बांग्लादेश में हालिया हिंसा और राजनीतिक अशांति का सीधा असर पश्चिम बंगाल की टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। भारत से बांग्लादेश को होने वाले कॉटन यार्न, रॉ कॉटन और फैब्रिक के एक्सपोर्ट पर संकट गहरा गया है। इन उत्पादों का कुल व्यापार मूल्य करीब 22,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसका बड़ा हिस्सा बंगाल के रास्ते पड़ोसी देश भेजा जाता था।
इसके साथ ही बंगाल से बांग्लादेश को होने वाला करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक का गारमेंट एक्सपोर्ट भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक्सपोर्ट ऑर्डर रद्द होने और नए ऑर्डर न मिलने से राज्य के कई गारमेंट हब, खासकर कोलकाता के मेटियाब्रुज़ इलाके में कामकाज ठप पड़ने की स्थिति बन गई है।
FIEO (फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन) के पूर्व रीजनल चेयरमैन सुशील इतवारी, जो 1972 से बांग्लादेश को कॉटन एक्सपोर्ट कर रहे हैं, ने बताया कि बांग्लादेश भारतीय कॉटन, फैब्रिक और कॉटन यार्न का सबसे बड़ा खरीदार है। उनके अनुसार, कॉटन यार्न का कुल एक्सपोर्ट करीब 1.2 बिलियन डॉलर और कॉटन व फैब्रिक का एक्सपोर्ट करीब 1.5 बिलियन डॉलर का है। नॉर्थ इंडिया की मिलों से यह सामान बंगाल के जरिए ज़मीनी रास्तों से भेजा जाता था, क्योंकि राज्य में छह लैंड पोर्ट हैं। हालांकि, बांग्लादेश पहले ही ज़मीनी रास्तों से कॉटन यार्न के इंपोर्ट पर रोक लगा चुका है।
मेटियाब्रुज़ गारमेंट हब के मैन्युफैक्चरर और वेस्ट बंगाल गारमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष सज्जन अली मोल्लाह ने कहा कि एजेंट्स के जरिए आने वाले एक्सपोर्ट ऑर्डर रद्द होने से मैन्युफैक्चरर्स को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि अब कई निर्माता मजबूरी में घरेलू बाजार और दूसरे राज्यों की ओर रुख कर रहे हैं।
एक अन्य गारमेंट मैन्युफैक्चरर दिलावर मोंडल ने कहा, “अशांति शुरू होने के बाद एजेंट्स के जरिए हमारा बिजनेस सिर्फ 20 प्रतिशत रह गया है।” वहीं, बंग्ला रेडीमेड गारमेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव आलमगीर फकीर ने बताया कि पिछले साल से ही बांग्लादेश से बल्क ऑर्डर घट रहे थे, और मौजूदा हालात में वहां से बिजनेस लगभग खत्म हो गया है।
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की नेशनल टेक्सटाइल कमिटी के चेयरमैन संजय जैन ने कहा कि हाल की घटनाओं और भारत विरोधी मार्चों के चलते दोनों देशों के बीच व्यापार धीमा हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फरवरी में होने वाले चुनावों के बाद हालात सुधर सकते हैं। जैन के मुताबिक, बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के MSME सेक्टर को इस उथल-पुथल से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
हालांकि, कुछ उद्योगपतियों का मानना है कि मौजूदा स्थिति भारत के लिए लंबे समय में फायदेमंद भी साबित हो सकती है। गारमेंट्स कंपनी नियॉन क्रिएशंस के CEO राजेश गोयल ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता के कारण वहां के खरीदारों का भरोसा कम होगा और बिजनेस भारत की ओर शिफ्ट हो सकता है। उनकी इस राय से सहमत रूपा एंड कंपनी के डायरेक्टर रमेश अग्रवाल ने कहा कि बंगाल और देश के अन्य हिस्सों से एक्सपोर्ट बढ़ने की संभावना है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खरीदार नए विकल्प तलाश रहे हैं।
फिलहाल, बांग्लादेश की अशांति ने बंगाल की गारमेंट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, और उद्योग जगत की नजरें आने वाले महीनों में हालात के सुधरने पर टिकी हुई हैं।
