भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग कर रही है. शुभेंदु अधिकारी मुख्यमंत्री को चुनौती दे रहे हैं कि 15 अप्रैल तक सुप्रीम कोर्ट में योग्य उम्मीदवारों की तालिका प्रस्तुत करें अन्यथा भारतीय जनता पार्टी 21 अप्रैल से धरना प्रदर्शन शुरू करेगी. ममता बनर्जी बर्खास्त शिक्षकों को आश्वासन दे रही हैं कि किसी भी शिक्षक की नौकरी जाने नहीं दूंगी. परंतु सवाल बड़ा है कि यह सब कैसे होगा? भाजपा और विपक्ष को मौका मिला है,तो वे चौका मारने में लगे हैं. शुभेंदु अधिकारी बर्खास्त शिक्षकों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कुछ भी करने को तैयार दिख रहे हैं.
शुभेंदु अधिकारी और भाजपा के नेता सीधे-सीधे अभिषेक बनर्जी पर आरोप लगाते हैं कि शिक्षक भर्ती घोटाले का पैसा अभिषेक बनर्जी डकार गए हैं. सुकांत मजूमदार कहते हैं कि जिस तरह से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने शिक्षक भर्ती घोटाले में पैसा खाया और जेल गए, ठीक उसी तरह से प्रदेश में भाजपा की सरकार आने पर मुख्यमंत्री को जेल भेजा जाएगा. भाजपा के वरिष्ठ नेता संबित पात्रा कहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
इस तरह से भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर प्रहार करना शुरू कर दिया है. ऐसा लगता है कि आने वाले समय में यह मामला कुछ ज्यादा ही तूल पकड़ने वाला है. रामनवमी का त्यौहार बंगाल में हंसी-खुशी के वातावरण में संपन्न हुआ. इसके लिए बंगाल सरकार और पुलिस को जरूर दाद देनी चाहिए. आज रामनवमी के दूसरे दिन एक बार फिर से सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता तक बर्खास्त शिक्षकों के मामले पर घमासान शुरू हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 3 महीने में नई भर्ती करने का आदेश दिया है. ममता बनर्जी के लिए यह मुश्किल की घड़ी है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्कूलों की नौकरी ग॔वाने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों से मिलने पहुंची तो उनकी आंखों में उम्मीद की धुंधली सी आस जरूर थी. परंतु मुख्यमंत्री से मुलाकात के कुछ ही देर बाद उनकी यह धुंधली आस भी छट गई थी. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बचा ही क्या है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी चाह कर भी अब कुछ नहीं कर सकती. फिर भी वह कोई ना कोई रास्ता जरूर तलाशने में लगी है, ताकि उनकी सरकार पर आया संकट फिलहाल टल जाए.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं बर्खास्त शिक्षकों के साथ खड़ी हूं. मैं उन्हें भरोसा देती हूं कि जो लोग योग्य हैं, उनकी नौकरी नहीं जाने दूंगी. उन्होंने कहा कि बोलने पर उन्हें जेल भी हो सकती है. लेकिन वह बोल रही हैं. इसके लिए मैं जेल भी जाने को तैयार हूं. चाहे इसके लिए मुझे कोई भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े, मैं हमेशा आपके साथ खड़ी हूं. उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले से बंधी हुई हूं.लेकिन मैं विश्वास दिलाती हूं. मैं बहुत जल्द तत्परता से कदम उठा रही हूं. उन्होंने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक किसी की भी नौकरी जाने नहीं दूंगी.
दूसरी तरफ प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने भी बर्खास्त शिक्षकों के साथ खड़ा होने का दावा किया है. भाजपा और सीपीएम ममता बनर्जी पर हमलावर हैं और उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है. प्रदेश भाजपा के नेता कहते हैं कि जब 2026 में उनकी सरकार आएगी, तो शिक्षकों के साथ न्याय होगा. उन्हें नौकरी दी जाएगी. विधानसभा में विपक्ष के नेता और प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने बर्खास्त शिक्षकों से कहा है कि आप लोग सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कीजिए. भाजपा के विधायक आपके लिए चंदा उठाकर वकील की फीस देंगे.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मेरा नाम ऐसी बातों में घसीटा जा रहा है, जबकि मैं इसके बारे में कुछ जानती भी नहीं. उन्होंने कहा कि मैं किसी भी कीमत पर योग्य उम्मीदवारों को बेरोजगार नहीं होने दूंगी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमें यहां नहीं बता सका कि कौन योग्य है और कौन अयोग्य है. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि खेल 2022 में शुरू हुआ. जिनके पास नौकरी देने की ताकत नहीं है, उन्होंने नौकरियां छीन ली है. चेहरा और मास्क अलग-अलग होने चाहिए. किसी भी योग्य व्यक्ति की नौकरी नहीं जानी चाहिए. वे कहते हैं कि आपको 2026 में नौकरी देंगे. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि नौकरी छीनने का काम उन्हीं लोगों ने किया है.
नेताजी इंडोर स्टेडियम में शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों की काफी भीड़ थी. सैकड़ो लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे थे.स्टेडियम के बाहर अव्यवस्था भी देखने को मिली. क्योंकि जिन लोगों को प्रवेश पास जारी नहीं किए गए थे, वह भी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे हुए थे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों को भरोसा दिया है कि किसी भी शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी. लेकिन यह आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं है. खासकर अयोग्य उम्मीदवारों के लिए वह कुछ भी नहीं कर सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25753 शिक्षकों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था और अपने आदेश में पूरी चयन प्रक्रिया को दागी बताया था. एसएससी भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण नौकरी खोने वाले शिक्षकों तथा गैर शिक्षक कर्मचारियों के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में बैठक करती नजर आई तो दूसरी तरफ विपक्ष खासकर भाजपा की ओर से शुभेंदु अधिकारी से लेकर बड़े-बड़े नेता बर्खास्त शिक्षकों का रहनुमा बनने की कोशिश करते नजर आए.
ममता बनर्जी ने कहा कि मैं उन लोगों के साथ खड़ी हूं, जिन्होंने अन्यायपूर्ण तरीके से अपनी नौकरी को दिया है. मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं. मैं आपकी गरिमा बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगी.हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं हैं कि योग्य उम्मीदवारों की सेवा में कोई रुकावट ना आए. हम उन्हें बेरोजगार नहीं होने देंगे. ममता बनर्जी ने भाजपा और सीपीएम पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने पूरी शिक्षा प्रणाली को तोड़ने की साजिश की है.
आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि योग्य और अयोग्य के बीच अंतर करना संभव नहीं है. जिन लोगों को 2016 में नौकरी मिली थी, वह नई भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकेंगे. जो लोग अन्य सरकारी नौकरियां छोड़कर 2016 एसएससी के माध्यम से स्कूल की नौकरियों में शामिल हुए थे, वह अपनी पुरानी नौकरियों मे वापस आ सकेंगे. लेकिन जिन लोगों को अयोग्य घोषित किया गया है, वह अब परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे. उन्हें 12% की दर से ब्याज समेत अपना वेतन लौटाने को कहा गया है.
सवाल यह है कि इन्हें कैसे मैनेज किया जाएगा? इसका जवाब ना तो ममता बनर्जी के पास है और ना ही भाजपा और विपक्ष के पास. बहरहाल देखना होगा कि शिक्षक भर्ती घोटाले का मामला अब कौन से नए मोड़ पर आता है.
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