चौकिए मत! भारत चीन से भी जनसंख्या के मामले में आगे निकल चुका है. वर्ल्ड पापुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट के अनुसार भारत 1.423 अरब की आबादी वाला देश बन चुका है. रिसर्च प्लेटफार्म माइक्रो टेंडस के अनुमान के अनुसार भारत की जनसंख्या 1.428 बिलियन है. अर्थात भारत की वर्तमान जनसंख्या 140 करोड़ से ज्यादा हो गई है.
प्रश्न यह है कि भारत इस पर गर्व करे या चिंता? क्योंकि जनसंख्या का बढ़ना कई तरह की समस्याओं को पैदा करता है. एक तरफ भारत में जनसंख्या कम करने के लिए सरकार कई तरह की प्रोत्साहन योजनाएं ला रही है. लोगों में जागरूकता भी आ रही है. पूर्व की तुलना में लोग हम दो हमारे दो की नीति को अमल में ला रहे हैं. इन सबके बावजूद जनसंख्या के मामले में वर्ल्ड पापुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट आश्चर्यजनक तो है ही, चिंता भी पैदा करती है.
क्योंकि इतनी बड़ी आबादी के लिए नौकरियों की आवश्यकता होगी जो कि मौजूदा समय में संभव नहीं दिखता. इसके अलावा राशन, पानी तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करनी होगी जो कि एक सरकार के लिए आसान नहीं है. विश्व में आई मंदी के बाद भारत विकास की राह पर अग्रसर तो है. परंतु चुनौतियां कम नहीं हुई है. इस समय केंद्र सरकार 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त में राशन उपलब्ध करा रही है. पर सवाल उठता है कि आखिर कब तक सरकार खर्च वहन करती रहेगी!
अब तक जनसंख्या के मामले में शीर्ष पर बैठे चीन की आबादी घट चुकी है. चीन की आबादी 1.412 बिलियन है. 1961 के बाद पहली बार चीन की आबादी घटी है.राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2022 में चीन की आबादी 850000 कम हो गई है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि भारत चीन को पछाड़कर जनसंख्या के मामले में शीर्ष पर रहेगा. 2050 में भारत की आबादी 1.668 अरब हो जाएगी.
हालांकि भारत के लिए अभी कुछ नकारात्मक नहीं है. क्योंकि अध्ययन बता रहे हैं कि भारत तेजी से विकास कर रहा है और भारत का आर्थिक विकास भी तेज रहेगा. इस समय भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है. देश में चावल, गेहूं, चीनी का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है और यह भी कि भारत में जनसंख्या की वृद्धि रफ्तार धीमी है. अब देखना है कि सरकार आबादी, विकास और आर्थिक चुनौतियों से किस प्रकार निबटती है.