September 5, 2025
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चंद्रग्रहण से रहें सावधान! पहाड़ी इलाकों में जल प्रलय होगा?

7 सितंबर यानी रविवार को इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है. 7 सितंबर को भादो का पूर्णिमा है. यह चंद्र ग्रहण कई मायनो में खास है और कई लोगों के लिए खतरनाक भी है. चंद्र ग्रहण का प्रभाव पशु पक्षी, मनुष्य ,प्रकृति सब पर देखने को मिल सकता है. यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा और भारत में पूरी तरह दिखाई देगा.

यह चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 7 सितंबर को रात्रि 9:58 से शुरू होगा और रात 1:26 पर उसका समापन होगा. रात्रि 11:42 पर चंद्रग्रहण अपने चरम पर होगा और यह ब्लड मून की तरह दिखेगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 से लग जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल में खाना, सोना और पूजा वर्जित है.

पहले विज्ञान की दृष्टि में चंद्र ग्रहण को समझते हैं. जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती है. तब चंद्रग्रहण होता है. इस चंद्र ग्रहण को लेकर खगोल शास्त्री और ज्योतिष आचार्य अपनी अलग-अलग धारणा रखते हैं. इस चंद्र ग्रहण का देश और दुनिया की भौगोलिक स्थिति पर प्रभाव पड़ना लोग मान रहे हैं.

ज्योतिष आचार्यों के अनुसार रविवार को लगने वाले चंद्र ग्रहण में राहु और चंद्रमा का जिस तरह से योग बन रहा है, उसका फलाफल सूर्य सिद्धांत में दिया गया है. इसके अनुसार जब भी ग्रहों की ऐसी स्थिति का निर्माण होता है, तो प्राकृतिक आपदाओं की प्रबल संभावना रहती है.

ज्योतिष विदों ने बताया है कि चंद्रमा जल का कारक होता है. इसलिए चंद्र ग्रहण के कारण जल सैलाब का अधिक प्रकोप रहता है. ऐसे में बाढ़, भारी वर्षा या जल सैलाब का खतरा अधिक देखने को मिलता है. खासकर पहाड़ी इलाकों में इसका ज्यादा प्रकोप देखा जा सकता है. सिलीगुड़ी के निकट दार्जिलिंग, कालिमपोंग, सिक्किम आदि पहाड़ी इलाके हैं. अगर सूर्य सिद्धांत की माने तो इन पहाड़ी इलाकों में जल सैलाब का अधिक खतरा नजर आ रहा है.

चंद्रमा को वनस्पतियों का भी स्वामी माना गया है. पहाड़ी इलाकों में वनस्पतियां अधिक पाई जाती हैं. इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में आपदाओं की ज्यादा संभावना रह सकती है. ऐसी प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव आम लोगों से लेकर पशु पक्षियों पर भी देखने को मिल सकता है, जो अनुकूल नहीं है. कुछ ज्योतिषीविदों ने यहां तक कहा है कि चंद्र ग्रहण से पहले पहाड़ी इलाकों में जल सैलाब आ सकता है.

वर्तमान में जम्मू कश्मीर में बाढ़ और भूस्खलन देखने को मिल रहा है. वैष्णो देवी के मार्ग में आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण कई लोगों की मौत हो गई. उससे पहले धाराली में बादल फटने से बाढ़ ने कहर बरपाया. पंजाब और मुंबई में लगातार भारी बारिश के चलते नारकीय स्थिति उत्पन्न हो गई. पंजाब के कई बड़े शहर पानी में डूब गए. दिल्ली में जमुना का पानी अब सरकारी दफ्तर में भी घुस गया है. तो क्या यह चंद्र ग्रहण का पूर्व प्रभाव है?

ज्योतिषविद मानते हैं कि रविवार को लगने वाले चंद्र ग्रहण का प्रभाव पड़ना तय है. खासकर पहाड़ी इलाकों में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है. इसलिए ज्योतिषविद कहते हैं कि पहाड़ के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. इसके अलावा चंद्र ग्रहण से उन लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है, जिनका जन्म शतभिषा नक्षत्र में हुआ है अथवा जिनकी चंद्रमा की महादशा चल रही है अथवा पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण में जिन व्यक्तियों का का जन्म हुआ है, ऐसे सभी लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.

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