चिकन नेक कहा जाने वाला सिलीगुड़ी भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि सभी पूर्वोत्तर भारतीय राज्य सिलीगुड़ी से कनेक्टेड हैं. चीन की नजर चिकन नेक पर बहुत पहले से जमी हुई है. भारत और चीन के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है. डोकलाम विवाद से लेकर अनेक बार चीन ने भारत को आंख दिखाई है. समझता है कि अगर उसने चिकन नेक पर अपना कब्जा जमा लिया तो भारत से सभी पूर्वोत्तर राज्य कट जाएंगे और उसके नियंत्रण में आ जाएंगे.
चिकन नेक की लंबाई 60 किलोमीटर और चौड़ाई 20 किलोमीटर है. यह गलियारा ना केवल व्यापार मार्ग है, बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया का महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है. चीन लगातार इसकी निगरानी कर रहा है. 2017 में डोकलाम संकट के जरिए चीन भारत के समक्ष चुनौती पेश कर रहा है. अगर भारत के साथ चीन का युद्ध होता है और चिकन नेक टूटता है तो पूर्वोत्तर के सभी राज्य भारत से कट सकते हैं. भारत इस बात को अच्छी तरह समझता है. यही कारण है कि पिछले कई सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की स्थिति मजबूत करने में जुटे हुए हैं.
अब भारत ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जहां वह चीन को उसके ही घर में मात दे सकता है. दरअसल भारत का बांग्लादेश और म्यांमार से संबंध मजबूत हो गया है. बांग्लादेश ने भारत को अपना चटगांव और मोगला बंदरगाह स्थाई रूप से प्रयोग करने की अनुमति दे दी है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के बीच इस संबंध में फैसला हो चुका है. इससे भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंध मजबूत होंगे. इधर कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट से म्यांमार के लिए कार्गो शिपमेंट को हरी झंडी दी जा चुकी है.
यह तीन परियोजनाएं भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि एक ओर जहां बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध मजबूत हो रहे हैं,तो दूसरी ओर म्यांमार के साथ द्विपक्षीय संबंध भी मजबूत होंगे. ऐसे में चीन को करारी शिकस्त मिल सकती है. जानकार इसे भारत की प्रमुख राजनीतिक विजय मानते हैं. सोच समझकर किया गया यह फैसला है,जिसके लिए 2010 से ही भारत प्रयास कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के गीत बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है अंततः बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री इसे अपनी अपनी कामयाबी बता रहे हैं.
बांग्लादेश को भारत का विशाल बाजार मिल जाएगा तो दूसरी ओर भारत को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ संपर्क का सेतु मिल जाएगा. तीनों परियोजनाएं पूर्वोत्तर के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है. उधर सिक्किम में पर्वतमाला योजना के तहत बन रही रेल परियोजना पूरी होगी तो चीन की ऐसी ही सिटटी पीट्टी गुम हो जाने वाली है. कहने का मतलब यह है कि भारत को काफी लाभ मिलने जा रहा है.