एक तरफ देश में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि काफी पढ़े लिखे व योग्य नौजवान सरकारी नौकरी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं , तो दूसरी तरफ बंगाल में शिक्षक अतिरिक्त जिम्मेवारी उठाने को तैयार नहीं है. उन्हें मानो इस्तीफा देना तो मंजूर है, लेकिन चुनाव के लिए बूथ लेवल अधिकारी बनना पसंद नहीं है. चुनाव आयोग उन्हें SIR के लिए BLO के पोस्ट पर नियुक्ति दे रहा है. लेकिन वे नियुक्ति पत्र अस्वीकार कर रहे हैं. उन्हें अपनी जान की कीमत पर नौकरी नहीं चाहिए. आखिर यह नौबत क्यों आई?
कदाचित बंगाल के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर है, जब BLO को शायद इस्तीफा देना मंजूर है, लेकिन उन्हें अपनी ड्यूटी करना मंजूर नहीं है. पिछले काफी समय से कई बीएलओ को जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. उन्होंने इसकी शिकायत भी चुनाव आयोग से की थी और मांग की थी कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. तभी वे निश्चिंत होकर अपना कार्य कर सकेंगे. कई बीएलओ ने एस आई आर के लिए कार्य से मुक्ति देने की मांग की थी. अब भारतीय चुनाव आयोग ने ड्यूटी नहीं करने वाले लगभग 1000 बीएलओ को नोटिस जारी किया है.
चुनाव आयोग ने कुछ ही समय पहले राज्य में BLO की नियुक्ति की थी. लेकिन अपनी नियुक्ति के समय से ही BLO अपनी ड्यूटी के प्रति उदासीन थे. राज्य में कुछ इलाकों में BLO को जान से मारने की धमकी मिली, तो कई इलाकों में उन्हें स्थानीय मतदाताओं के रोष का सामना करना पड़ा. विभिन्न इलाकों से मिल रही तमाम शिकायतों के बाद विभिन्न जिला मजिस्ट्रेट और जिला निर्वाचन अधिकारियों ने मुख्य चुनाव अधिकारी को रिपोर्ट भेजी थी. इसके बाद भारतीय चुनाव आयोग ने लगभग 1000 बीएलओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उनसे पूछा गया है कि आखिर उन्हें कार्य करने से कौन रोक रहा है.
बंगाल में SIR लागू करने से पहले भारतीय चुनाव आयोग सभी तरह की तैयारी कर रहा है. मतदाता सूची की मैपिंग की जा रही है. जिसमें काफी शिकायतें भी सामने आ रही है. जिस तरह से 2002 की SIR सूची की तुलना में नवीनतम प्रकाशित मतदाता सूची में गड़बड़ी पाई जा रही है, इसके बाद चुनाव आयोग का माथा ठनका है. चुनाव आयोग बिहार की तर्ज पर ही बंगाल में चुनाव कराना चाहता है. इसलिए वह एस आई आर को लेकर तैयारी में कोई भी चूक रह जाए, नहीं चाहता है.
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब भारतीय चुनाव आयोग ने बंगाल BLO को नोटिस जारी किया हो. चुनाव आयोग द्वारा नियुक्ति के साथ ही शिक्षकों के द्वारा नियुक्ति पत्र अस्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई. वास्तव में BLO वर्तमान स्थितियों में नहीं चाहते कि उन्हें यह कार्य सौंपा जाए. क्योंकि बंगाल के विभिन्न इलाकों में एस आई आर को लेकर माहौल इतना गर्म है कि BLO के साथ कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता. पहले तो BLO ने केंद्र से मदद मांगी और उसके बाद उन्होंने नियुक्ति पत्र अस्वीकार करना शुरू कर दिया. चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है.
एक-एक बीएलओ को नोटिस भेजा गया है. चुनाव आयोग ने बीएलओ को नोटिस जारी करते हुए 72 घंटे के भीतर उनसे जवाब भी मांगा है. आखिर बीएलओ SIR के लिए काम करना क्यों नहीं चाहते? अब बीएलओ के द्वारा चुनाव आयोग को जवाब भेजा जाएगा. उसके बाद संपूर्ण स्थितियों पर चुनाव आयोग विचार करेगा. तब देखना होगा कि वास्तव में बीएलओ को किस बात का डर सता रहा है?
चुनाव आयोग का अगला कदम क्या होता है, यह भी पता चल जाएगा. इस बीच चुनाव आयोग ने देश के सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को दिल्ली बुलाया है, जहां उनके साथ एस आई आर के मुद्दे पर बैठक होगी. समझा जाता है कि इस बैठक में कोई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकल कर सामने आ सकता है. आखिर चुनाव आयोग का फैसला क्या होगा? सबकी निगाहें इसी पर टिकी है. परंतु जानकार मानते हैं कि बंगाल में हर हाल में चुनाव आयोग SIR लागू करेगा.