सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल में भीषण गर्मी पड़ रही है. हालांकि पिछले 2 दिनों से सिलीगुड़ी में गर्मी का असर कम देखा जा रहा है. आसमान में बादल छाए रहते हैं. लेकिन कोलकाता और दक्षिण जिलों में भीषण गर्मी और लू चल रही है. सबसे ज्यादा मुसीबत वकीलों की हो रही है, जिन्हें कालाकोट और गाउन पहनना अनिवार्य होता है. कालाकोट और गाउन धूप और गर्मी को सोख लेता है.इससे धारण करने वाले व्यक्ति को और ज्यादा गर्मी परेशान करने लगती है.
ऐसे भी गर्मियों में भारी-भरकम कपड़े पहनना एक बड़ी मुसीबत बन जाती है. आप कचहरी में वकीलों को देखते हैं. चाहे सर्दी हो या बरसात या चाहे चिलचिलाती धूप व गर्मी ही क्यों ना हो, वकील ड्रेस कोड में रहते हैं. उन्हें कालाकोट और गाउन पहनना लाजिमी होता है. अदालत में इसी ड्रेस कोड में उन्हें बहस करने की इजाजत होती है.
वकीलों के लिए यह ड्रेस कोड औपनिवेशिक काल से चला आ रहा है. इसके पीछे का उद्देश्य है कि वकालत और कचहरी की गरिमा को बनाए रखना है. लेकिन इसका व्यवहारिक पक्ष सही नहीं है. यही कारण है कि गर्मियों में काला कोट और गाउन नहीं पहनने की मांग को लेकर काफी समय से वकीलों की तरफ से आंदोलन किया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका लगाई जा चुकी है.
जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया था कि गर्मी के दिनों में वकीलों के लिए काला कोट और गाउन पहनना अनिवार्य ना किया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को सलाह दी थी था कि वकीलों के ड्रेस कोड समेत दूसरे नियमों को तय करने वाली संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया में अपनी बात रखी जाए.
यह सही है कि वकीलों का पहनावा संवैधानिक मकसद से तैयार किया गया है, परंतु मौसम के अनुकूल नहीं है. कम से कम भीषण गर्मी में कोट और गाउन पहनना किसी भी तरह व्यवहारिक नहीं है. याचिका में आर्थिक रूप से असक्षम वकीलों की भी बात कही गई थी, जो कालाकोट और गाउन जैसे भारी-भरकम वस्त्र खरीदने में आर्थिक दिक्कत उठाते हैं.
हालांकि इस पूरे प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट फैसला तो नहीं सुना सका परंतु कोलकाता हाईकोर्ट ने कोलकाता में गिर रही भीषण गर्मी और लू को देखते हुए वकीलों को गर्मी की छुट्टियों तक गाउन पहनने पर छूट दे दी है.इससे कोलकाता के वकील काफी राहत और खुशी महसूस कर रहे हैं. जहां तक सिलीगुड़ी कोर्ट की बात है, यहां कोलकाता जैसी भीषण गर्मी का सामना लोगों को नहीं करना पड़ रहा है परंतु मौसम यहां रोज दिन बदल रहा है. कल मौसम कैसा हो जाए, नहीं पता.
कोलकाता हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद सिलीगुड़ी कोर्ट के वकील जरूर उक्त जजमेंट को आधार बनाकर अपने लिए भी काला कोट और गाउन से गर्मियों तक निजात पाने की मांग कर सकते हैं. यह संभव हो सकता है.अब देखना यह होगा कि कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले के बाद अगर कोलकाता के वकील बिना गाउन और काला कोट में नजर आते हैं तो इसका सिलीगुड़ी समेत तमाम जिलों के कोर्ट के वकीलों पर क्या असर पड़ता है और वे किस तरह इसकी प्रतिक्रिया देते हैं. हो सकता है कि लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट का अंतर सामने आए. क्योंकि यह अस्थाई व्यवस्था केवल हाईकोर्ट के वकीलों के लिए ही है.