नेपाल धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. नेपाल और सिलीगुड़ी का अत्यंत करीबी संबंध है. यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि नेपाल और सिलीगुड़ी के बीच बेटी रोटी का संबंध है. सिलीगुड़ी के बहुत से परिवार नेपाल में निवास करते हैं और नेपाल के कई परिवार सिलीगुड़ी में भी रहते हैं. कारोबार के लिहाज से कहा जाए तो नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यापारी सिलीगुड़ी से कारोबार करते हैं और इसी तरह से सिलीगुड़ी के कारोबारी भी नेपाल से जुड़े हुए हैं. सिलीगुड़ी के कई श्रमिक और मजदूर नेपाल में मजदूरी करते हैं. इस तरह से नेपाल और सिलीगुड़ी का अत्यंत घनिष्ठ संबंध है.
पिछले तीन चार दिनों में नेपाल में जो कुछ हुआ है, इसका असर सिलीगुड़ी में भी दिख रहा है. नेपाल की तबाही से सिलीगुड़ी का बाजार भी चौपट हो गया. नेपाल में मजदूरी करने गए सैकड़ो श्रमिक और मजदूर पानी टंकी के रास्ते सिलीगुड़ी लौट आए हैं. जबकि सिलीगुड़ी का कारोबार इस कदर प्रभावित हुआ है कि खाद्यान्न से लेकर मोटर पार्ट्स और हार्डवेयर विक्रेता भी अपनी दुकान पर मक्खियां मारते नजर आए. सिलीगुड़ी से नेपाल में अनाज पानी से लेकर मोटर पार्ट्स, हार्डवेयर के सामान आदि निर्यात किए जाते हैं.
नेपाल के हालात ने सिलीगुड़ी के कारोबार को किस कदर प्रभावित किया है, यह खुद व्यापारिक संगठनों के लोग ही बताते हैं. सिलीगुड़ी होलसेल फिश मरचेंट एसोसिएशन के सचिव बप्पी चौधरी के अनुसार यहां से नेपाल में मछली का निर्यात किया जाता है. मछली निर्यात बंद होने से व्यापारियों को लाखों का नुकसान हुआ है. जबकि सिलीगुड़ी मर्चेंट एसोसिएशन के सूत्रों ने बताया कि नया बाजार,खालपारा थोक बाजार से नेपाल में चावल, आटा, दाल, तेल, चीनी, कपड़ा, मोटर पार्ट्स, हार्डवेयर इत्यादि सामानों का रोजाना 5 से 6 करोड रुपए का व्यापार होता है. नेपाल की क्रांति ने सिलीगुड़ी के व्यापार को छिन्न-भिन्न करके रख दिया.
सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट से रोजाना 12 से 15 पिकअप और छोटे ट्रकों में सेब, अनार, अंगूर, मौसमी, तरबूज तथा दूसरे फल नेपाल भेजे जाते हैं. फलों का निर्यात नहीं होने से रोजाना लगभग 10 से 12 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है. लेकिन नेपाल की अशांति ने उनके कारोबार को प्रभावित किया. सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी के रेगुलेटेड मार्केट से ही नेपाल को रोजाना 1 टन मछली भेजी जाती थी. लेकिन चार-पांच दिनों से वहां माल नहीं भेजा जा रहा है और ना ही नेपाल के कारोबारी सिलिगुड़ी मार्केट आ रहे हैं. क्योंकि पानी टंकी पर सख्त पहरा है.
पर्यटन के क्षेत्र में भी सिलीगुड़ी को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. हिमालयन हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म डेवलपमेंट नेटवर्क के महासचिव सम्राट सान्याल के अनुसार दुर्गा पूजा से लेकर अगले एक महीने तक नेपाल जाने वाले पर्यटकों की बुकिंग पहले से हो चुकी है. पर नेपाल के ताजा हालात के बाद पर्यटकों ने बुकिंग रद्द करना शुरू कर दिया है. उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि अगर जल्द ही नेपाल के हालात सामान्य नहीं हुए तो पर्यटन कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
हालांकि आज नेपाल से जो खबर निकलकर सामने आई है, उसके बाद यह कहा जा सकता है कि स्थिति धीरे-धीरे वहां सामान्य हो रही है. इसका सबूत सिलीगुड़ी में भी मिल चुका है. नेपाल और बांग्लादेश के बीच कई वस्तुओं का कारोबार होता है. नेपाल में निर्यात के लिए फुलबारी लैंड पोर्ट पर बांग्लादेश के तीस से अधिक माल लदे ट्रक खड़े रहे. इनमें मुर्गी का चारा, जूट, पैकिंग खाद्य पदार्थ, कपड़े, रैक्सीन जैसे सामान शामिल है. अब इन ट्रकों को नेपाल रवाना किया जा रहा है. कस्टम और SSB की मंजूरी मिलने के बाद 15 पेट्रोलियम ट्रक को मेची पुल के रास्ते नेपाल के लिए रवाना कर दिया गया.
आज मेची पुल पर थोड़ी रौनक लौटी है. लोगों की आवाजाही सामान्य हो रही है. नेपाल से भी माल लदी कुछ गाड़ियां सिलीगुड़ी आ रही है. पेट्रोलियम टैंकर के अलावा सब्जी के कुछ ट्रक भी नेपाल से सिलीगुड़ी पहुंचे हैं. धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं. इसके बावजूद पानी टंकी सीमा पर एसएसबी के जवानों के द्वारा पूरी सतर्कता बरती जा रही है. सीमा पर सख्ती के कारण नेपाल के लोगों का आज भी भारत में प्रवेश नहीं हो सका.