वर्ष 2023 का पहला दिन सिलीगुड़ी के लोगों के लिए पिकनिक का दिन रहा! रविवार और मौसम साफ रहने से शहर के लोगों ने आसपास के इलाकों में पार्क, मंदिर तथा पिकनिक स्थलों पर जश्न मनाया. रविवार को लोगों ने सर्वाधिक जाम का भी सामना किया. सिलीगुड़ी से सेवक तक गाड़ियां जाम में फंसी रही. यहां तक कि अनेक लोगों को सेवक से सिलीगुड़ी तक पैदल चलकर आना पड़ा. सोमवार को भी सिलीगुड़ी के कुछ इलाकों में जाम देखा गया.
नौकाघाट सेतु पर एक ट्रक के खराब हो जाने के कारण दोपहर लगभग 1:00 बजे भीषण जाम देखा गया. इसके अलावा जलपाई मोड में भी जाम था. जलपाई मोड के अलावा एयर व्यू मोड, हाशमी चौक, विधान मार्केट आदि इलाकों में भी जाम का सामना लोगों को करना पड़ा. खैर,जाम तो सिलीगुड़ी के लाइफस्टाइल का एक अंग बन चुका है.परंतु यहां जाम से ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि हर व्यक्ति ने अपने अपने तरीके से नए साल का जश्न मनाया है. सवाल ये उठता है कि अब जश्न के बाद क्या?
कुछ दुखद घटनाओं ने जश्न जैसे शब्द पर भी दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है. दिल्ली की घटना ने एक बार फिर से शर्मसार किया है. इसी नए साल का जश्न दिल्ली में एक युवती पर भारी पड़ गया और यह कहीं ना कहीं लोगों की दानवी मानसिकता का परिचायक भी है.
शनिवार- रविवार की रात दिल्ली में एक लड़की नाइट ड्यूटी से छूट कर स्कूटी से अपने घर लौट रही थी. तभी कार सवार युवकों ने उसे टक्कर मार दी और उसे 4 किलोमीटर तक सड़क पर घसीटते हुए ले गए. लड़की की घटनास्थल पर ही मौत हो गई.हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस अपराध में शामिल सभी लड़कों को गिरफ्तार कर लिया है. इस तरह की कई अप्रिय वारदातें सिलीगुड़ी समेत देशभर में अलग-अलग जगहों पर हुई है.सवाल यह है कि नए साल का जश्न मनाने का यह कौन सा तरीका होता है.
नए साल पर अधिकतर लोग नए संकल्प और इरादों के साथ अपने कार्य में जुट जाते हैं. जिन लोगों ने अपने जीवन में बदलाव का संकल्प और इच्छाशक्ति दिखाई है, उन लोगों को हैप्पी न्यू ईयर के बाद अपने कार्य क्षेत्र में जुट जाने की जरूरत है. संकल्प और इरादे करना तो आसान होता है लेकिन उसे अंजाम तक ले जाना उतना ही मुश्किल होता है. परंतु अगर हम लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो इसके लिए आत्मबल को बढ़ाना ही होगा. अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो फिर नए साल का जश्न कैसा?
सिलीगुड़ी के लोग मौज मस्ती की जिंदगी जीते हैं परंतु मौज मस्ती की जिंदगी आपके सपनों को पूरा नहीं कर सकती. अगर जीवन में लक्ष्यों को हासिल करना होता है, तो लक्ष्यों के रिक्वायरमेंट को पूरा करना होता है. इसके लिए त्याग की जरूरत होती है. त्याग आत्मबल से होता है और आत्मबल मन की शक्ति और संकल्पों को तन्मय से पूरा करने के जज्बे से बढ़ता है.
अगर आपने नए साल के लिए शराब छोड़ने, गुटखा ना खाने और सिगरेट से दूर रहने का संकल्प किया है तो यह तभी हो सकता है जब आपका आत्मबल ऊंचा हो.यह 1 दिन में नहीं होगा.बल्कि इसकी आदत बनानी होगी. आरंभ में काफी दिक्कत हो सकती है, लेकिन जब आपका मन मजबूत हो जाएगा तो धीरे-धीरे आप पाएंगे कि बुराइयों से आप ऊपर आ गए हैं. अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो फिर न्यू ईयर रेजोल्यूशन का क्या मतलब और न्यू ईयर जश्न का क्या फायदा?
जनवरी का पहला हफ्ता चल रहा है. पूरे साल कुछ करने और लक्ष्यों को पूरा करने का आपके पास अवसर है. तो जुट जाइए अपने कार्य में. उम्मीद कीजिए कि 2024 आपके जीवन में सपनों को पूरा करने का साल घोषित हो. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर 2023 की तैयारी में जुट जाने की जरूरत है.