नौकरियों के अवसर लगातार कम होते जा रहे हैं. ऐसे में युवाओं के समक्ष रोजी रोटी का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. कई लोग छोटे-मोटे रोजगार करना चाहते हैं. लेकिन इसके लिए उनके पास पैसा नहीं है. और बैंक बगैर किसी गारंटी के लोन देने के लिए तैयार नहीं है. परंतु अब शायद आपको ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े.
क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी छोटे-मोटे उद्योग लगाने की इच्छुक महिलाओं और युवाओं को लोन देने के लिए तैयार है. अगर आप सिलाई ,कढ़ाई, पोल्ट्री फॉर्म, शाल पत्ते की थाली जैसे व्यवसाय करना चाहते हैं तो पैसे की चिंता मत करें. सरकार आपकी मदद करेगी.
1 अप्रैल से द्वारे सरकार शिविर शुरू हो रहा है. सिलीगुड़ी के नजदीक क्षेत्रों में भी कैंप लगेगा. इन्हीं कैंपों में लघु उद्योग लगाने की अनुमति आपको मिलेगी. अनुमति मिलने के तुरंत बाद आपके नाम से फ्यूचर क्रेडिट कार्ड जारी किया जाएगा. इसके माध्यम से आप बैंक से ₹500000 तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं. इन पैसों से आप छोटे-मोटे उद्योग आसानी से स्थापित कर सकते हैं. बैंक से लोन की गारंटी राज्य सरकार दे रही है. अतः आपको किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है.
द्वारे सरकार शिविर से पहले राज्य सचिवालय के द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों के शासकों, अतिरिक्त जिला शासक और महकमा शासक के साथ वर्चुअल बैठक कर ली गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फ्यूचर क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद पहले चरण में आवेदक को ₹25000 मिलेंगे. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि बेरोजगार युवाओं तथा महिलाओं को रोजगार में मदद मिलेगी.
लेकिन दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां राज्य सरकार के इस फैसले को पंचायत चुनाव से जोड़कर देख रही है और ग्रामीण मतदाताओं का का वोट खरीदने की इसे साजिश बता रही है. विपक्षी पार्टियों के द्वारा मतदाताओं को भड़काया जा रहा है कि कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में वे मुश्किल में पड़ जाएंगे. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि हर चीज में राजनीति देखना भाजपा और विपक्षी पार्टियों की आदत बन गई है.
बहरहाल जनता को, कौन क्या कहता है, इससे कोई लेना-देना नहीं है. उसे तो अपना लाभ देखना है. अगर राज्य सरकार उद्योग लगाने में युवाओं की मदद कर रही है तो यह एक अच्छी बात है. विपक्षी पार्टियां कुछ भी कहे, परंतु मतदाताओं पर इसका खासा असर पड़ेगा. टाइमिंग को लेकर हो सकता है कि भाजपा तथा दूसरे विपक्षी दल शोर-शराबा करें, परंतु जानकार मानते हैं कि पंचायत चुनाव से पहले मतदाताओं को प्रभावित करने की ममता बनर्जी की यह सोची समझी रणनीति है.