बंगाल और सिक्किम (पहाड़) को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 बंगाल और सिक्किम की जीवन रेखा कहा जाता है. इस राष्ट्रीय राजमार्ग के कारण ही सिक्किम, कालिमपोंग तथा शेष इलाकों में जीवन और व्यापार चलता है. बंगाल से जोड़ने वाला यह राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन, पर्यटन और कारोबार के लिए प्रसिद्ध है. अगर यह सड़क एक दिन भी बंद रहती है, तो करोड़ों का नुकसान इन पर्वतीय क्षेत्रों में होता है. सिक्किम को तो सर्वाधिक नुकसान होता है.
बरसात के दिनों में राष्ट्रीय राजमार्ग 10 की हालत अत्यंत खस्ता हो जाती है. बार-बार होने वाले भूस्खलन व भारी बरसात के कारण सड़क की हालत अत्यंत शोचनीय हो जाती है. ऐसी सड़क पर चलना या परिवहन मौत को आमंत्रित करना जैसा होता है. यही कारण है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा NH-10 को बंद कर दिया जाता है. अगर एक बार बंद हो तो कोई बात नहीं. लेकिन हालत तो यह है कि NH-10 कई कई दिनों तक लगातार बंद रहता है. अगर पूर्व इतिहास पर नजर डालें तो यह जीवन रेखा महीनों तक बंद रही है.
पिछले कई वर्षों से NH10 के चलते सिक्किम और पहाड़ को गंभीर आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा है. बार-बार इस समस्या का स्थाई समाधान ढूंढने की कोशिश की जाती है. परंतु भौगोलिक ढांचे और परिक्षेत्र कुछ ऐसा है कि वैकल्पिक समानांतर सड़क निर्माण भी इतनी जल्दी संभव नहीं है. गंतव्य तक जाने के लिए जो दूसरे मार्ग अपनाए जाते हैं, वे काफी उलट फेर वाले होते हैं, जो काफी थकाते भी हैं. समय भी इसमें काफी लगता है. यही कारण है कि NH-10 से ही यातायात सरल होता है.
इस समय सिक्किम और पहाड़ी इलाकों में तेज बरसात हो रही है. लिखूवीर में भूस्खलन के चलते NH-10 को बंद कर दिया गया था. उसके बाद यह खुला भी तो मात्र तीन दिन बाद ही उसे वापस बंद कर दिया गया. सिक्किम और कालिमपोंग का व्यापार और रोजी रोजगार इसी राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है. पर्यटक इसी राष्ट्रीय राजमार्ग से पर्वतीय क्षेत्रों में जाते हैं. सिलीगुड़ी से कारोबार और खरीददारी के लिए भी इसी मार्ग को अपनाया जाता है. अब एक बार फिर से यह मार्ग बंद कर दिया गया है.
पहले NH-10 7 दिनों तक लगातार बंद रहा था. उसके बाद 18 अगस्त को इस मार्ग पर सामान्य यातायात तो हुआ लेकिन फिर से लिकूवीर में भूस्खलन होने से इस मार्ग को बंद करना पड़ा. इन इलाकों में भारी बरसात के चलते भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है. जिसकी वजह से NH10 को बार-बार बंद करना पड़ता है. NH10 के बंद होने से पहाड़ी इलाकों में पर्यटन, व्यवसाय और अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा असर पड़ता है, एक अनुमान के अनुसार पिछले कुछ दिनों में पहाड़ी इलाकों में सैकड़ो करोड रुपए का नुकसान हुआ है.पर्यटन उद्योग को हर दिन लगभग चार करोड रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
सवाल यह है कि पहाड़ की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कौन से कदम उठाने की जरूरत है. NH-10 को टिकाऊ और मजबूत बनाने के लिए क्या बड़े कदम उठाए जाएं. सारी मशीनरी प्रयास कर चुकी है. प्रयास कर भी रही है. लेकिन कोई सर्वमान्य हल सामने नहीं आ रहा है. अब समय आ गया है कि इस मसले पर भू वैज्ञानिकों, यांत्रिकों और वास्तुविदों को गहन मंथन की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो हर साल बरसात के दिनों में NH-10 के चलते पहाड़ को गंभीर नुकसान उठाना पड़ेगा. इस तरह से पहाड़ जो कमाएगा, 3 महीने में ही ग॔वा देगा.