जल्दापाड़ा नेशनल पार्क के महावत और कर्मचारियों के द्वारा 14 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की जानकारी मिल रही है. ऐसे में जल्दापाड़ा का जंगल सफारी बंद हो सकता है. इसके साथ ही हड़ताल की अवधि में वन्यजीवों की सुरक्षा और भोजन पर भी संकट उठ खड़ा हुआ है. क्योंकि आंदोलन में शामिल कर्मचारियों एवं महावतों के द्वारा कहा जा रहा है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक वह ना तो हाथियों को चारा डालेंगे और ना ही सफारी एक्टिविटीज को चालू रखेंगे.
जल्दापाड़ा नेशनल पार्क में इस समय 78 हाथी हैं. ऐसे में अगर हड़ताल होती है तो हाथियों की देखभाल और रखरखाव में समस्या उत्पन्न होगी. इसके साथ ही पर्यटन पर भी भारी असर होगा. उत्तर बंगाल में मुख्य रूप से जल्दापाड़ा का जंगल सफारी और सिलीगुड़ी का बंगाल सफारी काफी लोकप्रिय पर्यटन स्थान है. जहां सफारी के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. ऐसे में अगर जल्दापाड़ा का जंगल सफारी बंद होता है तो पर्यटक काफी संख्या में बंगाल सफारी की ओर उन्मुख होंगे.
जानकारों का मानना है कि हो सकता है कि सरकार और वन विभाग समय रहते जल्दापारा के कर्मचारियों और महावतो की समस्या के निराकरण के उपाय कर ले. अन्यथा वन्य जीवो पर इसका असर तो होगा ही, साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में भी भारी असर होगा. वही सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी से जुड़े जानकार मानते हैं कि अगर जल्दापारा का जंगल सफारी बंद होता है तो उस दौरान सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी में पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है. कमाई के दृष्टिकोण से बंगाल सफारी काफी महत्वपूर्ण होगा.
सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के पशु प्रेमी संगठन नहीं चाहते हैं कि जल्दापारा में जंगल सफारी प्रभावित हो सके. इसलिए वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द कर्मचारियों की समस्या का निराकरण हो सके. आपको बताते चलें कि जल्दापारा नेशनल पार्क के महावत और कर्मचारी अपनी 4 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर जा रहे हैं. उनकी मांगों में खाली पदों पर भर्ती, समान काम का समान वेतन ,काम के दौरान जंगली जानवरों के हमले में जख्मी होने पर स्वास्थ्य एवं अन्य खर्च सरकार द्वारा वहन करना तथा मृत्यु होने पर सरकारी मुआवजा के साथ ही मृतक के परिजन को सरकारी नौकरी देना शामिल है.
सिलीगुड़ी के प्रमुख जानकार और अनुभवी पशु प्रेमी तथा पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर जल्दापारा नेशनल पार्क में कर्मचारियों के द्वारा हड़ताल की जाती है तो सिलीगुड़ी में बंगाली नव वर्ष, वीकेंड तथा संडे के मद्देनजर बंगाल सफारी में आने वालों की तादाद बढ़ेगी और बंगाल सफारी प्रबंधन को इसका काफी आर्थिक लाभ होगा. अब देखना होगा कि वन विभाग महावत के आंदोलन और हड़ताल की चेतावनी को किस रूप में लेता है तथा इसका समय रहते हल निकाला जाता है या नहीं.