सिलीगुड़ी नगर निगम के द्वारा इन दिनों पथ श्री योजना के अंतर्गत सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. अगर इन सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल हो तो न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि प्लास्टिक कचरे के सुंदर इस्तेमाल के साथ-साथ पर्यावरण और रोजगार के क्षेत्र में भी वृद्धि होगी.
यह साबित करके दिखाया है जीटीए ने. पहाड़ में गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन पहली प्रशासनिक इकाई है, जो प्लास्टिक कचरे से 4 किलोमीटर से अधिक सड़क निर्माण करने जा रही है. पहाड़ में यह पहला उदाहरण है. प्रोजेक्ट की सफलता के बाद प्रशासन इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए उत्साहित होगा, इसमें कोई दो राय नहीं है.
इसके साथ ही जीटीए की कामयाबी सिलीगुड़ी को भी प्रेरणा देगी कि किस तरह से प्लास्टिक कचरे का सुंदर इस्तेमाल किया जा सकता है. सिलीगुड़ी नगर निगम को जरूर इस पर विचार करना चाहिए.
मिली जानकारी के अनुसार जीटीए प्रशासन मिरिक ब्लॉक के अंतर्गत मुक्तिखोला वॉटरफॉल से नोलदारा विलेज तक सड़क निर्माण कर रहा है. इसमें प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है.लगभग 4.420 किलोमीटर सड़क निर्माण में 1846.56 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
प्लास्टिक कचरे से बनी सड़कें बारिश और गर्मी में बेहतर प्रदर्शन करती हैं और टूट-फूट के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है. प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण के अनेक लाभ हैं.
आपको बताते चलें कि भारत के 11 राज्यों में यह तकनीक अपनाई गई है. लगभग 100000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण इस तकनीक के तहत किया गया है. नदिया, चेन्नई,सूरत इत्यादि शहरों में प्लास्टिक कचरे के उपयोग के सफल प्रयोग हो चुके हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाना एक पर्यावरण अनुकूल और लागत प्रभावी तरीका है, जिसमें प्लास्टिक को छोटे टुकड़ों में काटकर डामर के साथ मिलाया जाता है. इससे सड़क की मजबूती और टिकाऊपन बढ़ता है.
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी सड़के पानी का प्रतिरोध करती हैं और पारंपरिक सड़कों की तुलना में इसके निर्माण में लागत भी कम आती है. इस तकनीक से एक तरफ जहां प्लास्टिक कचरा कम होता है वहीं प्रदूषण में भी कमी आती है. इसके अलावा प्लास्टिक कचरा बीनने वाले को आर्थिक लाभ भी होता है. यानी अतिरिक्त आय का भी यह एक माध्यम है. कई लोगों को रोजगार मिल जाता है.
सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन को भी इस एंगल से प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए. इसके लिए शहर में जागरूकता कार्यक्रम और सचेतन शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए. ताकि लोग प्लास्टिक को इधर-उधर ना फेंककर उसे सही जगह पर डालें ताकि प्लास्टिक बीनने वाले प्लास्टिक की पन्नियों को चुनकर प्रोसेसिंग मशीनों तक सही जगह पहुंचाएं.
इससे सिलीगुड़ी का पर्यावरण भी स्वच्छ होगा. इसके साथ ही लैंड फील में जाने वाले प्लास्टिक की मात्रा कम होगी. शहर की सुंदरता बढ़ेगी और लोग अधिक नीरोगी होंगे.
