आपको याद होगा कि कुछ समय पहले विमल गुरुंग ने कहा था कि दीपावली और छठ पूजा के बाद उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाएगा. आने वाले समय में यह सब होने जा रहा है.उत्तर बंगाल में 28 संगठन और पहाड़ में विमल गुरुंग की अपनी पार्टी बंगाल के विभाजन के पक्ष में है. जल्द ही आप पहाड़ से लेकर उत्तर बंगाल, तराई और Dooars में अलग स्टेट की मांग की गूंज सुन सकेंगे.
छठ पूजा के साथ ही त्यौहारों का समापन हो चुका है.अब चुनाव का त्यौहार आएगा और उसके लिए ही राजनीतिक दलों के नेता अपनी तैयारी शुरू कर चुके हैं. उन्हें कोई ना कोई ऐसा मुद्दा चाहिए, जो लोकसभा चुनाव तक उनकी राजनीति को एक परिणति में बदल सके. कामतापुरी संगठन उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. 19 नवंबर को जल्पेश में 28 संगठनों की एक बैठक होने वाली थी. पुलिस प्रशासन और जिला परिषद की ओर से इसकी इजाजत नहीं मिली, जिसके कारण यह बैठक नहीं हो सकी.
सूत्र बता रहे हैं कि जिला परिषद और पुलिस प्रशासन की इजाजत के बगैर 28 संगठनों के कई नेताओं की एक बैठक हुई थी. इसके बारे में पुलिस को कोई पता नहीं दिया गया. यह बैठक 19 नवंबर को ही हुई थी. इसमें अलग राज्य को लेकर एक खाका खींचा जा चुका है तथा उसकी रणनीति भी तैयार की जा चुकी है. उत्तर बंगाल में अलग स्टेट कैसे संभव होगा, इसकी तैयारी कैसी होगी, इसके पीछे कौन-कौन लोग हैं, और पूरी प्रक्रिया क्या होगी इत्यादि कई बातों पर चोरी छिपे मंथन किया जा चुका है.
विमल गुरुंग भी इन संगठनों का एक हिस्सा है. विमल गुरुंग की पार्टी भारतीय गोरखा जन मुक्ति मोर्चा पहाड़ में गोरखालैंड की मांग शुरू से ही कर रही है. विमल गुरुंग गोरखालैंड के साथ-साथ उत्तर बंगाल में अलग स्टेट संगठन के भी नेता है. अलग स्टेट की मांग करने वाले नेताओं की सूची में विमल गुरुंग का भी नाम है. विमल गुरुंग किसकी तरफ जाएंगे, क्या वह गोरखा लैंड का समर्थन करेंगे या फिर उत्तर बंगाल में अलग स्टेट के लिए कामतापुरियों के संगठन के साथ होंगे, यह पता नहीं चल सका है.
इस बीच पहाड़ में गोरखालैंड एक्टिविस्ट समूह के 20 से अधिक सदस्य और नेता अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं. वे 30 नवंबर को दिल्ली प्रस्थान करेंगे. यह नेता जंतर मंतर पर आयोजित एक कार्यक्रम में गोरखालैंड की मांग के पक्ष में दबाव बनाने के लिए काम करेंगे. यह जानकारी गोरखालैंड एक्टिविस्ट समूह के संयोजक किशोर प्रधान और सदस्य विमल छेत्री ने दी है.
समूह के सदस्यों का विभिन्न गतिविधि समूह से भी समर्थन मिल रहा है, जो गोरखालैंड के पक्ष में अपनी आवाज समय-समय पर बुलंद करते आ रहे हैं. संसद के शीतकालीन अधिवेशन के दौरान इनकी यही कोशिश होगी कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने पूर्व घोषणा पत्र में पहाड़ के लोगों के लिए जितने भी वादे किए हैं, उसकी ओर उनका ध्यान आकर्षित किया जा सके. लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने पहाड़ के लोगों के लिए कुछ वादे किए थे, जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया जा सका है.
सूत्र बता रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर बंगाल में सेपरेट स्टेट की बात हो या फिर गोरखालैंड, किसी न किसी तरीके से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जाएगी. मतलब साफ है कि उत्तर बंगाल में अलग राज्य का मुद्दा गरमाने जा रहा है.