एक पुरानी कहावत है, देर आए दुरुस्त आए! न्याय के मामले में अक्सर ऐसा ही होता है. कचहरियों में मामले लंबित रहते हैं. कोर्ट का फैसला जल्दी नहीं आता. सिलीगुड़ी के बहु चर्चित डांगी पाड़ा हत्याकांड का फैसला आने में भी 12 साल लग गए. परंतु कोर्ट ने आखिरकार हत्यारे को सजा सुना कर मृतका की भटक रही आत्मा को जरूर शांति पहुंचाई है. यह मामला सिलीगुड़ी फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था.
आज से लगभग 12 साल पहले 26 जून 2012 की घटना है. सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत वार्ड नंबर 6 के डांगीपाड़ा स्थित कुम्हार टोली इलाके में नवीन नायक अपनी पत्नी के साथ रहता था. नवीन नायक गाड़ी चलाता था. उसने अपनी उम्र से लगभग 10 साल बड़ी एक महिला से प्रेम विवाह रचाया था. शादी के बाद पति-पत्नी दोनों कुम्हार टोली इलाके में किराए के मकान में रहने लगे. कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा. लेकिन जब प्रेम की खुमारी उतरने लगी, तो पति-पत्नी में कलह शुरू हो गई.
दोनों आए दिन आपस में झगड़ने लगे. कभी-कभी दोनों के बीच विवाद इस कदर बढ़ जाता कि पड़ोसियों को हस्तक्षेप करना पड़ जाता. हालत यह हो गई कि दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन गए और उनका एक छत के नीचे रहना दूभर होने लगा. 26 जून की रात नवीन नायक और उसकी पत्नी ने फिर से झगड़ा शुरू कर दिया. इस बीच नवीन नायक ने पत्नी से छुटकारा पाने का पूरी तरह मन बना लिया था. देर रात तक उनका झगड़ा चलता रहा. रात्रि के लगभग 3:00 बजे थे. इसी समय नवीन ने धारदार चाकू से अपनी पत्नी पर वार करना शुरू कर दिया और जब तक वह शांत नहीं पड़ गई, वह लगातार चाकू से वार करता रहा.
महिला की चीख पुकार सुनकर आसपास के किराएदार जग गए. उन्होंने मकान मालिक को भी मामले की जानकारी दी तो मकान मालिक आ गया. इसके बाद पड़ोसियों और मकान मालिक ने नवीन नायक को दरवाजा खोलने के लिए कहा. पहले तो कमरे के अंदर बत्ती जल रही थी. लेकिन बाद में नवीन नायक ने अंदर की बत्तियां बुझा दी. उसने दरवाजा नहीं खोला. इसके बाद मकान मालिक ने नवीन को आखिरी चेतावनी देकर कहा कि या तो वह दरवाजा खोले अन्यथा दरवाजा तोड़ दिया जाएगा.
इसके बाद नवीन ने दरवाजा खोला. मकान मालिक और पड़ोसियों ने पूछा कि घर से तुम्हारी पत्नी की चीख सुनाई पड़ रही थी. क्या बात है. नवीन ने गोल-मोल जवाब दिया. मकान मालिक को विश्वास नहीं हुआ तो वह अन्य लोगों के साथ उसके कमरे में घुस गए. उन्होंने देखा कि फर्श पर नवीन की पत्नी मृत पड़ी थी. उसके पेट पर चाकू से वार किया गया था. यहां तक कि उसकी अंतडियां तक बाहर आ चुकी थी. इस बीच मौका मिलते ही नवीन नायक वहां से फरार हो गया.
इस घटना की सूचना सिलीगुड़ी थाना को दी गई. सिलीगुड़ी थाना की पुलिस SI महेश सिंह के नेतृत्व में मौके पर पहुंची. पुलिस ने मृतका के शव का निरीक्षण किया और उसके बाद पोस्टमार्टम के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया. सिलीगुड़ी थाने में हत्या का मामला दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी और आरोपी हत्यारे की तलाश शुरू कर दी. 19 जून को पुलिस को पता चला कि एनटीएस मोड़ पर आरोपी हत्यारा मौजूद है. पुलिस दल ने शीघ्रता की और तत्काल मौके पर पहुंचकर आरोपी नवीन नायक को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने उसे अगले दिन सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे रिमांड में लेकर पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी. नवीन की निशाने देही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त धारदार चाकू भी बरामद कर लिया. इसके बाद पुलिस ने साक्ष्य जुटाए और निर्धारित समय के भीतर अदालत में नवीन नायक के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी. इस मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरू हुई. सरकारी पक्ष के वकील समीरन सूत्रधर थे.
मामले की सुनवाई के दौरान 22 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. पुलिस ने सभी सबूतों का सत्यापन कराया. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सिलीगुड़ी फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश मानिक दास गुप्ता ने नवीन नायक को पत्नी की हत्या का कसूरवार ठहराया और उसे आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई. सरकारी वकील समीरन सूत्रधर ने अदालत के फैसले को अपराधियों के लिए सबक बताया है. हालांकि बचाव पक्ष ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की जानकारी दी है.