पश्चिम बंगाल के चंदन नगर पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत डानकुनी नगर पालिका क्षेत्र में 100 से अधिक अवैध खटालों को बुलडोजर चला कर हटवा दिया गया. खटाल मलिक देखते रह गए. लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने तब तक दम नहीं लिया, जब तक कि सिंचाई विभाग द्वारा बनवाई गई नहर के किनारे से अवैध खटालों को गिरा नहीं दिया गया. प्रशासन की इस कार्रवाई की तारीफ की जा रही है.
खटाल कहां नहीं है. सब जगह हैं.सिलीगुड़ी में किसी समय महानंदा नदी के तट पर खटालों की भरमार देखी जाती थी, जो प्रशासन की सख्ती के बाद धीरे-धीरे कम होती चली गई. इनमें से बहुत से अवैध खटाल थे, जिनमें से कुछ खटालों को सिलीगुड़ी नगर निगम ने कार्रवाई करके बहुत पहले ही हटा दिया था. उसके बावजूद अभी भी काफी संख्या में छोटे-बड़े अवैध खटाल महानंदा और दूसरी नदियों के तट पर देखे जा सकते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि खटालों का उचित संचालन नहीं होने तथा अवैध खटालों के कारण जल प्रदूषण, मच्छरों का प्रकोप और गंदगी का ढेर लग जाता है, जो अंततः नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.
खटाल रोजी रोजगार का एक साधन भी है. इसमें कई लोगों को रोजगार मिलता है. खटाल से नागरिकों को दूध की आपूर्ति होती है. खटाल नहीं रहने पर दूध का अभाव हो सकता है. प्रशासन खटालों को सशर्त खोलने की अनुमति देता है. नियम के अनुसार खटालों का उचित प्रबंधन, जल निष्कासन, अपशिष्ट प्रबंधन, साफ सफाई इत्यादि बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इस शर्त को पूरा करने पर ही खटालों को लाइसेंस दी जाती है. परंतु कुछ खटालों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश खटाल मलिक इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, जिससे गंदगी,जल प्रदूषण और खटाल के आसपास रहने वाले लोगों में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.
अधिकांश खटाल नदी या तालाब के किनारे स्थापित किए जाते हैं. इन खटालों की गंदगी सीधे नदी या तालाब में जाती है, जिससे जल प्रदूषण होता है. इससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है. दानकुनी खटाल मामले को ही ले लीजिए. दानकुनी नगर पालिका क्षेत्र में लगभग 1 साल पहले सिंचाई विभाग ने कई करोड़ रुपए खर्च कर नहर की मरम्मत करवाई थी. लेकिन नहर के किनारे अवैध खटालों से गोबर और अन्य अपशिष्ट गिरने के कारण नहर का एक हिस्सा जाम हो गया था. जिससे बारिश के मौसम में पूरे नगर पालिका क्षेत्र में जल जमाव की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही थी.
कुछ दिन पहले हर खटाल के बाहर नोटिस चिपकाए गए थे और अवैध रूप से खींची गई भूगर्भ जल की पाइपलाइन काट दी गई थी. बिजली विभाग ने भी कई खटालों की बिजली आपूर्ति काट दी थी. पशुपालन विभाग के लगभग 100 पशु चिकित्सकों ने खटाल क्षेत्र में जाकर सैकड़ो गाय, भैंस और बकरियों का स्वास्थ्य परीक्षण का आंकड़ा तैयार किया था. उसके बाद ही खटाल हटाने की कार्रवाई शुरू की गई.
खटालों की गंदगी सर्वविदित है. यही कारण है कि एनजीटी अवैध खटालों को हटाने का प्रशासन को निर्देश देती है. प्रशासन को नियम के अनुसार कार्रवाई करनी पड़ती है. दानकुनी खटाल उच्चेदन अभियान के बाद सिलीगुड़ी में अनेक नागरिक संगठनों ने प्रशासन की कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा है कि सिलीगुड़ी में भी बहुत से अवैध खटाल चल रहे हैं. इन अवैध खटालों पर प्रशासन कब कार्रवाई करेगा?
आपको बताते चलें कि एनजीटी ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि शहर में चलने वाले अवैध खटालों को बंद कराया जाए. एनजीटी का यह निर्देश कोई आज का नहीं है. समय-समय पर सिलीगुड़ी नगर निगम ने कार्रवाई भी की है. खटाल मालिकों के द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद निगम की कार्रवाई रुक जाती है. उसके बाद यह भी नहीं देखा जाता है कि क्या खटाल मालिकों ने एनजीटी के निर्देश का पालन किया है? प्रशासन की ढिलाई का फायदा खटाल मलिक उठाते रहते हैं, जब तक कि उनके खिलाफ मामला सामने नहीं आता है.
सिलीगुड़ी में भी ऐसा ही हो रहा है. यही कारण है कि आज भी चोरी छिपे खटालों का संचालन हो रहा है. दानकुनी नगर पालिका की कार्रवाई के बाद उम्मीद की जा रही है कि इसका प्रभाव सिलीगुड़ी पर भी पड़ेगा. सिलीगुड़ी नगर निगम सेवक रोड स्थित प्लेनेट मॉल की तर्ज पर एक बार फिर से शहर में यहां वहां चल रहे अवैध खटालों पर लगाम लगाने की करवाई कर सकती है.