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *