आप यह सोचते हैं कि बच्चों को जल्द से जल्द पढ़ाई लिखाई से जोड़ देना चाहिए. यही कारण है कि होश संभालने से पूर्व ही बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है. एक अनुमान के अनुसार ढाई से 3 साल में बच्चे स्कूल जाना शुरू कर देते हैं. लेकिन अब शायद ही आपके बच्चों का दाखिला 6 वर्ष से पहले पहली कक्षा में हो. क्योंकि केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र 6 वर्ष रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं.
लेकिन यह मत समझिए कि 6 साल से पूर्व आपके बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे. दरअसल केंद्र ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की है और उसके अनुसार ही स्कूली शिक्षा का नया ढांचा अपनाने को राज्यों को निर्देश जारी किया है.बच्चों को 3 साल की उम्र में स्कूली व्यवस्था से जोड़ा जा सकता है. लेकिन उन्हें पढ़ने लिखने से दूर ही रखा जाएगा. शुरू के 3 साल तक बच्चे प्ले स्कूल से जुड़े रहेंगे और जब उनकी आयु 6 साल की हो जाएगी तब उन्हें पहली कक्षा में दाखिला मिलेगा.
केंद्र सरकार ने राज्यों से पूर्व स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में 2 साल का डिप्लोमा डिजाइन करने और चलाने की प्रक्रिया शुरू करने का भी अनुरोध किया है. केंद्र सरकार का यह फैसला उस समय सामने आया है जब बच्चों का स्कूलों में दाखिला शुरू हो चुका है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने की शक्ति और समाज विकसित करने की सिफारिश करती है.
मंत्रालय ने कहा है कि आंगनबाड़ी अथवा सरकारी सहायता प्राप्त निजी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित स्कूल पूर्व केंद्रों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए 3 वर्ष की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही यह किया जा सकता है. आपको बताते चलें कि शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 9 फरवरी 2023 को एक पत्र के माध्यम से सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवेश के लिए बच्चों की आयु को 6 प्लस करने तथा 6 प्लस की आयु में पहली कक्षा में प्रवेश लेने के निर्देशों को व्यक्त किया है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि परीक्षा के तनाव के खिलाफ मुहिम को संस्थागत रूप देने तथा इसे जन आंदोलन बनाने के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित पुस्तक एग्जाम वारियर्स सभी स्कूलों के पुस्तकालयों में उपलब्ध कराई जाए. एग्जाम वारियर्स के लेखक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इस पुस्तक में परीक्षा के तनाव को दूर करने के तरीकों और साधनों के संबंध में विद्यार्थियों अभिभावकों और शिक्षकों के लिए अद्वितीय मंत्रों को शामिल किया है.
नेशनल बुक ट्रस्ट ने एग्जाम वारियर्स पुस्तक का अनुवाद 11 भारतीय भाषाओं में किया है. इनमें असामी, गुजराती, कन्नड़, बांग्ला, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी ,तमिल ,तेलुगू और उर्दू भाषा शामिल है.