जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान बॉर्डर और पाकिस्तान से लगने वाले तमाम बॉर्डर की बात छोड़िए. पाकिस्तान के आतंकियों की नई चाल सामने आई है. पाकिस्तान के आतंकी संगठन भारत में घुसपैठ के लिए नेपाल की जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस खबर के बाद भारत और नेपाल के राजनीतिक गलियारों में तूफान उठ खड़ा हुआ है.
ऐसा लगता है कि नेपाल आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ हो गया है और भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने की दिशा में बढ़ रहा है. दूसरे शब्दों में कहे तो नेपाल पाकिस्तान के खिलाफ है और भारत के साथ है. इस संदेश के साथ ही भारत भी अपने पड़ोसी राष्ट्र नेपाल पर फख्र करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है.
नेपाल ने पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ मुंह खोला है और ऐसा बयान दिया है कि पाकिस्तान की जमीन तो हिल ही जाएगी, इसके साथ ही भारत और नेपाल के बीच दोस्ती को नई मजबूती मिलेगी. अब तक नेपाल पाकिस्तान के खिलाफ इस कदर आक्रामक नहीं था. लेकिन अब उसने मान लिया है कि पाकिस्तान भरोसे के लायक नहीं है. वह भारत में घुसपैठ के लिए नेपाल की जमीन का इस्तेमाल कर रहा है.
नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा का एक बड़ा बयान सामने आया है. इसके बाद भारत और नेपाल की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है. एक सम्मेलन में सुनील बहादुर थापा ने कहा कि पाकिस्तान में पाले गए आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैशे मोहम्मद नेपाल के रास्ते भारत में हमले करने की कोशिश करते हैं. नेपाल भी आतंकवाद से पीड़ित रहा है.
आपको याद होगा कि 1999 में इंडियन एयरलाइंस का विमान ic 814 ने काठमांडू से उड़ान भरा था. लेकिन वह हाईजैक कर लिया गया और पाकिस्तान ले जाया गया. मई 2025 में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी. उनमें एक नेपाली नागरिक भी था. इस हमले में लश्कर के आतंकी शामिल थे.
नेपाल को ऐसा लगता है कि आतंकवाद से केवल भारत ही पीड़ित नहीं है बल्कि नेपाल भी पीड़ित रहा है. इसलिए आतंकवाद के खिलाफ नेपाल चाहता है कि भारत के साथ मिलकर कदम से कदम बढ़ाया जाए और आतंकी नेटवर्क पर प्रहार किया जाए. सुनील बहादुर थापा के बयान से नेपाल की रणनीति का भी पता चलता है. आतंक के खिलाफ भारत का सहयोग करके नेपाल और भारत की दोस्ती में और मजबूती आएगी.
राष्ट्रपति के सलाहकार थापा ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर अभियान की भी तारीफ की है. उन्होंने अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि भारत और नेपाल की सुरक्षा के लिए चाहिए कि दोनों देश खुफिया जानकारी साझा करें और सीमा पर संयुक्त एक्सरसाइज बढ़ाएं. ताकि भारत और नेपाल में आतंकी घुसपैठिए को रोका जा सके.
सुनील बहादुर थापा का यह बयान ऐसे मौके पर सामने आया है, जब भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर पड़ोसी देशों समेत दुनिया के देशों को एकजुट करने में लगा है. अब वह भारत के स्वर में स्वर मिलाते हुए कह रहा है कि आतंकवाद को रोकना तभी संभव होगा, जब उसे मिलने वाली फंडिंग के नेटवर्क को तोड़ दिया जाए. यह सच भी है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठन धन के बल पर जीवित हैं. अगर उनके पास पहुंचने वाले धन के स्रोतों को काट दिया जाए तो आतंकवाद की जड़ें हिलने लगेगी.
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि नेपाल को भारत के साथ मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे सार्क देशों के बीच भरोसा बढे और आतंकी नेटवर्क पर साझा रणनीति बन सके. दोनों देश एक दूसरे को खुफिया जानकारी साझा करके अपने देश की सुरक्षा कर सकते हैं और आतंकवाद का दृढता के साथ मुकाबला कर सकते हैं.
जो भी हो, नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा का यह बयान भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. उनके बयान से पता चलता है कि नेपाल भारत के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता है और पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहता है.