विभिन्न मीडिया खबरों तथा सोशल मीडिया में 1 अप्रैल से यूपीआई भुगतान महंगा होने की बात कही जा रही है. वर्तमान में यूपीआई भुगतान फ्री है. यानी इस पर कोई चार्ज नहीं लगता है. तो क्या 1 अप्रैल से यूपीआई भुगतान पर शुल्क लगाया जा रहा है? इस संबंध में एनपीसीआई ने स्पष्टीकरण दिया है. इसके अनुसार शुल्क तो लगेगा, लेकिन केवल पीपीआई पर. जो इसके लिए प्रस्तावित किया गया है. ना कि खाते से खाते के बीच होने वाले लेनदेन पर शुल्क लगाया जा रहा है.
कुछ ही दिनों पहले एनपीसीआई ने एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि यूपीआई पर होने वाले पीपीआई पर शुल्क लगाया जाए. आपको बताते चलें कि एनसीपीआई यूपीआई का संचालन करती है.एनसीपीआई के सर्कुलर में कहा गया है कि ₹2000 से अधिक की राशि के लिए यूपीआई पर पीपीआई का उपयोग करने से लेनदेन मूल्य का 1.1% शुल्क के रूप में देना पड़ेगा. एनपीसीआई की ओर से कहा गया है कि यूपीआई के अंतर्गत लेन-देन एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में होते हैं. ऐसे लेन देन पर प्रस्तावित शुल्क नहीं लगेगा. यानी ग्राहकों को अपनी जेब से अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा.
पीपीआई से लेनदेन पर 1 अप्रैल से निम्नलिखित चार्ज लग सकते हैं. मर्चेंट टू मर्चेंट लेनदेन पर 0.5 से 1.1% , इंटरचेंज 0.5% ,दूरसंचार ,डाकघर, शिक्षा ,कृषि के लिए 0.7%, सुपर मार्केट के लिए 0.9% और म्यूचुअल फंड, बीमा, रेलवे, प्रशासन आदि क्षेत्रों के लिए 1% तक चार्ज लग सकता है. 1 अप्रैल 2023 से शुल्क लागू हो सकते हैं. साफ संकेत है कि 1 अप्रैल से यूपीआई भुगतान यानी गूगल पे, फोन पे और पेटीएम के माध्यम से अगर आप पीपीआई का इस्तेमाल करते हुए ₹2000 से ज्यादा का भुगतान करते हैं तो इसके लिए आपको अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ सकता है.
दूसरी ओर यूपीआई लेनदेन करने वालों पर इसका कोई असर नहीं होगा. वह पहले की भांति ही मुफ्त में यूपीआई लेनदेन कर सकते हैं. सरकार डिजिटल व्यवस्था के अंतर्गत यूपीआई लेनदेन को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में अगर यूपीआई भुगतान व्यवस्था पर शुल्क लगाया जाता तो सरकार की मुहिम पर अवश्य ही असर पड़ता!