रुपए के आगे सारे रिश्ते गौण हो रहे हैं. यह रुपया ही है, जो दोस्ती को दुश्मनी में बदल देता है. माता को पुत्र से अलग कर देता है. रुपया ही है जो रिश्ते, परिवार, समाज सबको तोड़ रहा है. क्योंकि इंसान रुपए के पीछे भाग रहा है. किसी ने सच कहा है कि अगर रिश्तों को बरकरार रखना है तो रुपए को अलग कर दो. लेकिन वर्तमान समय में रिश्ते को सामने रखकर रूपये मांगे जा रहे हैं और जब रूपये हाथ में आ जाते हैं तो रिश्ते दूर हो जाते हैं.
सिलीगुड़ी के दो युवकों गणेश प्रसाद और छोटू कुमार पासवान में गहरी मित्रता थी. किसी समय दोनों एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते थे. उनकी दोस्ती की गाड़ी यूं ही चल रही थी. एक दिन गणेश प्रसाद ने छोटू कुमार पासवान से कहा कि वह एक कारोबार करना चाहता है. उसके लिए उसे कुछ रूपयों की आवश्यकता है. अगर तुम मुझे उधार दे सको तो मेरा कारोबार शुरू हो जाएगा और तुम्हारा पैसा धीरे-धीरे करके चुकता कर दूंगा. यह बात 2022 की है. उस समय उन दोनों की दोस्ती के खूब चर्चे होते थे.
छोटू कुमार के पास पैसे तो थे लेकिन उसने पैसों को किसी अन्य काम के लिए सुरक्षित रखा था. पर दोस्ती का सवाल था, ऐसे में दोस्त की मदद ना की जाए तो दोस्त को बुरा लगेगा. यह सोचकर छोटू कुमार पासवान ने गणेश प्रसाद से पूछा कि वह कौन सा कारोबार करना चाहता है. गणेश प्रसाद ने बताया कि वह पुरानी गाड़ियों का कारोबार शुरू करना चाहता है, जिसके लिए उसे लाखों रुपए की जरूरत है. छोटू ने गणेश प्रसाद को कारोबार शुरू करने के लिए 27.30 लाख उधार दे दिए. छोटू से रूपये लेने के बाद गणेश अपने कारोबार में व्यस्त होता चला गया.
धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा. निर्धारित समय गुजर जाने के बाद छोटू ने गणेश से अपने रुपए वापस मांगने शुरू कर दिए. गणेश प्रसाद ने एक दिन 1,30000 रुपए छोटू पासवान के बैंक खाते में जमा कर दिये और बाकी के चेक काट कर दे दिए. ताकि वह बैंक में जमा करके बाकी पैसे अपने खाते में जमा कर सके. छोटू ने चेक बैंक में जमा तो कर दिया, पर वे चेक बाउंस निकले. बस इसी घटना के बाद दोनों दोस्तों में दरार उत्पन्न हुई जो दिनों दिन बढती चली गई. अब जब छोटू गणेश से रुपए की मांग करता तो गणेश का व्यवहार छोटू के प्रति पूरी तरह बदल चुका था. दोनों दुश्मन की तरह एक दूसरे से मिल रहे थे.
उनकी दोस्ती अब दुश्मनी में बदल चुकी थी. छोटू जब भी गणेश को फोन लगाता तो गणेश उसका फोन उठाता ही नहीं या फिर कभी कभार फोन पकड़ता तो कोई ना कोई बहाना बना देता. कभी-कभी फोन पर ही दोनों झगड़ने लगते और एक दूसरे को भद्दी भद्दी गालियां देने लग जाते थे. छोटू पासवान को लगने लगा, गणेश से पैसा मिलना मुश्किल है. जब सीधी उंगली से घी नहीं निकले तो उंगली को टेढ़ा करना ही पड़ता है. उसने गणेश को सबक सिखाने का फैसला कर लिया.
उधर गणेश प्रसाद भी कुछ इसी तरह की योजना बना रहा था.वह छोटू का पैसा हड़प लेने की योजना बना रहा था. उसने एक सोची समझी योजना के तहत छोटू को पैसे देने के बहाने 13 अगस्त को को प्रधान नगर इलाके में बुलाया. वहां गणेश प्रसाद के कुछ किराए के बदमाश मौजूद थे.वहां छोटू अपने पैसे लेने पहुंचा तो एक बदमाश ने उसके सिर पर बंदूक तान दी.
शिकायत के अनुसार छोटू और गणेश के बीच जमकर झगड़ा हुआ. गणेश प्रसाद ने छोटू को जान से मारने की धमकी दी. किसी तरह से वहां से जान बचाकर छोटू भागा और प्रधान नगर थाने में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के आधार पर प्रधान नगर पुलिस ने आरंभिक कार्रवाई करते हुए गणेश प्रसाद को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया. उसे सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक किरासत में जेल भेज दिया गया है.
इस घटना से सबक मिलता है कि पैसा मनुष्य की नीयत को खराब कर देता है और जब रिश्तो में उधार लेनदेन होता है तो रिश्ते भी खराब हो जाते हैं. दोस्ती दुश्मनी में तब्दील हो जाती है. अत: अगर रिश्ते मजबूत और टिकाऊ बनाए रखना है तो रिश्तो में उधारी से बचें.