किसी समय पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग की चर्चा राजा महाराजा भी करते थे.दार्जिलिंग काफी समृद्ध और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण क्षेत्र था, जहां स्वच्छता की बयार बहती थी. दार्जिलिंग के इतिहास पर नजर डालें तो कई चीजें दार्जिलिंग को खास बनाती हैं. इनमें दार्जिलिंग नगरपलिका से लेकर भारत का पहला पर्वतीय क्षेत्र होने का गौरव भी दार्जिलिंग को प्राप्त था!
एशिया में दार्जिलिंग पहला पर्वतीय क्षेत्र था, जहां नगरपालिका होती थी. दार्जिलिंग की चाय और सिनकोना विश्व प्रसिद्ध शुरू से ही रहे हैं. दार्जिलिंग बिजली कनेक्शन प्राप्त करने वाला एशिया का पहला क्षेत्र होने का दावा करता है. यहां स्कूल स्थापित करने का गौरव भी दार्जिलिंग को प्राप्त है!
लेकिन वर्तमान में इतने महत्वपूर्ण शहर पर अराजकता हावी है. यहां जीटीए तो है परंतु अवैध रूप से इसका संचालन किया जा रहा है. दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट पश्चिम बंगाल सरकार और दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल पर शासन करने वाले जीटीए की वर्तमान छवि और शासन व्यवस्था पर हमला करते हैं. लोक सभा में बोलते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार यहां के लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है और केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाने से स्थानीय लोगों को वंचित कर रही है!
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान सांसद राजू बिष्ट ने बताया कि कैसे उनका क्षेत्र एक अलग प्रशासनिक इकाई के रूप में शासित होता था. 18 61 से पहले यह एक गैर विनियमित क्षेत्र के रूप में शासित था. 1861 से लेकर 1870 से यह विनियमित क्षेत्र के रूप में और फिर 1870 से 74 के बीच गैर विनियमित क्षेत्र के रूप में उसके बाद 1874 से 1919 के बीच एक अनुसूचित जिले के रूप में और उसके बाद 1919 से 1935 से एक बैकवर्ड ट्रैक्ट के रूप में जबकि 1935 से 1947 के बीच आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता था.
दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के अधीन है. राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं. दार्जिलिंग और कालिमपोंग में भी पंचायत चुनाव होगा. इसी पर राजनीति हो रही है. भाजपा ने दार्जिलिंग में दो स्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध किया है और इसे असंवैधानिक बताया है. राजू बिष्ट ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए सदन और सरकार से मांग की है कि दार्जिलिंग में भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना चाहिए. उन्होंने राज्य सरकार की व्यवस्था पर हमला करते हुए कहा कि यहां 2006 से ही पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं. अब सरकार यहां दो स्तरीय पंचायत चुनाव कराना चाहती है. आखिर क्यों?
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दार्जिलिंग में एक बार फिर से स्थाई राजनीतिक समाधान की मांग जोर पकड़ने लगी है. सांसद राजू बिष्ट ने लोकसभा में भी यह मांग उठाई है. उन्होंने इशारा किया है कि भले ही दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल को कानूनी मान्यता प्राप्त है, लेकिन उसके स्थान पर जो जीटीए चलाया जा रहा है वह पूरी तरह अलोकतांत्रिक है. उन्होंने दार्जिलिंग और पहाड़ी क्षेत्र के लिए पीपीएस को तत्काल लागू करने की मांग की है.