December 16, 2025
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गरीबी के कारण 5 बच्चों संग फंदे से लटका पिता!

यह कैसी विडंबना है कि आधुनिक समय में जहां मनुष्य चांद और सितारों तक पहुंचने की बात करता है, जहां तकनीकी ने मानव की जिंदगी और जीवन शैली बदल दी है, उसी भारत में एक परिवार ऐसा भी था, जो गरीबी और देनदारी के जाल में इस कदर उलझ गया था कि उससे बाहर निकलने का जो रास्ता चुना, वह अत्यंत भयानक था! यह घटना विकसित भारत की तैयारी और परिकल्पना पर भी चोट करती है. यह कैसा आधुनिक भारत है, जहां गरीबी के कारण एक पिता को अपने चार-चार बच्चों के साथ फांसी लगाकर जान देनी पड़ी!

बिहार के मुजफ्फरपुर की यह घटना दिल को झकझोर देने वाली है. इस घटना से कई सवाल उठ रहे हैं. लेकिन उनका जवाब नदारद है. चलिए इस घटना की बात कर लेते हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अंतर्गत नवलपुर मिश्रौलिया गांव में अमरनाथ राम का परिवार रहता था. उनके परिवार में अमरनाथ राम की पत्नी दीपा देवी और पांच बच्चे थे. यह परिवार कर्ज व आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. घर में शाम का चूल्हा जलता ही नहीं था. बच्चे भूख से बिलबिला कर रह जाते थे.

मकान के नाम पर अमरनाथ के पिता को आवास योजना के अंतर्गत एक मकान मिला था. मकान में दो छोटे-छोटे कमरे बने थे. जिनमें अमरनाथ और उनके भाई रहते थे. परिवार में बेहद गरीबी थी. अमरनाथ का छोटा भाई आर्थिक तंगी से परेशान होकर पैसा कमाने पंजाब चला गया और वहां मजदूरी करने लगा. वह अपने परिवार के साथ पंजाब में ही रहता है. परिवार बड़ा हो और आमदनी नहीं हो तो कलह होना स्वाभाविक है. डीलर के मुफ्त राशन से उनका घर नहीं चलता था. इसलिए पास पड़ोसियों और दूर-दूर के रिश्तेदारों से ब्याज पर पैसा लेना पड़ता था.

धीरे-धीरे कर्ज बढ़ता चला गया. देनदारों का उनके घर आना-जाना शुरू हो गया. जब कोई तगादा करने आता तो अमरनाथ और उनकी पत्नी घर में छिप जाते थे. पैसे को लेकर उनके घर में रोज झगड़ा होता था. हालांकि अमरनाथ राजमिस्त्री का काम करता था, लेकिन उसे रोज काम नहीं मिलता था. बच्चे बड़े हो रहे थे. घर की आवश्यकता भी बढ़ रही थी. यह परिवार कर्ज पर कर्ज लेता जा रहा था. ऊपर से पति पत्नी में रोजाना झगड़े होते थे. बताया जाता है कि इसी मनहूस क्षण में एक दिन दीपा देवी ने जहर खाकर अपनी जान दे दी. यह फरवरी 2025 की बात है.

दीपा देवी के इस दुनिया से चले जाने के बाद अमरनाथ राम मानसिक रूप से टूट गया. उसके सामने एक विकट समस्या उत्पन्न हो गई. वह काम पर जाए या पांच-पांच बच्चों को संभाले. बच्चों को संभालने के लिए उसने काम पर जाना बंद कर दिया. इससे राजमिस्त्री के काम से जो कुछ भी थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी, वह भी बंद हो गई. कहते हैं कि मुसीबत जब आती है तो चारों तरफ से आती है.आर्थिक तंगी, बच्चों की जिम्मेदारी व अकेलेपन के बीच एक दिन राजमिस्त्री का काम करने वाले अमरनाथ का दाहिना हाथ टूट गया. यह घटना से 6 महीने पहले की बात है. हाथ टूटने के बाद अमरनाथ ने काम पर जाना बंद कर दिया.

धीरे-धीरे स्थिति इतनी खराब हो गई कि आरंभ में तो सगे संबंधियों से कुछ सहयोग मिल रहा था, लेकिन बाद में उन्होंने भी मुंह मोड़ लिया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. सभी बच्चों की आयु 11 साल से कम थी. तीन बेटियां क्रमशः 11, 9 और 7 साल की थीं. जबकि दो बेटे जिनकी आयु 6 और 4 साल की थी, उन्हें संभालना आसान नहीं था. भीख मांगने की नौबत आ गई. ऊपर से कर्ज देने वाले भी परेशान करने लगे. अमरनाथ की समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे.

घटना के दिन अमरनाथ घर पर ही था तभी बाइक पर सवार होकर तिगाला करने पहुंच गए उन्होंने बाइक अमरनाथ के घर के सामने लगा दी और उसे आवाज देने लगे अमरनाथ ने उनके सामने हाथ जोड़ा और कहा कि बहुत जल्द उनके पैसे का इंतजाम कर देगा यह घटना शाम की है इसके बाद अमरनाथ गांव में निकल गया और बाजार से एंड लेकर आया उसने अंडे की भुजिया बनाई और भारत बनाया 2 दिन से बच्चे कुछ खाए नहीं थे अमरनाथ ने उन्हें भरपेट खाना खिलाया और उसके बाद बच्चों समेत सो गया सुबह सवेरे 3:00 उसकी आंख खुली तो वह सोच के लिए गया उसके बाद सभी बच्चों को उसने जगाया और कहा कि अब बहुत जेली जिंदगी हो गई ओम बर्दाश्त नहीं होती यह कहां कानून उसने सभी बच्चों को एक दूसरे कमरे में ले गया और वहां राखी बक्से से अपनी पत्नी की तीन साड़ियां निकाल

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