दीवाली का पटाखों के साथ करीबी संबंध रहा है. परंपरा से दिवाली पर पटाखे जलाए जाते रहे हैं. पटाखे जलाना खुशियों का प्रतीक है. अपनी खुशियों को व्यक्त करने के लिए ही लोग दिवाली पर पटाखे जलाकर दिवाली की खुशियां मनाते हैं. लेकिन पटाखे जलाते समय जरा सी चूक हुई नहीं कि अग्नि की घटनाएं होते देर नहीं लगती. हर साल दिवाली पर इस तरह की घटनाएं अक्सर सामने आती है.
सिलीगुड़ी में इस साल भी शहर के दो बड़े इलाकों में अग्निकांड की दो बड़ी घटनाएं घटी हैं. पहली घटना सेठ श्री लाल मार्केट स्थित एक कपड़े की दुकान में घटी, जहां दुकान में आग लगी और देखते देखते आग भड़क गई.जब तक दमकल मौके पर पहुंचा, तब तक दुकान में रखे सामान और कपड़े सब जलकर भस्म हो गए. कितना नुकसान हुआ है अभी तक पता नहीं चला है.
इसके बाद अग्निकांड की दूसरी बड़ी घटना खालपाडा स्थित एक बिल्डिंग के ऊपरी माले पर हुई घटित हुई. सब कुछ धू धू कर जल उठा. दमकल विभाग और पुलिस बल जितना हो सका, उन्होंने किया. लेकिन फिर भी नुकसान को नहीं बचाया जा सका. सूत्रों ने बताया कि अग्निकांड की इन घटनाओं में लाखों का नुकसान हुआ है. अग्निकांड की घटनाएं या तो शॉर्ट सर्किट से होती हैं या फिर चिंगारी लगने से होती है. ज्यादा संभावना इस बात की है कि पटाखे की चिंगारी से ही ये घटनाएं घटी हैं. हालांकि आधिकारिक रूप से अभी आग लगने की घटना का पता नहीं चला है.
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश था कि इस दिवाली पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा. यानी आप इको फ्रेंडली अथवा ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. पर क्या सिलीगुड़ी में केवल ग्रीन पटाखे ही छोड़े गए? ऐसा लगता नहीं है. क्योंकि सिलीगुड़ी में अग्निकांड की दो बड़ी घटनाएं केवल ग्रीन पटाखों के कारण नहीं हो सकती है. ग्रीन पटाखे से वायु प्रदूषण कम होता है तथा सामान्य पटाखों के मुकाबले ये कम आवाज करते हैं. इको फ्रेंडली पटाखे अधिक धुआं और राख भी नहीं फैलाते, जिसके कारण प्रदूषण कम होता है.
ऐसे में जाहिर है कि दिवाली की रात सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना करते हुए सामान्य पटाखों का ही इस्तेमाल किया गया होगा, जिसके कारण आग लगी और भारी नुकसान हुआ. हालांकि दावे के साथ कुछ कहा नहीं जा सकता. हो सकता हो कि शॉर्ट सर्किट से भी आग लगी हो. क्योंकि दीपावली पर वैसे भी अधिक से अधिक उजाले के चक्कर में फेज पर दबाव बढ़ जाता है और इसका परिणाम शॉर्ट सर्किट के रूप में अक्सर सामने आता है.
बहरहाल कारण चाहे जो भी हो, इसमें कोई शक नहीं कि अग्निकांड की यह सभी घटनाएं लापरवाही के कारण हुई और इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. प्रशासन की ओर से पहले से ही लोगों को सतर्क कर दिया जाता है. लेकिन इसके बावजूद लोग लापरवाह हो जाते हैं. अग्निकांड की यह दो बड़ी घटनाएं कई सवाल खड़े करती हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर पटाखों के कारण अग्निकांड की यह घटना हुई है, तो पुलिस प्रशासन की सख्ती के बावजूद सामान्य पटाखे कहां से आए और इनका व्यवहार कैसे किया गया? अगर शॉर्ट सर्किट के कारण ये घटनाएं घटी है तो पहले से ही इसका प्रबंध क्यों नहीं किया गया?