यूं तो देशभर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या के हिसाब से डॉक्टरों की कमी है. परंतु पश्चिम बंगाल की बात कुछ और है. अब तक के तमाम अध्ययन और सर्वे से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल के अस्पतालों में मरीजों की संख्या के हिसाब से डॉक्टर उपलब्ध नहीं है. कोरोना काल के क्रम में ही यह देखने को मिला था. आज भी ग्रामीण और शहरी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी चिंता का विषय बन गया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास स्वास्थ्य विभाग भी है.उन्हें अपने राज्य के मरीजों की चिंता है. उन्हें अच्छी तरह पता है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन उसके हिसाब से डॉक्टर नहीं बढ़ रहे हैं.ऐसे में उन्होंने एक नया प्रस्ताव रखा है कि अब 5 साल नहीं बल्कि 3 साल में मेडिसिन में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाना चाहिए, ताकि राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उद्योगपतियों और स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधियों से बात कर रही थी. उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य सचिव निगम को इस बात का पता लगाने का आदेश दिया है कि क्या 3 साल के डिप्लोमा कोर्स में डॉक्टर बनाए जा सकते हैं.
दरअसल राज्य में आबादी लगातार बढ़ रही है. सरकारी अस्पतालों में बेडों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन डॉक्टर नहीं बढ़ रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि एमबीबीएस कोर्स में 5 साल लगते हैं. यह जारी रहना चाहिए. लेकिन साथ ही इस बात का पता लगाना चाहिए कि क्या 3 साल में मेडिसिन कोर्स से डॉक्टर बनाया जा सकता है. मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के सचिव डॉ कौशिक सरकार ने एतराज जताया है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री का 3 साल का यह प्रस्ताव किसी भी तरह वैज्ञानिक नहीं है और इससे अब तक चली आ रही व्यवस्था बिगड़ सकती है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव को एक 4 सदस्य कमेटी बनाने का सुझाव दिया है. इस कमेटी में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन तथा पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के प्रतिनिधि शामिल होंगे जो इस बात का पता लगाएंगे कि क्या मुख्यमंत्री का प्रस्ताव ठीक है या फिर इसमें क्या सुधार लाया जा सकता है. इसमें कोई शक नहीं कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं है. राज्य में मेडिकल इंस्टिट्यूट और बढ़ाए जाने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उद्योगपतियों से अपील की है कि वे राज्य में नर्सिंग इंस्टिट्यूट बनाने में सरकार का सहयोग करें. इसके लिए सरकार उनकी हर संभव सहायता करने के लिए तैयार है. चर्चा है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने क्लासरूम तथा प्रायोगिक प्रशिक्षण के जरिए 3 साल में मेडिसिन में डिप्लोमा कोर्स के लिए संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है. उधर मुख्यमंत्री के मेडिकल में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव का धीरे-धीरे विरोध भी होने लगा है.
जिन सदस्यों को समिति में रखा गया है, वह भी संभावनाओं का पता लगाएंगे और सरकार को 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट देंगे. इसमें क्या आवश्यक सुधार और बदलाव किया जा सकता है, यह भी बताएंगे.परंतु मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह प्रस्ताव सुर्खियों में है. अगर उनके प्रस्ताव को हूबहू स्वीकार कर लिया जाता है तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों पर पड़ेगा. हो सकता है कि सिस्टम भी प्रभावित हो.
क्योंकि जहां 3 साल में डिप्लोमा कोर्स के जरिए छात्र डॉक्टर बन सकते हैं तो फिर एमबीबीएस करने वाले छात्र डॉक्टर बनने के लिए 5 साल क्यों इंतजार करेंगे. वैसे मुख्यमंत्री ने एक बात और कही है कि ऐसे डॉक्टरों की नियुक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में की जाएगी.