मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा सादगी में रहना चाहती हैं. वह एक आम महिला की तरह साड़ी और चप्पल पहनती हैं. देश विदेश में कहीं भी उनका हुलिया नहीं बदलता. उन्हें दिखावा पसंद नहीं है. वह जैसा हैं, वैसा ही रहना चाहती हैं.
अपनी सादगी के लिए मशहूर ममता बनर्जी कई बार कार्यक्रमों के दौरान इसका परिचय दे चुकी है.चाहे वह चुनाव का समय हो अथवा अपने प्रशंसकों से मिलने का अवसर हो. वह भूल जाती हैं कि वे विशेष कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रहती है. लेकिन जब कोई उनकी ओर उम्मीद भरी नजरों से देखता है तो वह उसे नाराज नहीं करती और उससे मिलने से खुद को नहीं रोक पाती है.
जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार तथा प्रदेश के अन्य कार्यक्रमों में यात्रा के समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी सादगी को दर्शाया भी है. वह वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था के घेरे से बाहर जाकर आम लोगों से मिल चुकी है और जनता को प्रभावित किया है. एक बार फिर से उनकी यही सादगी विदेशियों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गई. इस समय मुख्यमंत्री स्पेन की यात्रा पर हैं. वह बंगाल के लिए निवेश जुटाने के लिए विदेश यात्रा पर हैं.
बार्सिलोना में मंगलवार को औद्योगिक सम्मेलन होने जा रहा है. मुख्यमंत्री को इस कार्यक्रम में भाग लेना था. किस्सा यह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मैड्रिड से बार्सिलोना तक की यात्रा ट्रेन से पूरा करना चाहती थी. उनका बार्सिलोना जाने का कार्यक्रम पहले से ही तय हो चुका था. स्पेन में भारतीय राजदूत दिनेश पटनायक ने बंगाल की मुख्यमंत्री के लिए प्रथम श्रेणी की ट्रेन यात्रा की व्यवस्था की थी.क्योंकि राजदूत स्वयं भी उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ प्रथम श्रेणी डिब्बे से बार्सिलोना जा रहे थे.
जब मुख्यमंत्री रेलवे स्टेशन पहुंची तो राजदूत ने उन्हें ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में यात्रा करने का टिकट दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे ट्रेन के साधारण डिब्बे में आम लोगों के बीच बार्सिलोना की यात्रा करना चाहती हैं. उन्हें फर्स्ट क्लास डिब्बे में यात्रा करना गवारा नहीं है. वह तो साधारण क्लास में ही यात्रा करना चाहेंगी. राजदूत ने उनसे बार-बार अनुरोध किया लेकिन ममता बनर्जी अपने फैसले पर अडिग रही और आखिरकार उन्होंने ट्रेन के साधारण क्लास में आम यात्रियों के साथ ही बार्सिलोना तक का सफर पूरा किया. ममता बनर्जी की यह यात्रा काफी आनंददायक रही. उन्होंने यात्रा के बीच काफी एंजॉय किया. उन्होंने ट्रेन में बैठे यात्रियों से बातचीत की..
अपनी रेल यात्रा के दौरान ममता बनर्जी उसी पोशाक में नजर आई, जिस पोशाक में वह साधारणतया रहती हैं. यही विदेशियों के बीच आकर्षण का केंद्र बना. कहीं ना कहीं उन्हें प्रेरणा मिली कि लिबास महत्वपूर्ण नहीं होता. व्यक्ति का गुण महत्वपूर्ण होता है.