तराई और पहाड़ के टैक्सी चालकों के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस विवाद के हल के लिए प्रशासन को अल्टीमेटम दिया गया है. आज प्रशासन को इस पर फैसला कर लेना है.अगर विवाद और गहराता है तो कल तराई के टैक्सी चालक संगठन एक बैठक करेंगे और इस बैठक में भावी रणनीति पर विचार विमर्श किया जाएगा और उसके बाद ही उनके आंदोलन की रणनीति स्पष्ट होगी.
सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार तराई के टैक्सी चालकों के साथ पहाड़ में कुछ चालक बुरा व्यवहार कर रहे हैं. उन्हें गंतव्य स्थल पर जाने से रोक रहे हैं. आरोप है कि तराई के टैक्सी चालक जब पहाड़ में जाते हैं तो पहाड़ के कुछ माफिया टाइप के लोग उनकी गाड़ी रोक देते हैं और उनकी टैक्सी में बैठे पर्यटकों को उनके खिलाफ भड़काते हैं. फिर उन्हें जबरन अपनी टैक्सी में बिठाकर पर्यटक स्थल तक पहुंचाते हैं.
यह भी आरोप है कि तराई के टैक्सी चालकों को पहाड़ में पार्किंग की जगह भी नहीं दी जाती और उन्हें विभिन्न तरह से परेशान किया जाता है. तराई के चालकों का आरोप है कि जब वे उनकी गुंडागर्दी की शिकायत पुलिस से करते हैं तो उल्टे उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करा दिए जाते हैं. तराई के टैक्सी चालकों का रोना है कि उन्हें टैक्सी की किस्त भी भरनी पड़ती है. उनकी इतनी आमदनी नहीं है कि किस्त भी भर सके और परिवार का खर्चा भी चला सके. ऐसे में उन्होंने प्रशासन से हस्तक्षेप करने की मांग की है.
चालक संगठनों के जॉइंट फोरम की रविवार को बागडोगरा में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. इस बैठक में न्यू जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, बागडोगरा और विभिन्न तराई क्षेत्र के चालक शामिल हुए. इस बैठक में पहाड़ की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई. चालक संगठनों ने एकजुटता का संदेश दिया और स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा गया. बैठक में प्रशासन से अपील की गई है कि या तो प्रशासन हस्तक्षेप करे या फिर वे अपनी भविष्य की रणनीति तय करेंगे.
प्रशासन ने चालक संगठनों को आश्वासन दिया है. लेकिन दूसरी तरफ तराई के चालक संगठन काफी गंभीर हैं और उन्होंने संकेत दिया है कि अगर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो मंगलवार को चालक संगठन के लोग एक बार फिर बैठक करेंगे और उसके बाद ही भावी रणनीति तय की जाएगी. सूत्र बता रहे हैं कि तराई के चालक संगठन आपसी एकता और पूरी तैयारी के साथ एकजुट हो रहे हैं.
उधर दार्जिलिंग जिला इंटक समर्थित टैक्सी कैब यूनियन चालकों की भी एक बैठक हुई है. इस बैठक में मौजूदा स्थिति पर उन्होंने भी चर्चा की है. जिला नेतृत्व को इस बारे में उन्होंने अवगत करा दिया है. इस पूरे मसले का सारांश यह है कि तराई और पहाड़ के टैक्सी चालकों का विवाद सुलझाने की कोशिश की जा रही है. यह विवाद और कितना लंबा खींचेगा तथा दोनों पक्षों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए प्रशासन क्या पहल करता है, यह भी देखना होगा. लेकिन एक बात तय है कि अगर यह विवाद लंबा चलता है तो इसका पहाड़ में पर्यटन पर भारी असर पड़ने वाला है!
