बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में व्यस्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्य के कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठ रहा है. पटना के एक चर्चित कारोबारी और मगध अस्पताल के मालिक गोपाल खेमका की जिस तरह से गोली मारकर हत्या की गई है, यह घटना अपराधियों के दुस्साहस और उनके पुलिस और कानून से बेखौफ होने का भी परिचायक है. सबसे बड़ी हास्यास्पद स्थिति यह है कि जिस स्थान पर गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या की गई, वह स्थान पुलिस थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है. हत्या की वारदात की जानकारी देने के बावजूद पुलिस को मौके पर पहुंचने में 2 घंटे से ज्यादा समय लग गया.
बिहार की राजधानी पटना ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में गोपाल खेमका की हत्या की सनसनी ऐसी है कि लोगों के मुंह से स्वत: निकल रहा है कि क्या बिहार में जंगल राज 2 की वापसी हो रही है? अक्टूबर नवंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव है. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता जनता के बीच जा रहे हैं. ऐसे समय में इस तरह की हत्या की वारदात और पुलिस की निष्क्रियता से ऐसा लगता है कि बिहार में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति अत्यंत खराब है. सबसे बड़ी हास्यास्पद स्थिति यह है कि नीतीश कुमार की टीम के लोग आज भी बचकानी बयान दे रहे हैं कि लालू के जंगल राज से यह बहुत कम है.
बताया जा रहा है कि यह घटना पिछली रात लगभग 11:00 बजे की है, जब गोपाल खेमका गांधी मैदान के दक्षिणी इलाके में स्थित एक होटल के पास स्थित अपने आवास पर उतरे थे. उसी समय दो कारों के बीच छिपे शूटर ने बड़े आराम से उन पर गोलियां बरसाते हुए उनका काम तमाम कर दिया और वहां से रफू चक्कर हो गया. घटना की जानकारी गांधी मैदान पुलिस को दी गई.आरोप है कि गांधी मैदान पुलिस वारदात की जानकारी के लगभग ढाई घंटे बाद मौके पर पहुंची थी और गोपाल खेमका के शव को बरामद करके पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया था.
गोपाल खेमका बहुत से कारोबार करते थे. मगध अस्पताल के अलावा उनकी कई फैक्ट्रियां भी हैं.वे एक क्लब से संबंध रखते थे.इसके अलावा भाजपा के साथ भी वे जुड़े हुए थे. पटना के सबसे चर्चित व्यापारियों में से एक रहे गोपाल खेमका के पुत्र गुंजन खेमका की भी लगभग 7 साल पहले गोली मारकर हत्या कर दी गई गुंजन खेमका की हत्या उनकी फैक्ट्री के बाहर की गई थी.जबकि गोपाल खेमका की हत्या उनके आवास के बाहर की गई है..
इस हत्याकांड की सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि गोपाल खेमका के हत्यारे बखशे नहीं जाएंगे. राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने अपने बयान में कहा है कि जब पाश एरिया में लोग सुरक्षित नहीं है, तो ऐसे में आम जनता का क्या हाल होगा. इस हत्याकांड को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पुरजोर आलोचना हो रही है. चर्चा तो यह भी है कि जनता में नीतीश कुमार को बदनाम करने के लिए एक पार्टी के द्वारा खूब सोच समझकर राज्य में कानून एवं व्यवस्था को पंगु बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजधानी पटना से लेकर सिवान तक हत्या की बारदातों में वृद्धि हुई है. सिवान में तो दिनदहाड़े हत्या की वारदात हुई. इस तरह की कई बारदातें पिछले एक हफ्ते में पटना और आसपास के इलाकों में घटित हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहा जाता है.लेकिन लगातार बढ़ रही घटनाओं ने उनके सुशासन पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. सवाल तो पुलिस की कार्य शैली पर भी उठने लग लगा है आखिर गांधी मैदान थाने से 500 मीटर की दूरी पर स्थित वारदात स्थल पर पहुंचने में पुलिस को 2 घंटे से अधिक समय कैसे लग गया.
पटना एसपी दीक्षा ने बताया कि पुलिस गोपाल खेमका के हत्यारों की तलाश में जुट गई है. बहुत जल्द उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई है. जाच के क्रम में पुलिस को मौके से एक गोली और एक खोखा मिला है. अब देखना है कि यह घटना नीतीश कुमार के राजनीतिक कैरियर को किस तरह प्रभावित करती है. क्योंकि चुनाव का मौका है और विपक्ष चुप नहीं बैठेगा. लालू यादव के शासनकाल को जंगल राज कहा जाता है.20 वर्षों से शासन करने वाले नीतीश कुमार पर भी अब यही सवाल लगने जा रहा है. नीतीश कुमार को इसका जवाब देना होगा!.