इन दिनों उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल बच्चा चोरी मामले को लेकर सुर्खियों में है. पुलिस ने काफी जद्दोजहद और मशक्कत के बाद आखिरकार नवजात तथा शिशु चोर महिला को गिरफ्तार कर लिया . इस घटना को केंद्र कर विभिन्न संगठनों की ओर से जो प्रदर्शन किए गए, उसका प्रभाव माना जा रहा है. आए दिन उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इस तरह की घटनाएं देखी सुनी जाती है.
अस्पताल के प्रसूति विभाग से एक नवजात बच्चे की चोरी हो गई, जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ . पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और सीसीटीवी फुटेज तथा अन्य सूत्रों के सहारे बच्चा चोर का पता लगाने की कोशिश करती रही . परंतु पुलिस को जांच सूत्र को आगे बढ़ाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा था. यही कारण है कि शिशु चोर और शिशु को बरामद करने में पुलिस को काफी समय लग गया. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कहने को तो 160 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, परंतु उनमें से अधिकांश सीसीटीवी कैमरे विभिन्न तकनीकी कारणों से बंद पड़े हैं, जिनको दुरुस्त करने की कोशिश ही नहीं की गई.
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल एक बड़ा अस्पताल है, जहां दूर-दूर से रोगी इलाज के लिए आते हैं. यहां दार्जिलिंग ,कर्सियांग ,गंगटोक, जलपाईगुड़ी ,अलीपुरद्वार और यहां तक कि कूचबिहार, पड़ोसी राज्य बिहार और नेपाल के विभिन्न भागों से मरीज इलाज के लिए आते हैं.अस्पताल का इंफ्रास्ट्रक्चर कुछ ऐसा है कि यहां विभिन्न गेटों से होकर चोरों के घुसने का आसान रास्ता मिल जाता है. जबकि प्रशासनिक व्यवस्था के नाम पर सिर्फ दिखावा अथवा खानापूरी ही है.यही कारण है कि जब भी कोई बड़ी वारदात होती है तब अस्पताल प्रशासन जागता है और वही रटा रटाया अंदाज सबके सामने आता है कि इस बार कोई गलती या चूक नहीं होगी. पर असल में होता क्या है!
सिलीगुड़ी के लोग भूले नहीं होंगे जब इसी अस्पताल के रोगी कक्ष में एक कुत्ता घुसकर एक मरीज का कटा हुआ हाथ लेकर चला गया था, जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ था और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और बदइंतजामी के आरोप लगे थे. एक बार फिर से भाजपा और नागरिक संगठनों के द्वारा यही आरोप अस्पताल प्रशासन पर लगाया गया.
मेडिकल कॉलेज के सुपर संजय मलिक का घेराव किया गया. संजय मलिक हमेशा की तरह अस्पताल संसाधनों के अभाव का रोना रोने लगते हैं. वे कहते हैं कि यहां सुरक्षाकर्मियों की भी कमी है. कई बार स्वास्थ्य प्रशासन को बताया भी गया है, परंतु इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ.
डॉ संजय मलिक हो अथवा अन्य प्रशासनिक अधिकारी हर बार अपने बचाव के लिए कुछ इसी तरह की रणनीति निकालते रहे हैं. और सारा दोष प्रशासन पर लगाते रहे हैं. अब एक बार फिर से उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल को चाक-चौबंद करने की बात कही जा रही है.अस्पताल के सुपर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की बात कह रहे हैं. उनकी तरफ से आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही बाकी सीसीटीवी कैमरे चालू होंगे. इसके अलावा अस्पताल में आने के लिए अनेक गेट हैं.उनमें से कुछ गेट को बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा खास तौर पर प्रस्तुति विभाग में जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के अनेक कदम उठाए जाएंगे. जैसे उनके लिए पहचान पत्र, उनसे मिलने आए लोगों की जांच पड़ताल और परिचय पत्र, उनका फोन नंबर इत्यादि के अलावा अस्पताल के गेट पर जांच प्रक्रिया में सुधार होगा.
अगर डॉक्टर संजय मलिक के द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर भरोसा करें तो भविष्य में अस्पताल में अप्रिय घटना से बचा जा सकता है. पर सवाल है कि कथनी और करनी में समानता भी होनी चाहिए. नवजात शिशु को बरामद करने के बाद फिलहाल यह मामला ठंडा पड़ गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन अस्पताल की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर अपना कमिटमेंट पूरा करेगा या फिर किसी और घटना का इंतजार करेगा! पुलिस शिशु चोर महिला से विस्तृत पूछताछ कर रही है. इसके आधार पर ही अस्पताल की सुरक्षा के लिए भविष्य में आवश्यक कदम उठाने चाहिए. शिशु चोर महिला के बयान के आधार पर अस्पताल में सुरक्षा और लापरवाही का भी पता चलेगा तथा इसके आधार पर तैयारी करने से भविष्य में अप्रिय घटनाओं से बचने में भी मदद मिल सकती है.