November 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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महानंदा वन्यजीव अभयारण्य पर सरकार हुई मेहरबान!

दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिले में स्थित महानंदा वन्य जीव अभयारण्य ना केवल प्रकृति बल्कि जीव जंतु, पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी काफी महत्व रखता है. इस अभयारण्य में ना केवल हाथियों का गलियारा है, बल्कि यहां रॉयल बंगाल बाघ भी मिलते हैं. पशु पक्षी, हरियाली, पहाड़, वन, पर्यटन आदि मिलकर प्रकृति को उन्नत करने के साथ-साथ अभयारण्य को उत्कृष्ट बनाते हैं.

राष्ट्रीय महत्व के इतने महत्वपूर्ण अभयारण्य के पारिस्थितिक संवेदी जोन के विस्तार तथा उसे नई व्यवस्था के साथ विकसित करने के लिए भारत सरकार के पर्यावरण विभाग ने कदम उठाया है, जिसमें राज्य सरकार का सहयोग आवश्यक है. इससे पहले सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण एसजेडीए ने राज्य सरकार के सहयोग से अभयारण्य के संवेदी जोन के विस्तार के लिए कदम उठाया था. लेकिन वह पर्याप्त नहीं हो सका. यह भी कह सकते हैं कि एसजेडीए ने इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया.

देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर पर्यावरण मंत्रालय ने इसे नोटिस में लिया है और जल्द ही परियोजना की कार्य सूची की दिशा में कार्य आरंभ होगा. परंतु यह कार्य राज्य सरकार के सहयोग के बगैर संभव नहीं है. क्योंकि कई तरह की औपचारिकताएं राज्य सरकार द्वारा पूरी करनी होती है. पर्यावरण मंत्रालय के कदम से हाथियों के लिए सुरक्षित गलियारा तैयार होगा. आए दिन महानंदा वन्यजीव अभयारण्य में हाथियों के ट्रेन से कटकर मरने तथा वन्यजीवों के नुकसान की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इसका समाधान होने की उम्मीद बढ़ गई है.

पर्यावरण मंत्रालय की कार्य योजनाओं के अनुसार महानंदा वन्यजीव अभयारण्य की सीमा के चारों ओर 5 किलोमीटर तक विस्तृत क्षेत्र को महानंदा वन्यजीव अभयारण्य पारिस्थितिक संवेदी जोन के रूप में चिन्हित किया गया है. मंत्रालय की कार्यसूची में भू उपयोग, प्रदूषण उत्पन्न न करने वाले लघु उद्योग ,कुटीर उद्योग को बढ़ावा, प्राकृतिक जल स्रोतों का प्रबंधन, पर्यटन विकास ,ध्वनि प्रदूषण ,वायु प्रदूषण आदि रोकने के उपाय ,अपशिष्ट प्रबंधन ,जैव चिकित्सा प्रबंधन, प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने पर जोर, ई कचरा प्रबंधन, पहाड़ी ढलानो का संरक्षण आदि पर कार्य किए जाएंगे. आप समझ सकते हैं कि ऐसे में यहां परिवेश और पर्यावरण कितना उन्नत हो सकेगा!

आपको बताते चलें कि पर्यावरण विभाग के इस कदम से महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों जैसे रुयम, सेतीखोला, सीटोंग,घोरमारा, लाट पंचर, कालीझोरा, महानदी क्षेत्र, लालटोंग ख॔ड,सुकना, 7 माइल, बंदरझोरा आदि क्षेत्रों के निवासियों को काफी लाभ होगा और अंततः सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी को लाभ होने वाला है.

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