सिलीगुड़ी के विभिन्न बाजारों में पिछले कुछ दिनों से सब्जियों में प्याज और लहसुन उपभोक्ताओं को रुलाने लगा है. प्याज का दाम अब शतक की ओर बढ़ रहा है. जबकि लहसुन ने भी महंगाई में अब तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है. लहसुन ₹100 में ढाई सौ ग्राम मिल रहा है. जबकि प्याज की कीमत ₹80 से लेकर ₹100 तक प्रति किलो हो गया है. यह खुदरा बाजार की दर है.
सिलीगुड़ी ही क्यों बल्कि पूरे देश में लहसुन और प्याज की कीमतों में भारी उछाल आया है. आलू भी महंगा हुआ है. पिछले साल इस समय आलू ₹30 प्रति किलो से काफी कम था. वर्तमान में पुराना आलू ₹35 से लेकर ₹40 प्रति किलो बिक रहा है. जबकि चंद्रमुखी आलू सिलीगुड़ी के बाजार में ₹50 प्रति किलो तक पहुंच गया है. हालांकि कुछ दिनों पहले तक ₹400 प्रति किलो बिकने वाला अदरक अब ₹100 प्रति किलो बिक रहा है. टमाटर के दाम में भी थोड़ी राहत दिख रही है. या फिर टमाटर का दाम स्थिर बना हुआ है. अन्य सब्जियों की कीमत में भी उन्नीस बीस की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
कुछ सब्जियों की कीमत कम हुई है, तो कुछ सब्जियां पहले से थोड़ी महंगी हुई है. ₹60 प्रति किलो बिकने वाला बैंगन अब ₹40 प्रति किलो बिक रहा है. हालांकि शिमला मिर्च ₹100 प्रति किलो से भी ज्यादा महंगा बिक रहा है. लौकी की कीमत में कुछ कमी आई है. लेकिन बाजार की चिंता लहसुन और प्याज ने बढ़ा दी है. बाजार में इन्हीं दोनों वस्तुओं की महंगाई की चर्चा उपभोक्ता कर रहे हैं. किचन में मसाला हो या सब्जी, लहसुन और प्याज का अधिकतर इस्तेमाल होता है. यही कारण है कि उपभोक्ता प्याज और लहसुन की आसमान छूती कीमतों से काफी परेशान हैं.
इन दोनों वस्तुओं की कीमत में केवल एक हफ्ते में ही यह बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. अन्यथा 10 दिन पहले सिलीगुड़ी के बाजार में प्याज की कीमत ₹50 प्रति किलो थी. जबकि लहसुन ₹160 प्रति किलो की दर पर बिक रहा था. अचानक से लहसुन और प्याज की बढ़ती हुई कीमतों ने उपभोक्ताओं के आंसू निकालने शुरू कर दिए हैं. इसका पूरे बाजार पर असर पड़ रहा है. उपभोक्ता प्याज का विकल्प तलाशने में लगे हैं. 2019 में प्याज का दाम 150 रुपए प्रति किलो से भी अधिक हो गया था. बाजार में सब्जी खरीदने आए कुछ उपभोक्ता आशंका व्यक्त करते हैं कि प्याज का दाम कहीं 150 रुपए प्रति किलो तक नहीं पहुंच जाए.
हालांकि बाजार से जुड़े जानकार मानते हैं कि अगले महीने से बाजार में नई फसल आएगी तो प्याज का दाम घट सकता है. प्याज की सर्वाधिक खेती महाराष्ट्र में होती है. महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों में पिछले एक हफ्ते में ही लगभग 40% की वृद्धि देखी जा रही है. वर्तमान में प्याज की महंगाई को लेकर महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि प्याज की महंगाई को लेकर सरकार चिंतित है. लेकिन सरकार किसानों का दर्द नहीं समझ रही है.
प्याज की महंगाई को लेकर कुछ आंकड़े सामने आए हैं. सिलीगुड़ी समेत कोलकाता, दिल्ली, लखनऊ, चंडीगढ़ आदि देशभर के बाजारों में प्याज की कीमतों में आई भारी उछाल का एकमात्र कारण वास्तव में प्याज का उत्पादन लगभग 60 लाख टन कम होना है. जबकि मार्च 2024 की रवि फसल का स्टॉक भी लगभग खत्म हो चुका है. बारिश ने भी प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का मार्ग प्रशस्त किया है. पिछले साल महाराष्ट्र के किसानों ने प्याज की खेती की थी तो उसमें काफी घाटा हुआ था. यही कारण है कि किसानों ने प्याज की खेती से दूरी बनानी शुरू कर दी है. अकेले महाराष्ट्र में 43% प्याज का उत्पादन होता है.
जो भी हो, प्याज और लहसुन की महंगाई ने पूरे घर का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. सिलीगुड़ी जैसे जिस शहर में उपभोक्ताओं की आमदनी मामूली हो, वहां प्याज और लहसुन की आसमान छूती कीमतों ने साधारण और मध्यम वर्गीय परिवार के घर का बजट असंतुलित कर दिया है. यही कारण है कि वर्तमान में अनेक गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के लोग पाव भर प्याज और लहसुन में ही पूरे एक हफ्ते का किचन संभाल रहे हैं, जबकि कुछ समय पहले तक दुगुना स्टाक भी कम पड़ता था.