साल का आखिरी महीना चल रहा है.सर्दी का सितम भी बढ रहा है. सर्दी के महीने में शराब की खपत भी बढ़ जाती है. ऊपर से इसी महीने क्रिसमस और नए साल का उत्सव भी होगा. बहुत से लोग क्रिसमस पर पिकनिक भी जाते हैं और भरपूर एंजॉय करना पसंद करते हैं. जबकि जनवरी का पूरा महीना तो पिकनिक ही होता है. पिकनिक पर जाने वाले लोग शराब का सेवन न करें, ऐसा हो नहीं सकता है. इसका फायदा सरकार और राज्य आबकारी विभाग ने उठाया है.
आबकारी विभाग ने राज्य में बिकने वाली शराब पर टैक्स बढ़ा दिया है. इसके बाद सस्ती से लेकर महंगी शराब और ज्यादा महंगी हो गई है. बढ़ाया गया टैक्स 1 दिसंबर से प्रभावी हो गया है. टैक्स के बाद शराब की बोतल ₹10 से लेकर 30 और ₹40 तक महंगी हो गई है.आबकारी विभाग के सूत्रों ने बताया कि ठेके पर अब 750 मिलीलीटर विदेशी शराब की बोतल 30 से लेकर ₹40 तक महंगी हो गई है. जबकि 180 मिलीलीटर पैक पर ₹10 की वृद्धि की गई है. नए नियम के तहत राज्य में नया आबकारी शुल्क प्रभावी किया गया है.
शराब की कीमतों में बढ़ोतरी केवल विदेशी शराब तक सीमित नहीं है. बल्कि इस वृद्धि से वे लोग भी प्रभावित होंगे, जो सस्ती देशी शराब पीते हैं. जैसे रिक्शा चालक, दिहाड़ी मजदूर, कारीगर, श्रमिक, ड्राइवर, सब्जी बेचने वाले इत्यादि, जिनका निवाला शराब के बगैर उतरता ही नहीं. उन्हें भी अब जेब ढीली करनी पड़ रही है. देशी शराब पीने वाले को भी अब ₹10 ज्यादा देना पड़ रहा है.
अब यह तो समझने की बात है कि आबकारी विभाग ने बियर पर कोई भी नया टैक्स नहीं लगाया है. जबकि उसकी भी खपत ज्यादा है. सूत्र बताते हैं कि आमतौर पर गर्मियों में बियर की मांग ज्यादा होती है. जबकि सर्दियों में लोग बियर कम ही लेते हैं. यही कारण है कि बियर पर कोई भी अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया गया है.
आबकारी विभाग ने राज्य के ठेकों को पहले ही अपनी मंशा बता दी थी और उन्हें निर्देश दिया था कि पुराने स्टॉक को 30 नवंबर तक समाप्त कर दें. 1 दिसंबर से पुराने स्टॉक को भी नया लेबल लगाकर बेचा जा रहा है. नया माल तो नया माल, पुराने माल पर स्टिकर लगाकर बेचने से किसको फायदा और किसको घाटा हो रहा है, यह भी बताने की जरूरत नहीं है. यह अनिवार्य भी कर दिया गया है.
यानि पुराने माल पर स्टीकर नहीं होगा तो विक्रेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. उसकी दुकान का लाइसेंस भी जब्त हो सकता है. साफ है कि सरकार की इसमें भरपूर कमाई हो रही है. वास्तव में विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 में बंगाल विधानसभा का चुनाव होना है. राज्य सरकार के पास राजस्व की कमी है. ऐसे में सरकार राजस्व आय बढ़ाना चाहती है. यही कारण है कि समय की मांग को देखते हुए सरकार ने सभी तरह की शराब को महंगा कर दिया है.
हालांकि पीने पिलाने के शौकीनों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. जहां पीने में हजारों रुपए फूंक दिए जाते हैं, वहां शराब पर 10 और ₹40 की महंगाई क्या मायने रखती है! उन्हें तो बस पीना चाहिए और ठेका खुला रहना चाहिए. खबर समय ने पीने पिलाने के कई शौकीन लोगों से शराब पर लगाए गए अतिरिक्त टैक्स की बाबत पूछा तो उन्होंने लगभग ऐसा ही जवाब दिया.
