आप आए दिन न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस द्वारा नशीले पदार्थों की बरामदगी की खबरें पढते सुनते होंगे. जिस तरह से सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के विभिन्न थानों के द्वारा सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों से नशीले पदार्थों की बरामदगी और नशे के सौदागरों की गिरफ्तारी हो रही है, उसके बाद यह सवाल उठना लाजमी हो गया है कि क्या सिलीगुड़ी शहर मादक पदार्थों का हब बनता जा रहा है?
अब तक मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारियों द्वारा नशीले पदार्थों की छोटी बड़ी बरामदगी होती रही है. परंतु ऐसी खबरों पर लोगों का ध्यान अब कम ही जाता है, क्योंकि यह मान लिया गया है कि सिलीगुड़ी और संपूर्ण उत्तर बंगाल इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी आम हो चुकी है. लेकिन आज जिस घटना ने सबको चौंका दिया है, वह घटना सिक्किम से जुड़ी है. सिक्किम में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए एक सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा था. जिन दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है, वे सिक्किम सरकार में वाहन चालक हैं.
पुलिस आरोपियों से तो पूछताछ करेगी ही और सच्चाई का पता लगाएगी. परंतु आरंभिक जानकारी और साक्ष्यों से कहीं ना कहीं सिक्किम सरकार और प्रशासनिक तंत्र पर एक दाग तो लग चुका है. स्वच्छ, सुंदर, पारदर्शी तंत्र और छवि के सिक्किम प्रदेश में नशा के व्यापार के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल सिक्किम सरकार की छवि को धूमिल करता है और मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग की शासन व्यवस्था और सरकारी तंत्रों की कार्यशैली पर सवाल भी उठाता है…
शायद सिलीगुड़ी के इतिहास में यह पहला मौका है, जब अवैध कार्यों के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल किया गया है. हो सकता है कि यह फर्जी भी हो, परंतु भक्ति नगर पुलिस ने जिस वाहन को जप्त किया है, उस वाहन का नंबर प्लेट सिक्किम प्रदेश और सरकार का है. अब तक यह भी पता चल चुका है कि जिन दो लोगों को भक्ति नगर पुलिस ने हिरासत में लिया है, वे दोनों सिक्किम सरकार में कार्यरत हैं.
फिल्मों और फेंटेसी की दुनिया में तो आपने एंबुलेंस के जरिए अवैध कार्यों को होते खूब देखा होगा. यथार्थ की दुनिया में ऐसी घटनाएं कभी कभार ही सुनने को मिलती है. एंबुलेंस को कभी पुलिस रोकती भी हो, कम से कम सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में ऐसा नहीं सुना गया है. इसी तरह से किसी सरकारी गाड़ी को पुलिस आमतौर पर तब तक तलाशी के लिए नहीं रोकती है जब तक पुलिस को भरोसा ना हो जाए कि गाड़ी का दुरुपयोग किया जा रहा है. दाद देनी होगी भक्ति नगर पुलिस के खुफिया सूत्रों की, जिन्होंने भक्ति नगर पुलिस को समय रहते सटीक जानकारी और प्रमाण उपलब्ध करा कर पुलिस टीम को ऑपरेशन के लिए तैयार किया.
सिक्किम और पहाड़ी क्षेत्रों में युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति ने ड्रग्स और नशीले पदार्थों के अवैध धंधे को प्रोत्साहन दिया है. लेकिन सिक्किम में नशीले पदार्थों की तस्करी सिलीगुड़ी से होती हो तो कहीं ना कहीं सिलीगुड़ी को नशे के हब के रूप में देखने का कौतूहल तो होगा ही. बहरहाल यह घटना भक्ति नगर पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है, जिसने एक बड़ी जोखिम और चुनौती का दृढ़ता के साथ मुकाबला किया है. भक्ति नगर पुलिस हालांकि ऐसे कारनामों के लिए जानी जाती रही है, परंतु हाल में यह एक बड़ी उपलब्धि है. जब भक्ति नगर पुलिस के आई सी अमरेश सिंह ने अपने मुखबिर से जानकारी के आधार पर आनन-फानन में सफेद पोशाक में पुलिस टीम का गठन कर लिया और पूरी योजना बनाकर अपना ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया है पूरा किया.
सिक्किम नंबर की सरकारी गाड़ी सिलीगुड़ी से सिक्किम जा रही थी. सफेद पोशाक पुलिस ने गाड़ी को रोका और तलाशी ली तो गाड़ी से भारी मात्रा में नशीले इंजेक्शन और अवैध कफ सिरप बरामद किया गया. जिन 2 लोगों को पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया है,वे भी सिक्किम सरकार में सरकारी वाहन चालक हैं.
इस बरामदगी के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. क्या सिक्किम में नशे की सप्लाई सिलीगुड़ी से होती रही है? क्या इस घटना में सिक्किम का सरकारी तंत्र और अधिकारी भी लिप्त हैं? सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस को इसका उत्तर ढूंढना ही होगा. क्योंकि नशे पर वार करना है तो नशे की जड़ तक पहुंचना जरूरी है. हो सकता है कि पकड़े गए दोनों व्यक्ति प्यादे हों और इस खेल का मास्टरमाइंड कोई और हो. हो सकता है कि वह सिक्किम सरकार में कोई अधिकारी हो या फिर कोई और… पुलिस दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर विस्तृत पूछताछ के लिए उन्हें रिमांड में ले सकती है. इस दौरान कई सच्चाई खुलकर सामने आ सकती है. तब तक हमें इंतजार करना होगा.