साधारण और मध्यम परिवार महंगाई से पीड़ित है. ऊपर से जीएसटी का बोझ वस्तुओं की महंगाई को और बढ़ा रही है. देश के बड़े-बड़े राजनीतिक दल महंगाई के लिए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी जीएसटी नीति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. राजनीतिक दलों के बयान कुछ हद तक सही भी हैं. क्योंकि आम उपभोक्ता की चीजों पर जीएसटी की दर कम होनी चाहिए. जबकि जीएसटी काउंसिल ने किचन में इस्तेमाल होने वाली एक-एक चीज और यहां तक की दवाइयों पर भी जीएसटी की दर इतनी ज्यादा बढ़ा दी है कि लोगों की जेब पर यह भारी पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री ने देश की पीड़ा को समझा है और शायद इसीलिए उन्होंने लाल किले की प्राचीर से स्वाधीनता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए आम उपभोक्ता के इस्तेमाल की चीजों पर जीएसटी की दरों में कमी लाने की बात कही है. प्रधानमंत्री ने संकेत दिया है कि दिवाली तक देशवासियों को उनके इस्तेमाल की बहुत सी चीजें सस्ती हो जाएंगी. इनमें कपड़े, जूते, मोबाइल, टीवी ,फ्रीज, दवाइयां इत्यादि शामिल हैं. केंद्र सरकार ने जीएसटी ढांचे में व्यापक सुधार का प्रस्ताव पहले ही काउंसिल के समक्ष रख दिया है. इसका लक्ष्य जीएसटी में सुधार करके टैक्स सिस्टम को सरल बनाना है.
केंद्र सरकार ने जीएसटी काउंसिल के समक्ष जो प्रस्ताव रखा है, उसके अनुसार आम उपभोक्ता की इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर वस्तुओं को दो प्रकार के जीएसटी स्लैब के अंतर्गत रखने का सुझाव दिया गया है. यह दो प्रकार की स्लैब हैं, 5% और 18% .हालांकि प्रस्ताव में विलासिता की वस्तुएं तथा तंबाकू को 40% स्लैब के दायरे में रखने की बात की गई है. यानी विलासिता की वस्तुएं और तंबाकू और महंगे होंगे.
केंद्र सरकार ने 2017 में जीएसटी देश भर में लागू किया था. उसके बाद से जीएसटी काउंसिल की कई बार बैठकें हो चुकी हैं और समय-समय पर स्लैब की दरों में परिवर्तन भी किया गया है. लेकिन यह पहला मौका है जब जीएसटी स्लैब की दरों में व्यापक संशोधन होने वाला है. सरकार ने तर्क दिया है कि इस संशोधन से मध्यम वर्गीय परिवार, छोटे उद्योग धंधे करने वाले लोग काफी फायदे में होंगे. क्योंकि उन्हें कम टैक्स देना होगा. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इससे किसान, महिला, छात्र और गरीब वर्गों को काफी राहत मिलेगी.
दिवाली तक जो वस्तुएं सस्ती होंगी, उनमें खाने पीने की वस्तुएं, दवाइयां, शिक्षा, किचन के सामान, कृषि के सामान, कृषि मशीनरी उपकरण, बीमा सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाएं इत्यादि शामिल हैं. जो वस्तुएं महंगी होगी, उनमें तंबाकू उत्पाद और ऑनलाइन गेमिंग शामिल है. जिन पर 40% तक टैक्स लगाया जा सकता है. केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए GOM को अपना प्रस्ताव भेजा है, जहां वे इस पर समीक्षा करेंगे और अपनी सिफारिश जीएसटी काउंसिल को देंगे. विचार विमर्श के बाद सितंबर या अक्टूबर में इस पर फैसला आ सकता है. बहरहाल यह देखना होगा कि प्रधानमंत्री की लाल किले से घोषणा और वित्त मंत्रालय के बयान को कितना सरल बनाया जा सकता है.