बंगाल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों की अवहेलना करते हुए सिलीगुड़ी में दीपावली और काली पूजा की रात खूब पटाखे चले. ग्रामीण क्षेत्रों में तो सर्वाधिक पटाखे फोड़े गए. जबकि शहरी इलाकों में भी देर रात तक पटाखों की धमक सुनाई पड़ती रही. हर साल दिवाली में ऐसा ही होता है.
लेकिन दिवाली के दूसरे दिन इसका अंजाम शहर के लोगों को भुगतना पड़ता है. पटाखों से निकलने वाले जहरीले धुएं का असर सिलीगुड़ी के लोगों ने आज कितना महसूस किया? यह भी जानेंगे कि पूर्वोत्तर के कई शहरों की तुलना में सिलीगुड़ी और देश भर में विभिन्न शहरों का AQI आज कितना है और सिलीगुड़ी के लोगों के लिए खतरा कितना अधिक है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार 0 से 50 के बीच की रेटिंग अच्छी मानी जाती है और इसे हरे रंग से दर्शाया जाता है. जबकि 101 से 150 का स्तर स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है और इसे नारंगी रंग से चिन्हित किया जाता है. 151 से 200 के बीच का स्तर लाल रंग में दर्शाया जाता है और 201 से 300 तक की हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है और इसे बैंगनी रंग से प्रदर्शित किया जाता है. जबकि 301 से 500 तक का स्तर अत्यंत खतरनाक और चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है.
आज सिलीगुड़ी का एयर क्वालिटी इंडेक्स दोपहर तक 69 था जो रात्रि 11:30 बजे तक 105 तक जा सकता है. इसका मतलब यह है कि दिन में हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत कम है. लेकिन जैसे-जैसे दिन ढलता जाएगा और रात होगी, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जाएगा और यह 105 तक जा सकता है. सूत्र बता रहे हैं कि सिलीगुड़ी का एयर क्वालिटी इंडेक्स अगले हफ्ते तक 105 से 133 के बीच रह सकता है. हालांकि यह स्तर सिलीगुड़ी के लिए चिंता जनक नहीं है.
लेकिन अगर पूर्वोत्तर के दूसरे शहरों से वायु गुणवता सूचकांक की तुलना करें तो सिलीगुड़ी का एयर क्वालिटी इंडेक्स औसत से ज्यादा है जो सीधे-सीधे यह दर्शाता है कि यहां दीपावली की रात खूब पटाखे जलाए गए. पूर्वोत्तर के शहरों में शिलांग का एयर क्वालिटी इंडेक्स 17 दर्ज किया गया. जबकि सिलीगुड़ी के निकट गंगटोक में एयर क्वालिटी इंडेक्स 27 दर्ज किया गया है. जाहिर है कि सिलीगुड़ी के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
अगर देश के दूसरे शहरों की बात करें तो, दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है. दिल्ली की सड़कों पर धुंध, लोगों को आंखों में जलन और घुटन से दो-चार होना पड़ा है. दिल्ली के अलावा मुंबई, लखनऊ, कानपुर और पटना जैसे शहरों में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स अत्यंत खराब स्थिति में पहुंच गया है, जहां के लोगों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
दक्षिण भारत के कई शहरों में लोगों ने संभल कर पटाखे जलाए. इसलिए वहां की हवा की गुणवत्ता खराब नहीं हुई है. मैसूर एक ऐसा शहर है जहां की हवा की गुणवत्ता अच्छी स्थिति में पाई गई है. मैसूर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 38 और मंगलौर में 56 दर्ज किया गया है. हालांकि इन दोनों शहरों की प्राकृतिक बनावट और संसाधन कुछ ऐसे हैं जहां की हवा प्रदूषक तत्वों को जल्दी बाहर कर देती है.
देश के अन्य शहरों चिकमगलूर 50, चंद्रपुर 84 ,एललुरु 45, हुबली 48, कारावार 35, कलबुर्गी 49, कोलम 48, रायपुर 48 तिरुमला 21 एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया है. पूर्वोत्तर के शहरों में कोहिमा में एयर क्वालिटी इंडेक्स 71 जबकि अगरतला में एयर क्वालिटी इंडेक्स 61 दर्ज किया गया है. स्पष्ट है कि पहाड़ी इलाकों में आबोहवा अच्छी होने के कारण प्रदूषक तत्व हवा में ठहर नहीं पाए. इसलिए वहां के लोगों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. इसके विपरीत मैदानी इलाकों में चिंता बढ़ जाती है.
हालांकि सिलीगुड़ी में एयर क्वालिटी इंडेक्स अभी बिगड़ा नहीं है, पर अगर हम संभले नहीं तो हवा में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ती जाएगी. जिस तरह से दिवाली की रात यहां जमकर पटाखे जलाए गए हैं, अगर यह लगातार चलता रहा तो सिलीगुड़ी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से भी काफी ऊपर जा सकता है और ऐसी स्थिति में बीमार, बच्चे और वृद्ध लोगों को सांस तथा स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि सिलीगुड़ी के लोग जागरुक हों. पटाखे सीमित मात्रा में ही जलाएं.