नेपाल में अब शांति लौटने लगी है. लेकिन नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के चुनाव पर सस्पेंस कायम है. 6 महीने के बाद नेपाल में आम चुनाव की लगभग सहमति बन चुकी है. मौजूदा समय में अंतरिम प्रधानमंत्री की तलाश की जा रही है. कई नाम चर्चा में है. इनमें बालेन शाह, सुशीला कार्की और अब एक नाम तेजी से वायरल हो रहा है, कुलमान घीसिंग.
जैन जैड आंदोलनकारी तय नहीं कर पा रहे हैं और इसीलिए अंतरिम प्रधानमंत्री के चुनाव के बीच उनमें मतभेद उभर रहे हैं. अलग-अलग गुट की अलग-अलग पसंद है. नेपाल को एक ऐसा मुखिया चाहिए जो बर्बादी और बुरी तरह तबाह नेपाल को चुनौतियों से निकालने का कारगर रास्ता दिखाए और इसके लिए ही सही नेता की तलाश की जा रही है.
जितने भी नाम चर्चा में हैं, वे सभी एक नया नेपाल की संरचना करने की क्षमता रखते हैं. नेपाल में चुनाव से लेकर अंतरिम प्रधानमंत्री तक की नियुक्ति वहां के आंदोलनकारी zen Z के युवाओं की इच्छा से ही होगी. जैन जेड की एक ही मांग है, नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाना और जो आंदोलनकारी युवाओं के सपने और आकांक्षाओं को पूरा करने का जौहर दिखाएगा, नेपाल का अगला सिकंदर वही होगा.
नेपाल में जैन जेड क्रांति के बीच एक नारा जोर शोर से गुंजा था, राजा आउनुपरछ यानी राजा को आना चाहिए. आंदोलनकारी युवाओं का एक वर्ग नेपाल की कमान एक बार फिर से शाही परिवार के हाथ में सौंपने की वकालत कर रहा है. नेपाल में जैन जेड नव युवराज हृदयेंद्र शाह शाही परिवार के सबसे युवा सदस्य और भावी राजा हैं. नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर मार्च महीने में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है.
नेपाल में जिस जैन जेड ने तख्ता पलट किया है, उनमें नेपाल के शाही परिवार के जैन जेड युवराज हृदयेंद्र शाह भी शामिल है. अंतरिम प्रधानमंत्री में कुलमान घीसिंग का नाम सबसे आगे चल रहा है. इस शख्सियत ने नेपाल को अंधकार युग से निकाला था. नेपाल की बिजली समस्या का समाधान कर चारों तरफ उजाला फैलाने के लिए नेपाल के लोग उन्हें सम्मान से देखते हैं. जबकि सुशीला कार्की नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस है. कुछ समय पहले उनके नाम पर सहमति भी बन गई थी. लेकिन दोपहर तक मत बदल गए और कुलमान घीसिंग का नाम सामने आने लगा.
मालूम हो कि नेपाल की हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत हुई है. जबकि 1300 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं.