नेपाली नव वर्ष समारोह हो और इस समारोह में गोरखा नेता नेपाली भाषा व संस्कृति की बात ना करें, ऐसा हो नहीं सकता. पहाड़ की राजनीति में अपना वर्चस्व रखने वाले जीटीए के चेयरमैन अनित थापा और उनकी पार्टी भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा ने नेपाली नव वर्ष मनाने की आड़ में अपना मंतव्य स्पष्ट कर दिया है.
विजनबाड़ी में आयोजित नेपाली नव वर्ष समारोह के मंच से उन्होंने सभी गोरखाओं को भाषा और संस्कृति के नाम पर एकजुट रहने की अपील की है. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग, कर्सियांग और कालिमपोंग के गोरखा अपनी भाषा और संस्कृति को लेकर किसी तरह का समझौता न करें और एकजुट होकर भाषा और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रयास करें.
पहाड़ में भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा जीटीए, पंचायत निकाय और दार्जिलिंग, कर्सियांग और कालिमपोंग की नगरपालिकाओं पर अपना वर्चस्व रखता है. पिछले दिनों जीटीए की ओर से सभी पंचायत निकायों तथा नगर पालिकाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए एक अधिसूचना जारी की गई थी कि व्यापारिक स्थलों और सरकारी कार्यालयो में साइन बोर्ड में नेपाली भाषा का उपयोग किया जाए. हालांकि जीटीए द्वारा जारी इस अधिसूचना का पहाड़ में कुछ खास असर नहीं देखा गया था.
नव वर्ष के मौके पर अनित थापा ने प्रतिनिधियों से एक भावनात्मक अपील करते हुए कहा है कि भाषा और संस्कृति को बचाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यही हमारी पहचान है. अगर हम साइन बोर्ड पर नेपाली भाषा और संस्कृति का उपयोग करें तो इससे हमारी पहचान को बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि हम जो नेपाली नव वर्ष मनाते हैं, उसे मनाने का हमारा तरीका अलग होना चाहिए. नव वर्ष के लिए हमारी पहचान और भाषा को वरीयता दी जानी चाहिए.
अनित थापा ने नेपाली भाषा और संस्कृति पर गर्व करते हुए कहा कि मैं सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि वह यह सुनिश्चित करें कि एक महीने के भीतर नेपाली भाषा में साइन बोर्ड का इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने कहा कि लोग साइन बोर्ड में अन्य भाषाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. परंतु नेपाली भाषा को वरीयता दी जानी चाहिए. सिलीगुड़ी में जिस तरह से सिलीगुड़ी नगर निगम ने व्यापारिक प्रतिष्ठानों, सरकारी कार्यालय और दुकानदारों को बांग्ला भाषा में साइन बोर्ड जरूरी किया है, उसी से प्रेरित होकर पहाड़ में भी नेपाली भाषा का उपयोग साइन बोर्ड में करने का अभियान अनित थापा ने शुरू किया है.
आपको बताते चलें कि सिक्किम सरकार की तरह ही जीटीए नेपाली और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अधिसूचनाएं जारी करता है. 1992 में नेपाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दी गई थी. अनित थापा ने लोगों से आग्रह किया है कि साइन बोर्ड नेपाली में लिखें. चाहे बोर्ड कितना भी छोटा क्यों ना हो. कभी-कभी छोटी चीज ही भविष्य में बड़ी बन जाती है. उन्होंने गोरखाओं से आग्रह किया है कि अगर नेपाली भाषा को जीवित रखना चाहते हो तो नेपाली भाषा को बढ़ावा दो. साइन बोर्ड पर भाषा को जीवित रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मैं अपने सभी 45 प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि वह अपने इलाके में दुकानों में लगे साइन बोर्ड पर नेपाली भाषा को तरजीह दें.
उन्होंने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से दुकानदारों और व्यापारियों को एक महीने का समय दिया है. अनित थापा ने पहाड़ के नौजवानों के जोश को बढ़ाते हुए कहा है कि पहाड़ की युवा शक्ति इसे एक अभियान के रूप में ले. अब देखना होगा कि अनित थापा की भावनात्मक व जोशभरी अपील का पहाड़ के गोरखाओं पर कितना असर पड़ता है.