सिक्किम और बंगाल में तीस्ता नदी रौद्र रूप धारण कर चुकी है. इस नदी ने सिक्किम का व्यापक नुकसान किया है. पूरा सिक्किम त्राहि त्राहि कर रहा है.लोगों को पीने के लिए पानी नहीं. रहने के लिए छत नहीं. खाने के लिए अनाज नहीं. चारों तरफ अस्त व्यस्त. फिलहाल तो सिक्किम की यही पहचान नजर आ रही है.
इस समय सिक्किम में जलजला सा आया है. सिक्किम की महत्वपूर्ण सड़क बाढ़ में बह गई है. कई पुल बह गए हैं. कई लोग बेघर हो गए तो कई लोग शरणार्थी शिविर के शरणागत हो चुके हैं. हाट बाजार सब जगह घोर संकट. कई साधारण लोग और सैनिक लापता बताए जा रहे हैं. कई लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार अपनी तरफ से जितना भी संभव हो सकता है, एसडीआरएफ के साथ मिलकर राहत अभियान चला रही है. यह सब स्थिति तीस्ता नदी के कारण ही उत्पन्न हुई है.ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या तीस्ता नदी सिक्किम के लिए अभिशाप है?
फिलहाल तो सिक्किम के लोग इस प्राकृतिक आपदा के बाद यही कुछ कह सकते हैं. अभी तक यह पता नहीं चला है कि यहां जान माल को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा है. सरकार फिलहाल तो लोगों को राहत पहुंचाने के काम में जुटी हुई है. जिन सेना के जवान सुबह नदी की चपेट में आकर बह गए थे, उन्हें भी ढूंढा जा रहा है. मुख्य सड़क से संपर्क कटने के बाद सिक्किम जैसे एक जगह ठहर गया है. बरसों बाद सिक्किम में इस तरह का मंजर देखा जा रहा है. लेकिन जो लोग तीस्ता नदी को सिक्किम का अभिशाप बता रहे हैं, उन्हें इसके दूसरे पहलू को भी देखना जरूरी है.
तीस्ता नदी सिक्किम के लिए अभिशाप है या वरदान,इस सवाल का उत्तर जानने के लिए सबसे पहले तीस्ता नदी का इतिहास जानना होगा. तीस्ता नदी सिक्किम की जीवन रेखा कही जाती है. केवल सिक्किम ही क्यों, पश्चिम बंगाल और पड़ोसी देश बांग्लादेश के लिए भी यह जीवन रेखा कही जाती है. इस नदी की उत्पत्ति सिक्किम के हिमालय क्षेत्र की पाहुनरी ग्लेशियर से हुई है. कहा जाता है कि तीस्ता नदी के जल पर सिक्किम की एक बहुत बड़ी आबादी आश्रित है. सिक्किम के लोगों को पीने के लिए, कृषि के लिए और सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता की पूर्ति तीस्ता नदी से होती है. यह नदी सिक्किम के बाद बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के लोगों का भी कल्याण करती है.यह तीस्ता नदी ही है, जिसके जल का उपयोग पीने, कृषि ,सिंचाई आदि क्षेत्रों में की जाती है.
यह नदी सिक्किम से निकलकर बंगाल और बांग्लादेश में रंगपुर होते हुए बांग्लादेश में समा जाती है. यह नदी सिक्किम और पश्चिम बंगाल का सीमा निर्धारण करती है. इस नदी की कुल लंबाई 309 किलोमीटर तथा इसका कुल अपवाह क्षेत्र 12540 वर्ग किलोमीटर है.सिक्किम में यह नदी 150 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है. यही कारण है कि जब इस नदी में बाढ़ आती है तो सिक्किम के कम से कम 4 जिले इसकी चपेट में आ जाते हैं. जो वर्तमान में दिख भी रहा है. ऐसे में हम यह नहीं कह सकते कि तीस्ता नदी सिक्किम के लिए अभिशाप है.
हर साल तीस्ता नदी में बाढ़ आती है. कभी सिक्किम तो कभी दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिले में इस नदी के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. आखिर तीस्ता नदी में बाढ क्यों आती है? और इस बाढ से सिक्किम को क्यों खतरा है? लोगों का कहना है कि अगर तेज बरसात ना हो अथवा ग्लेशियर पिघले नहीं तो सिक्किम में इस नदी से कोई खतरा नहीं है. पर जब यहां बादल फटता है अथवा ग्लेशियर पिघलता है तो डैम टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में जल विभाग को मजबूरन तीस्ता में पानी छोड़ना पड़ता है और यही बाढ का कारण बन जाता है. वैसे तीस्ता नदी एक बरसाती नदी है. क्योंकि गर्मियों में यह नदी सिकुड़ कर साधारण नदी बन जाती है. लेकिन बरसात के मौसम में यह विकराल रूप धारण कर लेती है.