उत्तर बंगाल में आपदा पीड़ितों का हाल जानने और राहत वितरण कार्य के लिए नागराकाटा गए भाजपा नेताओं शंकर घोष और खगेन मुर्मू पर जानलेवा हमले की घटना के बीच राज्यपाल डॉक्टर सी वी आनंद बोस का दिल्ली में राष्ट्रपति से मिलना बंगाल की राजनीति में भूचाल लेकर आया है. तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. क्या बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की स्थिति उत्पन्न हो गई है?
राज्यपाल के बयान से राजनीतिक विश्लेषक निहितार्थ ढूंढ रहे हैं. राज्यपाल ने मीडिया को बताया है कि बंगाल में गुंडाराज चल रहा है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और बंगाल पुलिस पर अपनी भड़ास निकाली है. राज्यपाल ने कहा है कि पुलिस का काम कानून व्यवस्था की रक्षा करना है. लेकिन बंगाल पुलिस इसमें असफल रही है. विदित हो कि राज्यपाल ने भाजपा नेताओं पर हमला करने वालों की 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी का अल्टीमेटम दिया था. लेकिन निर्धारित समय अवधि में पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की थी.
हालांकि राजपाल ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के संदर्भ में राष्ट्रपति से कोई बात नहीं हुई है. परंतु बंगाल की राजनीति में राज्यपाल और राष्ट्रपति की मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं. राजपाल पहले भी दिल्ली में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले हैं. पर तब की बात कुछ और थी. वर्तमान स्थिति में राज्यपाल का उत्तर बंगाल दौरा, भाजपा नेताओं पर जानलेवा हमले व निर्धारित समय अवधि के भीतर हमलावरों की गिरफ्तारी नहीं होना और उसके बाद राज्यपाल का नई दिल्ली में सीधे राष्ट्रपति से मिलना कोई ना कोई बड़ी बात तो जरूर होगी.
हालांकि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने राज्यपाल की राष्ट्रपति से मुलाकात के मामले को गंभीरता से नहीं लिया है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने तो यहां तक कहा है कि राज्यपाल के बयान पर तवज्जो देने की जरूरत ही क्या है. राज्यपाल तो भाजपा के एजेंट हैं. राज्यपाल के बयान से राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है. परंतु राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राज्यपाल ने प्रशासन को हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था. इस अवधि में पुलिस ने एक भी हमलावर की गिरफ्तारी नहीं की थी. इससे राज्यपाल काफी नाराज हैं.
भले ही प्रगट में तृणमूल कांग्रेस के नेता नई दिल्ली में राज्यपाल और राष्ट्रपति की मुलाकात को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हो, परंतु वे अंदर से जरूर डरे हुए हैं. मौजूदा स्थिति ऐसी नहीं है कि भाजपा नेताओं पर जानलेवा हमले की इतनी बड़ी घटना को सिरे से खारिज कर दिया जाए. भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बयान और बदले की तैयारी के बीच सूत्र बता रहे हैं कि पुलिस प्रशासन पर हमलावरों की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ा है. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पुलिस को कार्रवाई करने के लिए कहा है. आनन फानन में जलपाईगुड़ी पुलिस ने भाजपा नेताओं पर हमला करने वालों में से चार लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली है. दो लोगों की गिरफ्तारी कल हुई थी और आज पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस हमला कांड में आठ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
धीरे-धीरे उत्तर बंगाल पटरी पर लौटने लगा है. सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, कालिमपोंग, मिरिक, कर्सियांग, अलीपुरद्वार, कूचबिहार, मालदा और बहुत से इलाके हैं, जहां बर्बादी का मंजर कल तक रोंगटे खड़े कर देने वाला था, अब वहां स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है. मलबों व तबाही के बीच आशियाना तलाशा जा रहा है. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता आपदा पीड़ितों की सहायता से ज्यादा मीडिया में अपनी तस्वीर चमकाने में लगे हैं तो वहीं बहुत सी ऐसी संस्थाएं हैं, जो जरूरतमंदों की सेवा और सहायता कार्य में चुपचाप जुटी हुई है.
ऐसा माना जाता है कि उत्तर बंगाल में पिछले कई सालों में इस तरह की त्रासदी का सामना लोगों को नहीं करना पड़ा था. पूरे उत्तर बंगाल में 40 से अधिक मौतें भी हुईं. संपत्ति का कितना नुकसान हुआ है, फिलहाल यह आकलन कर पाना मुश्किल है. उत्तर बंगाल की त्रासदी ने कई जख्म दिए हैं, जिन्हें भरने में वक्त लगेगा. इस बीच मौसम में सुधार के बाद आपदा पीड़ित शिविरों से बाहर आने लगे हैं. उनके चेहरे और आंखों में जिंदगी भर की कमाई और अपनों के खोने का दर्द और भविष्य की चिंता साफ देखी जा सकती है.