पश्चिम बंगाल में एस आई आर शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है. यह दावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया है और कहा है कि इसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेवार है. दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने पलटवार किया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि बंगाल में एस आई आर में चूक होने पर अधिकारी जिम्मेदार होंगे.
कोलकाता में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती ने यह बयान जारी किया है. उन्होंने अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की और SIR की प्रगति का जायजा लिया है. इस बैठक में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेता बंगाल में SIR का विरोध कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जनता बनर्जी ने कहा है कि आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के नियोजित निर्णय के कारण कार्य करता हूं पर अत्यधिक दबाव है जिससे आत्महत्या की घटनाएं अत्यधिक हो रही है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अब तक राज्य में लोगों की मौत हो चुकी है उसके लिए आयोग का अनुमोदित निर्णय जिम्मेदार है और नियोजित जिम्मेदार हैं आपको बताते चलेगी चुनाव आयोग ने अक्टूबर के आखिर में यहां ऐसा यार की शुरुआत की थी उधर चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में दर्ज है अथवा जिनके परिवार में नाम मौजूद है उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी लोग आतंकित है और सुरक्षा तथा भाई के वातावरण में जी रहे हैं लोगों के दिमाग में यह धारणा बैठ गई है कि अगर मतदाता सूची में उनका नाम नहीं होगा तो वह राज्य के निवासी नहीं रह सकेंगे राज्य में ऐसा याद लागू होने के बाद से अतीत तौर पर कई लोगों ने आत्महत्या कर ली है इससे समाज में भाई और असुरक्षा उत्पन्न हो रही है स्थानीय स्तर पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि बूथ लेवल अधिकारी पर काम का अत्यधिक दबाव है इसके कारण वह भी मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या कर रहे हैं माल बाजार में एक महिला ब्लू का 100 फंदे स से लटका हुआ मिला था उनके परिवार का दावा है कि यह आत्महत्या एस ए आर से जुड़े काम के दबाव के कारण हुआ है इस तरह के आरोप प्रत्यारोप के बीच बहस की गुंजाइश बढ़ गई है सामाजिक संगठनों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीएलओ की मौत को की घटना के बाद चुनाव आयोग पर गुस्सा उतरा है अमृत महिला आंगनवाड़ी में काम करती थी और वह फिर का दबाव नहीं भेज सकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि यह शरीर प्रक्रिया ठीक है लेकिन इसे पूरा होने में 2 साल से अधिक समय लगा सकते हैं 3 साल लगते हैं 2002 में ऐसा ही हुआ था लेकिन अभी राजनीतिक कर्म से उसे 2 महीने में पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है इस जल्दबाजी के कारण ही आम नागरिकों और कर्मचारियों का जीवन गांव पर लगा है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में चेतावनी दी है कि अगर आयोग ने समय रहते इस पर पुनर्ज विचार नहीं किया तो आने वाले समय में गंभीर परिणाम रखने को देखने को मिल सकते हैं
