एक बार फिर से सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान छिड़ गया है. ट्रैफिक विभाग और पुलिस के इस अभियान में अधिकतर ऐसे दुकानदार शिकार हो रहे हैं, जिनके पास आमदनी का अन्य कोई स्रोत नहीं है. नौकरी तथा दूसरे रोजगार से वंचित ऐसे दुकानदार परिवार का पेट भरने के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम की सरकारी संपत्तियों के ऊपर जैसे नाले, सड़क के किनारे आदि स्थानों पर दुकान लगाते हैं. उन्हें दो पैसे कमाने की उम्मीद रहती है ताकि घर परिवार का खर्चा चल सके.
लेकिन पुलिस आकर उनकी दुकान तोड़ देती है अथवा दुकान नहीं हटाने पर उन पर डंडे बरसाए जाते हैं. पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी में इस तरह की तस्वीर नगर निगम इलाके के विभिन्न भागों में देखी जा सकती है. जोरा पानी नदी के ऊपर बने पुल पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों की रोजी-रोटी चली गई. पुलिस ने यहां दुकान लगाने वालों की खूब खबर ली.
निराश दुकानदारों ने बताया कि कई लोगों को मौखिक नोटिस दिया जाता है. पुलिस आती है और उन्हें धमका कर चली जाती है. लेकिन इस बार पुलिस ने उनकी दुकान तक उजाड़ दी. अब वे कहां दुकान लगाएंगे और परिवार को क्या खिलाएंगे.जोड़ापानी नदी के ऊपर बने पुल पर बरसों से दुकान लगाने वाले अनेक दुकानदारों ने स्वीकार किया कि उन्हें दुकान हटाने का नोटिस तो दिया जाता है, परंतु उनकी मजबूरी यह है कि अगर वह दुकान नहीं लगाएंगे तो उन्हें भूखो मरना पड़ेगा. ऐसे में वे क्या करें.
रवीश नामक एक दुकानदार ने बताया कि उसके परिवार में चार लोग हैं. सभी की रोजी-रोटी इसी दुकान से चलती है. बच्चों की पढ़ाई भी उनकी दुकान से ही चलती है. उसने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि अब सब कुछ बर्बाद हो गया. उसका परिवार रास्ते पर आ गया है.
यह सही है कि जिन लोगों की दुकान अतिक्रमण की भेंट चढ़ जाती है, उन्हें बड़ी पीड़ा होती है. परंतु इसमें पुलिस का भी कोई दोष नहीं है. क्योंकि सरकारी संपत्ति पर दुकान लगाना अतिक्रमण है और कानून इसकी इजाजत नहीं देता. ट्रैफिक पुलिस यातायात को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कभी-कभी फुटपाथ और रास्तों पर दुकान लगाने वालों की खोज खबर लेती है. ऐसे में उनकी दुकान पर आफत टूटना स्वभाविक है.
सिलीगुड़ी में ट्रैफिक समस्या के लिए अतिक्रमण को भी जिम्मेदार माना गया है. इसलिए पुलिस के पास मजबूरी रहती है कि शहर वसियों को अतिक्रमण के खिलाफ सजग करे और जो कानून का उल्लंघन करते हैं, उन्हें सजा दे. हालांकि अतिक्रमण के खिलाफ पहले भी अभियान चलते रहे हैं. परंतु इन दिनों इस अभियान में तेजी आई है. क्योंकि जिस तरह से सिलीगुड़ी की सड़कों पर ट्रैफिक जाम का मंजर गहरा होता जा रहा है, ऐसे में सुचारू यातायात के लिए यह जरूरी है कि सड़कों और फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लोग संभल जाएं.
दूसरी ओर ऐसे विस्थापित दुकानदारों की भी समस्या रहती है. क्योंकि वे भी कोई पहली बार दुकान नहीं लगा रहे हैं. वर्षों से दुकान लगाते आ रहे हैं. अगर आरंभ में ही उन्हें रोक दिया गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती. दुकानदार बताते भी हैं कि पुलिस ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की. एकाएक दुकान हटाने से उनकी रोजी-रोटी खतरे में है. ऐसे में वे क्या करेंगे.
दुकानदारों की बात अपनी जगह सही है. पुलिस की कार्रवाई भी गलत नहीं है.अब सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन को मिलकर इसका हल निकालना होगा. इसके साथ ही दुकानदारों को भी विश्वास में लेना होगा. सिलीगुड़ी में ट्रैफिक समस्या के समाधान के लिए और भी कई कदम उठाने की जरूरत है..